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अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है

अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो 16 नवंबर 2022 को नुसा दुआ, बाली में जी20 लीडर्स समिट के हैंडओवर समारोह के दौरान हाथ मिलाते हुए | फाइल फोटो

चीन समुद्री सीमा में भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है : पेंटागन

अमेरिका द्वारा हाल ही में चीन को लेकर डिफेंस एनुअल रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है जारी की गयी है. पेंटागन की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है.

NewDelhi : एलएसी के बाद अब चीन समुद्री सीमा में भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है. हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी भारतीय नौसेना के लिए परेशानी का कारण बन रही है. अमेरिका द्वारा हाल ही में चीन को लेकर डिफेंस एनुअल रिपोर्ट जारी की गयी है. पेंटागन की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2035 तक चीन के पास 1500 से ज्यादा खतरनाक परमाणु हथियार होंगे. रिपोर्ट में उस जिबूती बेस का भी जिक्र किया गया है, जहां से चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है.

मार्च में FUCHI II क्लास का एक समुद्री जहाज जिबूती बेस पर मौजूद था

एनडीटीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में इसी बेस की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं, जिनमें देखा गया था कि यहां चीन ने एक विशालकाय जहाज तैनात किया है, जो युद्ध के नजरिए से चीन की सेना के लिए काफी अहम है. अब अमेरिका की चीन को लेकर इस रिपोर्ट में भी बताया गया है कि इस साल मार्च में FUCHI II क्लास का एक समुद्री जहाज जिबूती बेस पर मौजूद था, जिससे ये साबित होता है कि ये बेस पूरी तरह से ऑपरेशनल है.

जिबूती नेवी बेस की बात करें तो इसे चीन 2016 से बना रहा है. चीन ने इस बेस को बनाने में करीब 590 मिलियन डॉलर का खर्चा किया है. ये बेस बाब-एल-मंडेब जलडमरूमध्य (जलसंधि) पर स्थित है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के बड़े चैनलों में से एक है. इसीलिए जिबूती बेस भारत के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह है.

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हिंद महासागर में चीनी घुसपैठ के मामले असामान्य नहीं हैं

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत पर अपने ताजा बयान में भारतीय नौसेना ने इसका जिक्र किया है. बुधवार 30 नवंबर को नौसेना द्वारा कहा गया कि हिंद महासागर में चीनी घुसपैठ के मामले असामान्य नहीं हैं. नेवी ने कहा कि वो इस रणनीतिक क्षेत्र में देश के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. साउदर्न नेवल कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल एम ए हंपीहोली ने कहा कि भारतीय नौसेना सैटेलाइट्स और समुद्री विमानों की मदद से इस क्षेत्र में नजर रखती है. इससे पहले चीन के जासूसी जहाज ने लगातार दो बार हिंद महासागर क्षेत्र में घुसपैठ की थी.

चीन के पास तीन ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, जिनकी अलग-अलग क्षमताएं हैं

पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सेना की तरफ से जिबूती में जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है, उसमें किसी भी एयरक्राफ्ट कैरियर और सबमरीन को तैनात किया जा सकता है. चीन पिछले काफी वक्त से लगातार एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में जुटा है, जिनसे तमाम तरह के लड़ाकू विमानों को ऑपरेट किया जा सके. अभी चीन के पास तीन ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, जिनकी अलग-अलग क्षमताएं हैं. वहीं अगर भारतीय नौसेना की बात करें तो यहां सिर्फ दो ही बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. जिनमें एक रूस में बना आईएनएस विक्रमादित्य है और दूसरा आईएनएस विक्रांत है. जिसे पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में अभी कुछ महीने और लग सकते हैं.

चीनी सेना अमेरिका के ड्रोन्स को लगातार टारगेट कर रही है

चीन हिंद महासागर में इस पूरे इलाके के नजदीक कुछ बड़ा करने जा रहा है, ये बात इससे भी साबित होती है कि वो इसे छिपाने की हर मुमकिन कोशिश में जुटा है. अमेरिकी रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारी नजरों से बचने के लिए चीनी सेना कई तरह के हथकंडे अपना रही है. अमेरिकी ड्रोन्स और सैटेलाइट को ब्लाइंड करने के लिए जमीन पर लेजर लगाये गये हैं, साथ ही चीनी सेना अमेरिका के ड्रोन्स को भी लगातार टारगेट कर रही है

जी-20 की अध्यक्षता ने मोदी के भारत को ग्लोबल स्पॉटलाइट में ला दिया, अपेक्षाएं पहले ही बहुत बढ़ गई हैं

उद्योग जगत को लगता है कि भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलना एक ऐसा मौका हैं जिसका वे लाभ उठा सकते हैं, जैसा सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी कहते हैं कि यह बिजनेस के लिए एक दुर्लभ अवसर है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो 16 नवंबर 2022 को नुसा दुआ, बाली में जी20 लीडर्स समिट के हैंडओवर समारोह के दौरान हाथ मिलाते हुए | फाइल फोटो

भारत ने 1 दिसंबर 2022 को बाकायदा जी-20 की अध्यक्षता संभाल ली और सरकार ने भी यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि हर किसी को इसके बारे में पता चल जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर एक खास लेख लिखा, जिसे उनके कैबिनेट सहयोगी तुरंत ही साझा करने में जुट गए. समाचार चैनल और ऑप-एड इस पर टिप्पणी से भरे पड़े थे कि कैसे यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है.

सरकार ने घोषणा की कि इस मौके पर देशभर के 100 स्मारकों को रोशन किया जाएगा और वहां सप्ताह तक भारत की जी-20 अध्यक्षता से जुड़ा लोगो प्रदर्शित होता रहेगा.

जहां तक न्यूजमेकर का सवाल है, केंद्र सरकार की मशीनरी और उत्साही मीडिया ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि पिछला सप्ताह बिना किसी संदेह जी-20 अध्यक्षता के नाम पर रहे. और, 1 दिसंबर की सुबह अधिकांश नेशनल न्यूजपेपर के पूरे-पूरे पन्ने के विज्ञापन बतौर जी-20 अध्यक्ष भारत के कार्यकाल की शुरुआत पर केंद्रित थे. और इसीलिए भारत का जी-20 अध्यक्ष बनना दिप्रिंट का न्यूजमेकर ऑफ द वीक है.

सरकार का लक्ष्य, भारत की चुनौतियां

प्रधानमंत्री ने अपने लेख में भारत की जी-20 अध्यक्षता के संदर्भ में एक आशावादी, आदर्शवादी, और कुछ हद तक थोड़ा अवास्तविक दृष्टिकोण सामने अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है रखा. इसमें उन्होंने कहा कि यह ‘एकता की सार्वभौमिक भावना’ को बढ़ावा देने का काम करेगा. इसकी थीम—’एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है.

पीएम मोदी ने लिखा, ‘जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए.’

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उन्होंने आगे लिखा, ‘हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे तथा यहां से और आगे की ओर बढ़ेंगे. अब, जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण किया है, मैं अपने आपसे यह पूछता हूं- क्या G-20 अभी भी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव लाने की पहल कर सकते हैं? मेरा विश्वास है कि हां, हम ऐसा कर सकते हैं.’

बहरहाल, ऐसे समय में जब देश कोविड-19 महामारी के बाद खुद को अपने हितों तक समेट रहे हैं और यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर फिर से फोकस किया जा रहा है, तो वसुधैव कुटुम्बकम जैसी भावनाओं को बढ़ावा देना चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है.

सरकार इन चुनौतियों से अवगत है, जैसा गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तरफ से दिए गए बयानों से भी साफ है.

जयशंकर ने कहा, ‘आज दुनिया विभिन्न गुटों में बंटी है. यहां तक कि बाली में सम्पन्न जी-20 की पिछली बैठक में भी सभी को एक मंच पर लाना एक वास्तविक चुनौती थी.’

ऑल-आउट अपॉर्च्युनिटी, ग्लोबल स्पॉटलाइट

गौरतलब है, यहां तक भारत के बिजनेस लीडर्स को भी लगता है कि भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलना एक ऐसा मौका हैं जिसका वे लाभ उठा सकते हैं, जैसा सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी कहते हैं कि यह बिजनेस के लिए एक दुर्लभ अवसर है.

बनर्जी ने द हिंदू बिजनेस लाइन में लिखा, ‘ऐसे समय में जबकि भू-राजनीतिक स्थितियों में स्पष्ट बदलाव हो रहे हैं, जी-20 अध्यक्ष के तौर पर भारत की भूमिका वैश्विक स्थिरता लाने और वृहद आर्थिक समन्वय बढ़ाने पर केंद्रित होगी. क्योंकि इस समय पूरी दुनिया महामारी और यूक्रेन में जंग के असर से उबरने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से दुष्प्रभावों से निपटने में जुटी है.’

जी-20 अध्यक्षता संभालने का एक बड़ा फायदा यह है कि इसने भारत को वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है. वैसे आकांक्षाएं तो पहले से ही बहुत ज्यादा हैं. अक्टूबर में ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने बता दिया था कि वह भारत के नेतृत्व के दौरान क्या हासिल किए जाने की उम्मीद करते हैं. यह काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है.

गुटेरस ने यह उम्मीद तो जताई ही कि भारत का नेतृत्व ऋण पुनर्गठन की प्रभावी प्रणाली बनाने की अनुमति देगा—जो कि ऐसा मुद्दा है जिससे भारत खुद आंतरिक तौर पर जूझ रहा है—साथ ही उस अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और आर्थिक प्रणाली को खत्म करने की वकालत भी की जो ‘काफी हद तक अमीरों द्वारा और अमीरों के लिए ही बनाई गई थी.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत की जी-20 अध्यक्षता बहुपक्षीय विकास बैंकों की संभावना के लिए ऋण पुनर्गठन और ऋण राहत की व्यवस्था के निर्माण की अनुमति देगी, जो खासकर कमजोर मध्यम आय वाले देशों को रियायती वित्त पोषण मुहैया कराने में सक्षम होंगे.’

भारत सरकार भी इस तरह ग्लोबल स्पॉटलाइट में आने का मतलब समझती है और उसने पहले ही कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जिनके राजनीतिक निहितार्थ अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में असर डालने वाले हैं. टिप्पणीकार इस जानकारी से अनभिज्ञ नहीं होंगे कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में जी-20 से जुड़े कुछ कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई और यह पाकिस्तान और चीन के लिए एक राजनीतिक संदेश है.

भारत की जी-20 अध्यक्षता में अंतर्निहित नारा वसुधैव कुटुम्बकम ही है, जिसे प्रधानमंत्री कुछ इस तरह कहते हैं कि यह ‘दुनिया के प्रति भारत की कल्याणकारी भावना का प्रतीक है.’ सद्भावना दिखाने के लिए बहुत कुछ है. हमारे पड़ोस में ही श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. यूक्रेन संकट सबके सामने है. महामारी कम हुई है, लेकिन पूरी तरह गई नहीं है. दुनिया का एक बड़ा हिस्सा बिना टीकों के रह गया है.

भारत के पास इन और ऐसे ही अन्य अत्यावश्यक मुद्दों पर आगे बढ़ने के लिए पूरा एक साल है. जी-20 एक बेहद प्रभावशाली समूह बन सकता है. इसके सदस्य दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 80 प्रतिशत, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लगभग इतने ही अनुपात में और वैश्विक आबादी में करीब 60 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस समूह के निर्णय दुनियाभर के लिए एक सशक्त संकेत होते हैं. और अब भारत को ही यह सुनिश्चित करना है कि आने वाला वर्ष प्रभावशाली साबित हों.

International Slavery Abolition Day 2022: आज है 'अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस', जानें क्यों मनाया जाता है ये दिन.

International Slavery Abolition Day 2022: आज है

नई दिल्ली। गुलामी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस, 2022: दासता के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमें दासता, जबरन श्रम, बाल श्रम और यौन शोषण की बुराइयों की याद दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है मनाया जाता है। और तस्करी और हमारे समय में प्रचलित गुलामी को खत्म करने के लिए।

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इस लेख में, हम गुलामी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मुख्य विषय, इसके इतिहास और इसके महत्व पर एक नज़र डालेंगे।

गुलामी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस, 2022: थीम
गुलामी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस गुलामी के इतिहास पर प्रकाश डालता है और इसका पूर्ण उन्मूलन क्यों आवश्यक है। बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम, महिलाओं और बच्चों की तस्करी और अवैध अंग निकालने सहित अन्य के माध्यम से गुलामी आज भी जारी है।

अंतर्राष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस, 2022: इतिहास
गुलामी सुमेरियन और मेसोपोटामिया के समय से अस्तित्व में है। आधुनिक समय में, आईएसआईएस और बोको हराम के आतंकवादियों ने गैर-मुस्लिम महिलाओं को सेक्स स्लेव के रूप में इस्तेमाल किया है। गुलामी मिस्र के साम्राज्यों, प्राचीन ग्रीस और रोम और ब्रिटेन के वाइकिंग शासन के दौरान प्रचलित थी। अफ्रीकी लोगों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है ट्रान्साटलांटिक दास व्यापार पुर्तगालियों के साथ शुरू हुआ और डच, अंग्रेजी और फ्रांसीसी व्यापारियों द्वारा भी इसका अभ्यास किया गया।

17वीं और 18वीं शताब्दी में अनगिनत अफ्रीकी लोगों को गुलाम बनाने के लिए अमेरिका ले जाया गया, जब तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने 1865 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पूरी तरह से गुलामी को समाप्त नहीं कर दिया।

2 दिसंबर, 1949 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने संकल्प 317 (IV) के माध्यम से व्यक्तियों में यातायात के दमन और दूसरों के वेश्यावृत्ति के शोषण के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को अपनाया। उपरोक्त सम्मेलन को चिह्नित करने के लिए 2 दिसंबर को दासता के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस, 2022: महत्व
जैसा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने उल्लेख किया है, पिछले पांच वर्षों में जबरन श्रम और जबरन विवाह की घटनाओं में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र का उल्लेख है कि 2021 के अंत तक आधुनिक दासों की संख्या बढ़कर 50 मिलियन हो गई। गुलामी के उन्मूलन अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह हम सभी को इस तरह के अत्याचारों का अंत करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

दिल्ली एमसीडी चुनाव 2022: बीजेपी का दावा- 250 वार्डों में से 170 पर मिलेगी जीत

भाजपा दिल्ली इकाई ने एक आंतरिक सर्वे कराकर दावा किया कि एमसीडी चुनावों में 250 वार्डों में से 170 में बीजेपी जीतेगी. (फोटो- ANI)

Delhi MCD Election 2022: भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के एक आंतरिक सर्वेक्षण के अनुसार, पार्टी अगले महीने होने वाल . अधिक पढ़ें

  • भाषा
  • Last Updated : November 28, 2022, 21:04 IST

नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के एक आंतरिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है सर्वेक्षण के अनुसार, पार्टी अगले महीने होने वाले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनावों में 250 वार्डों में से 170 पर जीत हासिल कर सकती है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने सर्वे को आधार बताते हुए सोमवार को यह दावा किया है.

भाजपा की दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख हरीश खुराना ने न्यूज एजेंसी को बताया कि 13 नवंबर से 25 नवंबर के बीच कराए गए इस सर्वेक्षण में 43,750 मतदाताओं को शामिल किया गया था. दिल्ली नगर निगम के सभी 250 वार्डों के लिए मतदान चार दिसंबर को होना है और वोटों की गिनती तथा परिणामों की घोषणा सात दिसंबर को होगी. खुराना ने कहा, “सभी 250 वार्डों में किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि भाजपा 170 सीटें जीतने जा रही है. 150 वार्ड ऐसे हैं जहां भाजपा बहुत मजबूत स्थिति में है, जबकि 20-25 अन्य वार्ड हैं जहां पार्टी को अन्य दलों पर बढ़त है.”

आदेश गुप्ता ने कहा 180 सीटें जीतेंगे, केजरीवाल बोले हम 200
भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने रविवार को चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि एमसीडी चुनाव में भाजपा 180 वार्डों में जीत हासिल करेगी. हालांकि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि एमसीडी चुनाव में उनकी पार्टी 200 सीटों पर जीतेगी. उन्होंने यह भी दावा किया था कि भाजपा के हिस्से में 20 सीटें भी नहीं आएंगी.

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भाजपा, आप और कांग्रेस मैदान में
गौरतलब है कि दिल्ली एमसीडी चुनाव को लेकर भाजपा, आप और कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ कई निर्दलीय मैदान में हैं. मतदान 4 दिसंबर को होना है. इसको लेकर दिल्ली में राजनीति गर्म है. सभी दल अपनी जीत को लेकर दावे कर रहे हैं.

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