बाज़ार बेचना

आज आलू का उत्पादन करना काफी खर्चीला हो गया है, लेकिन हम खेती की अत्याधुनिक मशीनों और उपकरणों का उपयोग करके खर्च को कम कर सकते हैं। आज देश के 'आलू के उस्ताद' किसान इन आधुनिक कृषि मशीनों और साधनों का बेहतर उपयोग कर रहे हैं। इन किसानों के बीच महिंद्रा ट्रैक्टर काफी लोकप्रिय हो बाज़ार बेचना रहा है। दरअसल, इसका सही उपयोग करके खेती की लागत को कम किया जा सकता है। वहीं उत्पादन भी ज्यादा होता है।
बाज़ार में सामान या सेवाएं प्रदान करने के लिए कौन सा चैनल पसंद किया जाता है?
भौतिक उत्पादों के लिए, चार बुनियादी प्रकार के विपणन चैनल हैं:
प्रत्यक्ष बिक्री: जहां उत्पादों का विपणन किया जाता है और एक निश्चित खुदरा स्थान के बिना सीधे उपभोक्ताओं को बेचा जाता है।
बिचौलियों के माध्यम से बेचना: जहां उत्पादों का निर्माण मूल स्थान पर किया जाता है और ग्राहकों को एजेंटों, दलालों, थोक विक्रेताओं और खुदरा स्टोर जैसे डाउनस्ट्रीम बिचौलियों द्वारा बेचा जाता है।
दोहरा वितरण: जहां निर्माता अंतिम उपयोगकर्ता को उत्पाद बेचने के लिए कई प्रकार के चैनलों को मिलाते हैं।
विपरीत विपणन : जहां उत्पाद ग्राहक से वापस निर्माता के पास जाते हैं।
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आलू के बाजार और मार्केटिंग दक्षता को समझना
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। आलू के उत्पादन के लिए एक तरफ किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के साथ विभिन्न परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। वहीं आलू को खेत से मंडी तक पहुंचाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। आज देश में बड़े पैमाने पर आलू उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता है। यहां तक की कई बार तो किसानों की लागत तक नहीं निकल पाती है। जबकि दूसरी तरफ आलू किसान के खेत से बाजार तक पहुंचता है तो उसके दाम आम आदमी बाज़ार बेचना के लिए परेशानी बन जाते हैं। जो आलू किसान से 10 रुपये किलो तक ख़रीदा जाता है, वही आलू सब्जी बाज़ार में पहुंचते-पहुंचते 40 से 50 रुपये प्रति किलो हो जाता है। इसमें एक तरफ तो आलू किसान को लागत के अलावा अतिरिक्त मुनाफा नहीं मिल पाता है, वहीं आम आदमी के लिए आलू काफी महंगा हो जाता है। तो आइए जानते हैं आलू को खेत से मंडियों तक पहुंचाने में किन परेशानियों का सामना करना पड़ता हैः
शहरी क्षेत्रों में सब्जी बेचने वालों को बाजार शुल्क से राहत
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated : September 12, 2018, 17:23 IST
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने सब्जी व्यवसायी और घूम घूमकर सब्जी बेचने वालों को बड़ी राहत दी है.अब बालोद के शहरी क्षेत्रों में सब्जी बेचने वालों को बाजार शुल्क नहीं देना होगा.छत्तीस प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग के इस आदेश के बाद प्रदेश भर के नगरीय निकाय क्षेत्रो में दूर दराज व ग्रामीण इलाकों से आकर साग सब्जी के ठेला-पटरी लगाने वालों के चेहरे पर खुशी साफ़ देखने को मिल रही है.खुशी न केवल इनको शुल्क माफ़ी की है बल्कि इस बात की भी है कि इन्हें साप्ताहिक बाजार में अपने साग सब्जी बेचने के दौरान बाजार के ठेकेदारों के आतंक का भी सामना करना पड़ता था, उससे छुटकारा मिला है.हर साल एक फुटकर व्यवसायी को अपने सामन बेचने के लिए ठेकेदारों को 2 से 3 हजार रूपये टैक्स देने पड़ते थे वो पैसे भी इनके बचेंगे.इससे इन गरीब तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी कुछ हद तक सुदृढ़ता आने की बात कही जा रही है.
मप्र सरकार ने किसानों से खरीदा प्याज खुले बाजार में बेचना शुरु किया
Abhishek Shrivastava
Published on: July 23, 2016 17:57 IST
मप्र सरकार ने किसानों से खरीदा प्याज खुले बाजार में बेचना किया शुरू, 90% स्टॉक बिकेगा दो हफ्ते में
इंदौर। किसानों से खरीदे गए करीब 9.5 लाख टन प्याज को आज से बेचना शुरू करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने उम्मीद जताई कि इसमें से 90 फीसदी खेप अगले दो हफ्ते में बिक जाएगी। प्रदेश के मुख्य सचिव एंटोनी डीसा ने कहा, हमने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर किसानों से खरीदे गए प्याज की आज से चार रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक्री शुरू कर दी है। हमें उम्मीद है कि इसमें से 90 फीसदी प्याज अगले दो हफ्ते में बिक जाएगी।
अकोदिया नगर पंचायत का फैसला: मिट्टी के दीपक बेचने वाले दुकानदारों से नहीं होगी बाजार शुल्क की वसूली
दीपोत्सव पर अपने घर रोशन करने के लिए दीपक बेचने वाले कारीगर भी बाजार में दुकान बाज़ार बेचना लगा रहे हैं, जिन्हें मुनाफा कम और मेहनत ज्यादा लगती है। बावजूद बड़ी संख्या में मिट्टी के दीपक बनाए जा रहे हैं। ऐसे लोगों से नगर पंचायत द्वारा बाजार शुल्क वसूली न किए जाने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है अकोदिया नगर पंचायत द्वारा प्रतिदिन के हिसाब से बाजार बाज़ार बेचना में दुकान लगाने वाले व्यापारियों से निर्धारित शुल्क वसूली की जाती है। दीपोत्सव पर्व पर भी कई लोग अपनी दुकानें लगाते हैं। जो अपना माल बेचने और मुनाफा कमाने के लिए छोटी-छोटी दुकानें लगाते हैं। ऐसे लोगों ने नगर पंचायत बाज़ार बेचना ने बाजार शुल्क न वसूले जाने का निर्णय लिया है।