काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया

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काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया
करीब 1830 में कोलकाता की मौजूदा लायन्स रेंज में एक नीम का पेड़ हुआ करता था जिसकी छाया में सटोरिया गतिविधियां चला करती थीं। 1928 में कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (सीएसई) बनने के साथ अनौपचारिक ब्रोकिंग ने औपचारिक कारोबारी काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया प्लेटफॉर्म की शक्ल ले ली। तब से लगभग छह दशकों से यहां कारोबारी गतिविधियां जारी हैं। 2001 में एक घोटाला भी सामने आया लेकिन उसके बाद भी सीएसई में गतिवििधयां जारी रहीं।
हालत 2014 में भी अच्छी नहीं कही जा सकती, क्योंकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)ने सीएसई बंद करने की धमकी दी है। लायंस रेंज में काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया गतिविधियां दोबारा पटरी पर लाने के लिए प्रयास, हालांकि, जारी हैं। अंतिम प्रयास के तौर पर सीएसई अपना अस्तित्व बरकरार रखने के लिए देश काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया के सभी क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों से तालमेल करने की भरपूर कोशिश कर रहा है। सीएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी बी माधव रेड्डी का कहना है कि इसके पीछे मकसद सीएसई को एक मात्र नैशनल एक्सचेंज के रूप में पेश करना है, जिसका ध्यान क्षेत्रीय लघु एवं मझोले उद्यमों पर केंद्रित होगा। इस बीच, सीएसई क्लियरिंग कॉर्पोरेशन में हिस्सेदारी खरीदने के लिए तत्पर है, क्योंकि इससे पहले इसने आईसीसीएल (बीएसई का क्लियरिंग कॉर्पोरेशन) के साथ गठबंधन करने का इसका प्रयास सफल नहीं रहा था। सूत्रों के अनुसार सेबी ने समय सीमा के साथ सीएसई के उत्थान की रूप-रेखा मांगी है।
क्षेत्रीय एक्सचेंजों मध्य प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज, द काउंटर एक्सचेंज ऑफ इंडिया (ओटीसीईआई) आदि के साथ समझौता करने के बाद सीएसई ने अब उत्तर प्रदेश और जयपुर स्टॉक एक्सचेंज के साथ समझौता करने के प्रस्ताव दिए हैं। रेड्डी ने कहा, 'हम चार क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों के साथ समझौता कर चुके हैं। अब हमने उत्तर प्रदेश और जयपुर स्टॉक एक्सचेंजों के साथ तालमेल के भी प्रस्ताव दिए हैं। समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है और दोनों एक्सचेंज अपने संबंधित बोर्ड एक्सचेंजों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।'
मध्य प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज के साथ तालमेल के तहत सीएसई इसके ब्रोकरों, कंपनियों और कर्मचारियों को अपने साथ लाना चाहता है। काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया इसके आलवा सीएसई इंदौर में भी एक कार्यालय खोलना चाहता है। सीएसई लुधियाना और बेंगलूर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कंपनियों का स्थानांतरण अपने यहां करना चाहता है। हालांकि सीएसई स्वयं को सभी क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों का महा गठबंधन दिखाने में सफल रहता है तो भी कई बड़ी काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया चुनौतियां हैं।
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Multibagger Stock: 200 प्रतिशत तक रिटर्न दे चुके हैं इस कंपनी के शेयर, आज NSE में होगी लिस्टिंग; जानें कितने का है एक Share
Multibagger Stock: मल्टीबैगर स्टॉक डायनेमिक केबल्स के शेयरों की आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टिंग होने वाली है. इस कंपनी के शेयरों ने पिछले एक साल 200 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है.
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Multibagger Stock: पिछले एक साल में निवेशकों की बल्ले-बल्ले करने वाले मल्टीबैगर स्टॉक डायनेमिक केबल्स के शेयरों की आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टिंग होने वाली है. इस कंपनी के काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया शेयरों ने पिछले एक साल 200 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है. यानी जिन लोगों ने इस कंपनी के शेयर खरीदे हैं, उन्हें 200 प्रतिशत तक का मुनाफा हुआ है. पिछले 5 महीने में इस कंपनी का शेयर 19.88 प्रतिशत चढ़ा है. फिलहाल इस कंपनी का एक शेयर 139 रुपये का बना हुआ है.
NSE ने लिस्टिंग के लिए दी मंजूरी
कंपनी ने सोमवार को नियामक फाइलिंग के दौरान बीएसई को इसकी जानकारी दी. इस फाइलिंग में कंपनी ने बताया कि उसे अपने इक्विटी शेयरों को प्लेटफार्म पर लिस्ट करने के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) से प्रमीशन मिल गई है. कंपनी ने अपने बयान में कहा, कंपनी के इक्विटी शेयरों को बुधवार 27 जुलाई को लिस्ट किया जाएगा. इसके साथ ही NSE पर उसकी डीलिंग शुरू हो जाएगी.
कोई लॉक-इन अवधि नहीं होगी
रिपोर्ट के मुताबिक NSE पर लिस्ट होने वाले उसके 2,20,14,000 इक्विटी शेयरों में से प्रत्येक की फेस वैल्यू 10 रुपये होगी. इन शेयरों में लॉक-इन करने के लिए कोई अवधि तय नहीं होगी और 'DYCL' के प्रतीक के तहत यह पूरा कारोबार किया जाएगा.
पावर इंफ्रा केबल काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया बनाती है कंपनी
अगर कंपनी की प्रोफाइल की बात करें तो डायनेमिक केबल्स पावर इंफ्रा केबल बनाती है. इसमें रेलवे सिग्नलिंग केलब, सोलर केबल, इंडस्ट्रियल केबल, इंस्ट्रूमेंटेशन केबल, पावर कंट्रोल, एचटी, एलटी, फ्लेक्सिबल और इंस्ट्रूमेंटेशन केबल शामिल हैं. इस कंपनी ने वर्ष 2017 में आईपीओ के जरिए खुद को बीएसई के एसएमई एक्सचेंज में लिस्ट करवाया था. इसके बाद 1 अक्टूबर 2020 को मेन बोर्ड में इसका ट्रांसफर हो गया था. मेन बोर्ड में ट्रांसफर होने के बाद काउंटर से इसका रिटर्न 400 फीसदी के करीब रहा है.
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बैंकों में कटे-फटे नोटों को बदलवाना आसान नहीं, अलग काउंटर नहीं होने से परेशानी
बेतिया, जासं। कटे फटे नोट को बदलना आसान नहीं है। बैंकों में फटे नोट को बदलने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसका कारण बैंकों में व्यवस्था की कमी और रिजर्व बैंक की ओर से कड़े किए गए नियम बताया जाता है। बैंक कर्मियों के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कटे-फटे और डैमेज नोटों को बदलने के लिए नियम बनाएं है। नियम के अनुसार यदि आपका नोट टुकड़ों में फटा हो तो बैंक इसे बदलेगा। यहां तक की कटे-फटे नोट का कोई हिस्सा गायब भी हो तो उसे एक्सचेंज किया जा सकता है। किसी नोट का एक हिस्सा पूरी तरह से फटा हो या पूरा हिस्सा कट गया हो तो भी इसे बदला जाएगा। लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी जटिल है। बैंक कर्मियों ने बताया कि कटे फटे नोट बदलने के लिए पहले आसान नियम थे। लेकिन अब नियम कड़े कर दिए गए है। हालांकि बैंकों को कटा फटा नोट हर हाल में बदलना है।
बैंकों की मनमानी, नहीं है अलग काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया काउंटर
कई बार लोगों को किसी लेन-देन के दौरान खराब नोट दे दिए जाते हैं। लोग जल्दबाजी में इन्हें ले लेते हैं, लेकिन बाद में यह नोट कोई नहीं लेता है। नतीजतन मुश्किलों को सामना करना पड़ता है। ऐसे में वे नोट बेकार मान लिए जाते हैं, लेकिन कटे-फटे और डैमेज नोटों को आसानी से बदला जा सकता है। क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने इन नोटों को बदलने के लिए विशेष नियम बनाए हैं। बैंकों की मनमानी के आगे सारे नियम फेल हैं। संदीप कुमार, राजू कुमार, खेसारी महतो आदि ग्राहकों ने बताया काउंटर एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया कि बैंकों में इसके लिए खास इंतजाम नहीं है। कटे फटे नोट बदलना बैंक कर्मियों के ऊपर निर्भर करता है। वे जिसका चाहते हैं, एक्सचेंज करते हैं अन्यथा. । एसबीआइ, बेतिया के क्षेत्रीय प्रबंधक राकेश कुमार ने कहा कि कटे फटे नोट बदले जाते हैं। ब्रांच में इसकी व्यवस्था की गई है। आरबीआइ के नियमों का पालन किया जाता है।