पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़

यहां, ग्राहक के किसी भी हस्तक्षेप के बिना निवेश केवल पेशेवर फंड मैनेजर के विवेक पर हैं। एक बार जब ग्राहक वित्तीय उद्देश्यों और जोखिम सहिष्णुता सहित प्रमुख कारकों के फंड मैनेजर को सूचित करता है, तो बाद में ग्राहक की ओर से निवेश निर्णय लेने के साथ आगे बढ़ता है। सर्विस के नियमों और शर्तों के अनुसार, मूल्यांकन और मूल्यांकन के लिए नियमित बैठकों को क्लाइंट के साथ निर्धारित किया जा सकता है। भारत में अधिकांश कंपनियां विवेकाधीन पीएमएस प्रदान करती हैं। भारत में गैर-विवेकाधीन पोर्टफोलियो मैनेजमेंट
डायनामिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एंड सर्विसेज लिमिटेड
डायनामिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एंड सर्विसेज लिमिटेड (Dynamic Portfolio) वित्त (एनबीएफसी सहित) क्षेत्र की कंपनी है। कंपनी का कुल मूल्यांकन (मार्केट वैल्यू) ₹0 है। कंपनी के एक शेयर की कीमत बीएसई बाजार में आज ₹23.75 है और एनएसई बाजार में आज लिस्टेड नहीं है। कंपनी की स्थापना वर्ष 1994 में की गई थी।
कंपनी द्वारा प्रदान की गई रिपोर्ट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ के अनुसार अंतिम वर्ष की कुल आय 0.781 करोड़ रुपये रही तथा कुल बिक्री 0.781 करोड़ रुपये रही । कंपनी का शुद्ध लाभ 0.13 करोड़ रुपये रहा। डायनामिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एंड सर्विसेज लिमिटेड ने चालू वर्ष में -0.046 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान किया हे।
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Portfolio Management Services के लिए सेबी का नया नियम, मैनेजर, डिस्ट्रीब्यूटर और स्टाफ को लेना होगा NISM का सर्टिफिकेट
सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज से जु़ड़े अधिकारियों के लिए अनिवार्य किए सर्टिफिकेशन नियम
मार्केट रेगुलेटर पोर्टफोलियो सेबी ( SEBI) ने पोर्टफोलियो मैनेजर की ओर से नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों के लिए सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया है. सेबी के नोटिफेकेशन के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) से जुड़े लोग चाहे वे डिस्ट्रीब्यूटर्स हों या मुख्य अधिकारी या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ फिर कर्मचारी, सभी का सर्टिफिकेशन जरूरी होगा. सेबी के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) से जुड़े व्यक्ति और फंड मैनेजमेंट में फैसला लेने वाले हर अथॉरिटी के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट ( NISM) से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा. यह सर्टिफिकेट NISM की परीक्षा पास करने पर मिलता है.
दो साल के भीतर हासिल पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ करना होगा सर्टिफिकेशन
सेबी के 7 सितंबर, 2021 को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS)से जुड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स और संबंधित फंड से जुड़े फैसले लेने वाले प्रमुख अधिकारियों के लिए दो साल के भीतर सर्टिफिकेट हासिल करना होगा. नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि इस तरह के किसी व्यक्ति को रखने वाला या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ उसे नौकरी देने वाले पोर्टफोलियो मैनेजर को यह सुनिश्चित करना होगा कि 7 सितंबर 2021 के बाद नौकरी शुरू करने से एक साल के भीतर वह शख्स सर्टिफिकेट हासिल कर ले. हालांकि पीएमएस का डिस्ट्रीब्यूटर होने के नाते वैलिड AMFI रजिस्ट्रेशन नंबर (ARN) या NISM सर्टिफिकेशन हासिल करना वाला शख्स इस नियम से मुक्त होगा.
मार्च में जारी किए थे सेबी ने क्वालिफिकेशन से जुड़े नियम
इस साल मार्च में सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजर और उनकी क्वालिफिकेशन को लेकर नए नियम जारी किए थे. इसके मुताबिक सिक्योरिटीज मार्केट में पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम को ही मान्यता दी जाएगी. पोर्टफोलियो मैनेजर के लिए NISM की ओर से चलाए जाने वाले एक साल से कम अवधि के कोर्स को मान्यता नहीं दी जाएगी. सेबी ने कहा था कि पोर्टफोलियो मैनेजर बनने के लिए किसी यूनिवर्सिटी या यूनिवर्सिटी के तौर पर मान्यता प्राप्त किसी इंस्टीट्यूट से फाइनेंस, लॉ, एकाउंटेंसी में प्रोफेशनल डिग्री की जरूरत होगी. या फिर उसे NISM से सिक्योरिटीज मार्केट (पोर्टफोलियो मैनेजमेंट) में पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम पूरा करना होगा.
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एक अच्छी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस को चुनने के लिए रणनीतियाँ
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यदि आप एक उच्च नेट-वर्थ इंडिविजुअल (एचएनआई) या संस्थान हैं, जो निवेश में लचीलेपन के साथ-साथ अच्छे रिटर्न की तलाश में हैं, तो आप भारत में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (पीएमएस ) पर शून्य कर सकते हैं। निवेश समाधानों की एक श्रृंखला प्रदान करने के अलावा, भारत में शीर्ष पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस आपके निवेश के सुव्यवस्थित और पेशेवर मैनेजमेंट के लिए सहायता प्रदान करेंगी।
भारत में एक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस के विपरीत, व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा प्रत्यक्ष निवेश मार्केट की उचित जानकारी, मौलिक और तकनीकी विश्लेषण, मार्केट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसिज़ अनुभव, निरंतर निगरानी और त्रुटिहीन निर्णय लेने का कौशल बनाने के लिए आवश्यक उपकरणों तक पहुंच जैसी कई आवश्यकताओं से भरा हुआ है। भारत में
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस की विशेषताएं और लाभ अनुकूलित समाधान:
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस
पीएमएस कितनी तरह की होती है?
डिस्क्रिशनरी पीएमएस में शेयर सिलेक्ट करने, उसे खरीदने और बेचने का काम पोर्टफोलियो मैनेजर करता है। इन्वेस्टर की तरफ से सारे ट्रेड वही करता है, लेकिन नॉन-डिस्क्रिशनरी पीएमएस में इन्वेस्टर पोर्टफोलियो मैनेजर की सलाह से ट्रेडिंग के फैसले कर सकता है लेकिन ट्रेड पोर्टफोलियो मैनेजर ही करता है। अडवाइजरी पीएमएस में मैनेजर इन्वेस्टर को सिर्फ आइडिया देता है और ट्रेड इन्वेस्टर करता है।
पीएमएस की फीस
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का फीस स्ट्रक्चर फिक्स्ड, प्रॉफिट शेयरिंग या हाइब्रिड होता है। फिक्स्ड फीस स्ट्रक्चर में मैनेजर हर क्वॉर्टर के लिए तय फीस लेता है या उसकी फीस फंड के साइज पर डिपेंड करती है। इसमें इन्वेस्टर को हर हाल में फीस देनी होती है, भले ही पोर्टफोलियो का रिटर्न कुछ भी हो। प्रॉफिट शेयरिंग मॉडल में इन्वेस्टर फीस के रूप में प्रॉफिट से कुछ फीसदी रकम अदा करता है। यह आमतौर पर लगभग 20-25 फीसदी तक होती है। हाइब्रिड मॉडल में दोनों के फीचर्स होते हैं, लेकिन इसमें चार्जेज कम होते हैं।