मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए

Money Guru: डेट में निवेश के कितने विकल्प? क्या टैक्स-फ्री बांड में निवेश करें? जानिए एक्सपर्ट्स की राय
टैक्स-फ्री बांड एक तरह का डेट इंस्ट्रुमेंट होता है. टैक्स-फ्री बांड पर मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स छूट मिलती है. बढ़ती ब्याज दरों के दौर में आकर्षित होती है फिक्स्ड डिपॉजिट: मृन अग्रवाल, फाउंडर, फिनसेफ इंडिया और फिरोज अजीज, डिप्टी CEO, आनंदराठी वेल्थ लिमिटेड.
म्यूचुअल फंड में पैसा कैसे लगायें?
आप घर बैठे ही बिना किसी ब्रोकर या एजेंट की मदद से म्यूचुअल फंड में पैसा लगा सकते हैं.
जिन लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में कोई आइडिया नहीं मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए है उनके लिए भी म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. आप घर बैठे ही बिना किसी ब्रोकर या एजेंट की मदद से म्यूचुअल फंड में पैसा लगा सकते हैं. इसे म्यूचुअल फंड का डायरेक्ट प्लान कहते हैं.
गुरुग्राम में काम करने वाले सीएफपी विक्रम मल्होत्रा ने कहा, "म्यूचुअल फंड वास्तव में लोगों से जुटाए गए खुदरा पैसे का बड़ा ग्रुप है. इसे शेयर, बांड और सिक्योरिटीज में किसी अनुभवी फंड मैनेजर द्वारा निवेश किया जाता है. फंड मैनेजर अपनी बुद्धिमत्ता और टीम के रिसर्च के आधार पर किसी सेक्टर की कंपनी में निवेश का फैसला करते हैं. इसके बाद मामूली शुल्क लेकर निवेशकों को उनका रिटर्न दिया जाता है."
महिंद्रा मैन्युलाइफ म्यूचुअल फंड के सीईओ आशुतोष विश्नोई ने कहा, "कोई भी म्यूचुअल फंड शेयरों की तुलना में कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए निवेश का बेहतरीन माध्यम है." उन्होंने गृहणी, नई नौकरी में आए लोगों और छोटे खुदरा निवेशकों को सिप के जरिए निवेश की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त नई सिप शुरू करने के लिहाज से सबसे उपयुक्त है.
- म्यूचुअल फंड क्या है?
म्यूचुअल फंड निवेश का एक माध्यम है जिसमें कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा किया जाता है. इस फंड में से पैसे का निवेश शेयर बाजार में किया जाता है. म्यूचुअल फंड का प्रबंधन एसेट मैनेजमेंट कंपनियां करती है. हर एएमसी में आमतौर पर कई म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं. - म्यूचुअल फंड कैसे चुनें?
आप किस प्रकार के फंड में निवेश करना चाहते हैं, सबसे पहले यह चुनें. म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त आपको निवेश की अवधि, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के लक्ष्य के बारे में ध्यान रखना चाहिए. इक्विटी म्यूचुअल फंड तभी चुने जाने चाहिए जब आप ज़्यादा जोखिम उठाने को तैयार हों और आपके निवेश की अवधि पांच-सात साल से अधिक हो. अगर आप कम जोखिम उठा सकते हैं, तो आप हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं. यदि आप मामूली या बहुत कम जोखिम लेना चाहते हैं, तो आपको डेट फंड में निवेश करना चाहिए. सभी म्यूचुअल फंड में कुछ न कुछ जोखिम होता है. म्यूचुअल फंड चुनने के लिए एक समय-सीमा में उसका प्रदर्शन देखकर उसकी तुलना कर फंड चुन सकते हैं. - म्यूचुअल फंड से कमाई कैसे होती है?
आप किस प्रकार के फंड में निवेश करना चाहते हैं, आपकी कमाई इस बात पर निर्भर करती है. लंबी अवधि में बेहतरीन रिटर्न पाने के लिए आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. इसके बाद आप अलग-अलग एएमसी के किसी फंड में से चुन सकते हैं.
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म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –
- इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
- इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
- हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
- डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
1.म्युचुअल फंड्स की जानकारी
अगर आप म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में पहले से जानते हैं, तो आप सीधे अगले सेक्शन पर जा सकते है । ये 5 आर्टिकल्स, म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में सारी ज़रूरी जानकारी देंगे । हम टैक्स सेविंग फंड्स पर भी एक विशेष आर्टिकल दे रहे हैं।
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और ये कैसे काम करते हैं?
- म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना बनाम डायरेक्ट इक्विटी
- . म्युचुअल फंड्स के फायदे और नुकसान
- टैक्स सेविंग(ईएलएसएस) फंड्स
2.म्युचुअल फंड्स का एक पोर्टफ़ोलियो बनाना
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने का सही तरीका है – सबसे पहले इसका पोर्टफोलियो बनाना । एक पोर्टफोलियो, म्युचुअल फंड का एक समूह होता है। यह आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। आपका सारा रिटर्न् आपके पूरे पोर्टफोलियो पर टिका होता है, ना कि किसी एक विशेष फंड पर। इस सेक्शन में, हम यह सीखेंगे कि म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो कैसे तैयार किया जाता है।
- पोर्टफोलियो इन्वेस्टिंग क्या है कैसे तैयार किया जाए
- अपने पोर्टफोलियो के लिए सही म्युचुअल फंड चुनना
- म्युचुअल फंड को कब बेचें
3.म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना
कईं शुरुआती इन्वेस्टर्स म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने की प्रक्रिया को मुश्किल मानकर उसमें इन्वेस्ट करने से कतराते हैं। ये आर्टिकल्स ऐसे ही शुरुआती इन्वेस्टर्स को म्युचुअल फंड को समझने में और इन्वेस्टमेंट शुरू करने में मदद करेंगे।
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और ये म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के लिए ज़रूरी क्यों है (SIP) के द्वारा इन्वेस्ट करना
4.कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियाँ
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय कुछ ज़रूरी बातें है, जिनकी जानकारी हर शुरुआती इन्वेस्टर को होनी चाहिए । इन बातों को समझे बिना इन्वेस्ट करने से, रिटर्न्स पर काफ़ी बुरा असर पड़ सकता है।
- म्युचुअल फंड्स पर टैक्स
- म्युचुअल फंड्स से पैसे निकालने पर एग्ज़िट लोड
- म्युचुअल फंड्स का एक्सपेंस रेशो
- इन्वेस्टमेंट से जुड़ी भाषा की जानकारी
जहाँ म्युचुअल फंड्स की बात आती है वहाँ आमतौर पर लिस्ट में दिए गए इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है । हालाँकि शुरुआती इन्वेस्टर्स को इन सभी शब्दों को याद रखने की ज़रूरत नहीं है, आप किसी भी शब्द को सीखने के लिए, ग्लोसरी (डिक्शनरी) के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
Mutual Fund Investment : म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले जान लें ये 5 जरूरी चीजें, फायदे में रहेंगे
अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो इस बात का जोखिम नहीं ले सकते कि आपके निवेश की वैल्यू में गिरावट आ जाए,. आपको वैसे फंड चुनने होंगे जिनमें रिटर्न और रिस्क में संतुलन रहे.
Mutual Fund Investment : बड़ी तादाद में निवेशक इन दिनों म्यूचुअल फंड में एंट्री कर रहे हैं. खास कर SIP के जरिये इसमें निवेश करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक औसतन हर महीने 1 लाख SIP अकाउंट खोले जा रहे हैं. जबकि एक साल सिर्फ पहले दस हजार SIP अकाउंट जोड़े जा रहे थे. फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें तो वो आपको इक्विटी में पैसे लगाने के लिए SIP के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कहेंगे.
म्यूचुअल फंड के जरिये सिर्फ शेयर बाजार में ही नहीं, बल्कि डेट, गोल्ड और कमोडिटी में भी पैसे लगाए जा सकते हैं. लेकिन अगर आपको शेयर बाजार की ज्यादा समझ नहीं है या आप इसमें लगाए गए अपने पैसे की निगरानी के लिए वक्त नहीं निकाल सकते, तो म्यूचुअल फंड में निवेश निश्चत तौर पर अच्छा माध्यम है.
अब सवाल है कि म्यूचुअल फंड चुनें कैसे? क्योंकि बाजार में दर्जनों कंपनियों की हजारों म्यूचुअल फंड स्कीमें मौजूद हैं. सही म्यूचुअल फंड के चुनाव के इन चीजों पर गौर करना चाहिए.
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1.म्यूचुअल फंड का चुनाव
सबसे पहले तो आपको ये तय करना है कि आप किस मकसद से निवेश करना चाहते हैं तो आप कितना निवेश कर सकते हैं और कितने समय के लिए इसमें बने रह सकते हैं. अगर आपको साल-दो साल के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए अलग म्यूचुअल फंड होंगे. अगर आपको पांच, सात या दस साल या इससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करना है, तो उसके लिए दूसरे म्यूचुअल फंड होंगे. अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आप डेट फंड या लिक्विड फंड चुन सकते हैं. लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड सही रहेंगे.
2. जोखिम लेने की क्षमता
यह तय करें कि आप इस निवेश के लिए कितना जोखिम ले सकते हैं. ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम लेना पड़ता है. लेकिन निवेश में सिर्फ रिटर्न ही नहीं आपकी पूंजी यानी कैपिटल का प्रोटेक्शन भी होना चाहिए. मसलन, अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो इस बात का जोखिम नहीं ले सकते कि आपके निवेश की वैल्यू में गिरावट आ जाए,. आपको वैसे फंड चुनने होंगे जिनमें रिटर्न और रिस्क में संतुलन रहे.
3. फंड का पिछला प्रदर्शन जरूर देखें
जरूरी नहीं है कि फंड पहले दिए गए रिटर्न की तरह आगे भी मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए रिटर्न देता रहेगा. इस बात की गारंटी नहीं होती कि अगर किसी फंड ने अब तक अच्छा परफॉर्म किया है तो आगे भी उसका परफॉर्मेंस वैसा ही रहेगा. लेकिन अलग-अलग फंड्स के पिछले प्रदर्शन से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किसमें निरंतरता है. उसके प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव बाजार और इकोनॉमी से बहुत अलग तो नहीं हैं. इससे आपको अपनी पसंदीदा स्कीम और म्युचुअल फंड चुनने में मदद मिलेगी. आप अलग-अलग रेटिंग एजेंसियों की इन फंड्स को दी गई रेटिंग भी देख सकते हैं
4. खर्चों पर नजर डालें
किसी भी म्यूचुअल फंड को चुनते वक्त ये जरूर देखें कि उसमें निवेश से जुड़े खर्च क्या हैं. जिन खर्चों को आपको देखना होगा, वो हैं एंट्री और एक्जिट लोड, एसेट मैनेजमेंट चार्ज, एक्सपेंस रेश्यो. एसेट मैनेजमेंट चार्ज और एक्सपेंस रेश्यो भी जरूर देखें क्योंकि ये सारे खर्च आपके फायदे को कम कर देते हैं. 1.5 फीसदी तक का एक्सपेंस रेश्यो किसी म्यूचुअल फंड के लिए वाजिब माना जाता है, लेकिन इससे ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड में निवेश से बचें.
5. फंड हाउस और मैनेजर का रिकॉर्ड
जिस म्यूचुअल फंड स्कीम में आप पैसा लगाने जा रहे हैं, उस स्कीम को लाने वाली कंपनी और उसकी देखरेख करने वाले मैनेजर का रिकॉर्ड चेक करना भी काफी अहम है. फंड हाउस कितने समय से काम कर रहा है, उसकी दूसरी स्कीमों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है और कंपनी की साख बाजार में कैसी है. ये सारी जानकारी आपको किसी भी म्यूचुअल फंड कंपनी, जिसे एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) भी कहते हैं, की वेबसाइट पर मिल जाएगी. कई वेबसाइट हैं, जहां आप किसी भी फंड के परफॉर्मेंस, रेटिंग, पोर्टफोलियो वगैरह की जानकारी हासिल कर सकते हैं. थोड़ा सा समय दीजिए और फिर अपनी जरूरतों के मुताबिक फंड चुनकर निवेश शुरू कर दीजिए.
SIP से डेट फंड में निवेश क्यों है फायदेमंद? 5 पॉइंट्स में समझें पूरी बात
SIP के जरिए डेट फंड में इन्वेस्ट करके आप बेहतर तरीके से शॉर्ट टर्म गोल प्लान कर सकते हैं.
- Money9 Hindi
- Updated On - August 7, 2021 / 12:58 PM IST
इक्विटी म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान या SIP आजकल बहुत आम है. म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए लगातार छोटी राशि का निवेश किया जाता है, जिससे धीरे-धीरे बड़ा कॉर्पस क्रिएट किया जा सके. इसे लॉन्ग टर्म रखना है या शॉर्ट के लिए, ये व्यक्ति मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए के गोल पर डिपेंड करता है. वो अपनी जरूरत के हिसाब से इसे शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म के लिए रख सकता है. साथ ही निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटी या डेट में निवेश कर सकता है. आइए उन कारणों पर एक नज़र डालें, जो आपको बताएंगे कि SIP के माध्यम से डेट फंड में निवेश क्यों करना चाहिए:
शॉर्ट टर्म गोल
SIP के जरिए डेट फंड में निवेश करके आप बेहतर तरीके से शॉर्ट टर्म गोल प्लान कर सकते हैं. फिंटू के फाउंडर मनीष हिंगर ने कहा, “बेहतर रिटर्न, कम वोलैटिलिटी और अलग-अलग अवधि के लिए कई तरह के विकल्प SIP के जरिए डेट म्यूचुअल फंड में निवेश को एक अच्छी रणनीति बनाते हैं. अगर आपको हर महीने सैलरी मिलती है, तो शॉर्ट टर्म गोल के लिए डेट म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए निवेश करना चाहिए.”
हैंगर ने कहा, “हालांकि, मुझे लगता है कि इक्विटी में SIP के माध्यम से निवेश करना अधिक समझदारी है. क्योंकि इक्विटी एसेट क्लास ज्यादा अस्थिर है. लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए इक्विटी में SIP करना ज्यादा अच्छा है.”
बड़े खर्च से कमाई
यह आपको लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम जैसे बड़े खर्चों का भुगतान करने के लिए फाइनेंशियल ईयर के अंत में एकमुश्त राशि जमा करने में भी मदद कर सकता है. न केवल प्रीमियम का भुगतान करना, बल्कि आप अगले साल के लिए अपने एकमुश्त निवेश की योजना भी बना सकते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर आप साल की शुरुआत (5 अप्रैल से पहले) में PPF में पूरी रकम 1.5 लाख रुपये डिपॉजिट करते हैं, तो आपको अपने डिपॉजिट अमाउंट पर मैक्सिमम इंटरेस्ट मिलता है.
यदि आप हर साल 5 अप्रैल से पहले फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में 1.5 लाख रुपये डिपॉजिट करते हैं, तो आप फाइनेंशियल ईयर के अंत में डिपॉजिट करने वाले निवेशक की तुलना में लगभग 2.69 लाख रुपये अधिक कमाएंगे. यदि आप फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत (5 अप्रैल से पहले) में निवेश करते हैं, तो मेच्योरिटी अमाउंट 40.68 लाख रुपये होगा. यदि निवेश हर साल फाइनेंशियल ईयर के अंत में 15 साल के लॉक-इन पीरियड के लिए 7.1% की ब्याज दर पर किया जाता है तो यही राशि 37.98 लाख रुपये बनती है.
रुपी कॉस्ट एवरेजिंग
वोलैटिलिटी के दौरान रुपी कॉस्ट एवरेजिंग के माध्यम से आपको बेहतर रिटर्न मिलता है, मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए मुझे डेट फंड्स में निवेश क्यों करना चाहिए क्योंकि यह पोर्टफोलियो की वोलैटिलिटी को कम करने और एसेट अलोकेशन को बैलेंस करने में मदद करता है. डेट फंड फिक्स्ड-इनकम इन्वेस्टमेंट ऑप्शन की एक वाइड रेंज प्रोवाइड करता है, जो आपके रिस्क और इन्वेस्टमेंट की जरूरतों को पूरा करते हैं.
टैक्सेशन
टैक्स एक और कारण है, SIP के माध्यम से डेट फंड में निवेश करने का. डेट फंड में SIP के ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट जैसे बैंक RD से ज्यादा फायदे हैं. डेट फंड में बैंक RD की तुलना में टैक्स रेट कम होती है. जबकि बैंक RD इंटरेस्ट पर निवेश की अवधि के दौरान निवेशक के मार्जिनल टैक्स रेट पर टैक्स लगाया जाता है. वहीं, डेट फंड रिटर्न पर केवल रिडम्पशन पर टैक्स लगाया जाता है और लंबी अवधि के निवेशक (3 साल या अधिक) 20% टैक्स रेट पर इंडेक्सेशन बेनिफिट का फायदा उठा सकते हैं.
कम रिस्क
जो इन्वेस्टर इक्विटी एसेट क्लास का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, उनके लिए डेट फंड में SIP एक अच्छा सेविंग ऑप्शन है. लेकिन अगर आप ज्यादा रिटर्न चाहते हैं, तो आपको अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी को जोड़ना होगा. एडलवाइस AMC के हेड- सेल्स दीपक जैन ने कहा, “कुछ निवेशक ऐसे भी हैं जो डेट में भी SIP करते हैं, लेकिन इक्विटी में SIP करने वालों की तुलना में कम हैं. इक्विटी SIP लंबे समय में वेल्थ क्रिएट करती है. डेट म्यूचुअल फंड में इक्विटी की तुलना में रिस्क कम है और रिटर्न भी.”