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ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए?

ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए?
अगर किसी निवेशक ने बिजनेस न्यूज चैनलों और वेबसाइटों द्वारा दी गई खरीद की सिफारिशों के आधार पर ग्रेफाइट इंडिया का स्टॉक खरीदा होता तो उसे कितना नुकसान होता, क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं?

हैरान करने वाली,लेकिन सच: शेयर बाजार (Share Bazar) में 90% लोग अपना पैसा गंवा देते हैं।

शेयर और शेयर बाजार (Share Bazar) को लेकर एक बहुत पुराना, लेकिन लोकप्रिय चुटकुला है। अगर शेयर बाजार (Share Bazar) में आपका पैसा डूब गया है और आप दुखी हैं, तो परेशान मत होइये। आप अपने जान-पहचान वाले किसी ऐसे व्यक्ति से मिलिये, जिसने शेयर बाजार में पैसा गंवाया है, तो आप अच्छा महसूस करेंगे, क्योंकि आपका नुकसान कम हुआ है।

हालांकि यह मजाक दशकों से चल रहा है, लेकिन आज भी सही है। आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? है, जो कि हर दिन शेयर बाजार (Share Bazar) में पैसे गंवाते हैं। एक लोकप्रिय अनुमान के अनुसार, शेयर बाजार (Share Bazar) में 90% लोग अपना पैसा गंवा देते हैं। इनमें नए और अनुभवी निवेशक भी शामिल हैं।

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क्या, ये हैरान करने वाली बात नहीं है? लेकिन यह सच है शेयर बाजार (Share Bazar) में 90% लोग अपना पैसा गंवा देते हैं।

शेयर बाजार (Share Bazar) में निवेशकों का पैसा क्यों डूबता है, इसके बहुत सारे कारण हैं। आइये उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कुछ कारणों के बारे में हम चर्चा करते हैं।

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क्या आपके पास इस प्रकार के एसएमएस आते हैं- “XYZ कंपनी के 1000 शेयर रु. XX में खरीदें”,“इस कंपनी में एक महीने में काफी तेजी आएगी,क्योंकि ABC कंपनी उसको खरीदने वाली है” या “XYZ के शेयर बड़े पैमाने पर खरीदें, क्योंकि यह कंपनी ABC कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस का विशेष वितरण अधिकार खरीदने वाली है। इसलिये इसे अभी रु.XX की कम कीमत पर खरीदें और अगले कुछ समय में रु.XXX की अधिक कीमत पर बेच दीजिए”?

इस तरह के संदेश धोखेबाजों द्वारा जानबूझकर थोक एसएमएस के माध्यम से भेजे जाते हैं। शेयर बाजार (Share Bazar) कार्टेल के रूप में काम करने वाले ऐसे धोखेबाज सीधे-साधे निवेशकों को वैसे शेयरों में फंसाना चाहते हैं, जिनका कोई ठोस आधार नहीं होता है।

बहुत सारे निवेशक, खासकर नए, बिना सोचे-समझे वैसे किसी व्यक्ति के शेयर टिप्स के चक्कर में फंस जाते हैं, जो खुद ही इसके लिए किसी दूसरे के सलाह पर निर्भर रहता है। और अगर मान लिया किसी के लिए आज की डिजिटल दुनिया में दोस्तों/रिश्तेदारों/सहयोगियों के स्टॉक टिप्स के पर्याप्त नहीं हों। तो, ऐसे में सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप और बिजनेस न्यूज चैनलों पर स्टॉक टिप्स सहित सूचनाओं की लगातार बमबारी हो रही है। स्टॉक खरीदने के 3 गलत कारणों के बारे में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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इंदौर में एक सर्राफा व्यापारी का सोना गायब हो गया. व्यपारी ने एक कोरियर कंपनी को सोना पार्सल करने दिया था, जिसके बाद सोना गायब हो गया. व्यापारी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है.

मंदसौर के पिपलिया मंडी स्थित कृषि उपज मंडी में आग लग गई. मंडी में रखा सामान आग में जलकर खाक हो गया. सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पा लिया है.

मुरैना जिले में पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्रैफिक हवलदार की मारपीट करने वाले आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई की निंदा की है. पूर्व विधायक ने कहा कि चम्बल से रोजाना लाखों रुपये की रेत चोरी होती है. पुलिस उनके घरों को क्यों नहीं तोड़ती. उन्होंने कहा कि राजनैतिक लोगों से कहा कि पुलिस की इस तरह की कार्रवाईयों को रोका जाए, नहीं तो स्थिति बहुत खराब हो सकती है.

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14, Ellora Park society, Near Naranpura Four Cross Road, Opp Jain Temple, Naranpura, Ahmedabad - 380013
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258, Gandhi Lane , Swadeshi Market, Kalbadevi Road, Mumbai 400002, Maharashtra, India
Time: 12 PM to 6 PM

08:00 AM to 08:30 AM
09:00 PM to 10:00 PM

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अपराध की काली दुनिया में रखा कदम

बॉम्बे डॉक में काम करते हुए हाजी मस्तान वहां के कर्मचारियों व व्यापारियों को खूब खुश रखता था. उन दिनों व्यापारी चोरी-छिपे ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? विदेशी ट्रांजिस्टर, सोना-चांदी व विदेशी घड़ियों की तस्करी करते थे.

मस्तान ने इनका सामान डॉक से सुरक्षित बाहर निकालना शुरू कर दिया. इसके बदले उसे अच्छा पैसा मिलता था. मस्तान के बारे में कहा जाता है कि वह काला धंधा भी बड़ी ईमानदारी से करता था.

उसकी ईमानदारी का एक किस्सा खासा मशहूर है. इसके तहत एक बार एक व्यापारी हाजी मस्तान की मदद से सोने की तस्करी करना चाहता था. उसने हाजी मस्तान को सोने के कुछ बिस्कुट दे दिए और खुद भी छिपाकर डॉक से बाहर निकलने लगा.

हाजी मस्तान तो वहां से सुरक्षित बाहर निकल गया, लेकिन व्यापारी गिरफ्तार हो गया. उसे 4 साल की जेल हुई. आगे सजा काटने के बाद जब वह जेल से बाहर निकला, तो हाजी मस्तान ने ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? पूरा सोना उसे वापस कर दिया.

हुस्न-ओ- इश्क की गिरफ्त में

कहते हैं कि कोई भी शख्स कितना भी पत्थर-दिल और क्रूर क्यों न हो, उसके दिल के किसी कोने में बेशुमार मोहब्बत भी होती है.

हाजी मस्तान भी अपवाद नहीं था. सन 44 में हाजी मस्तान ने बॉम्बे डॉक में माल ढुलाई का काम शुरू किया था. इससे दो साल पहले यानी ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? सन् 1942 में महज 9 साल की उम्र में मधुबाला की बॉलीवुड में इंट्री हुई. फिल्म थी ‘बसंत’. इसके बाद उन्हें एक के बाद एक फिल्में मिलती गयीं और वह कामयाबी की बुलंदियों को छूती गयीं.

बेहद खूबसूरत मधुबाला के दीवानों की कमी नहीं थी. इन दीवानों में हाजी मस्तान भी था, लेकिन उसकी मोहब्बत एकतरफा थी. उसने कभी मधुबाला के सामने अपना इश्क जाहिर नहीं किया.

बस, चुपचाप इश्क का तसव्वुर करता रहा.

सत्तर के दशक के आखिरी वक्त में उसने हिम्मत जुटायी भी, लेकिन वह कुछ कह पाता कि मधुबाला चुपके से दुनिया-ए-फानी को अलविदा कह गयीं.

इमरजेंसी में गिरफ्तारी और…

26 जून 1975 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इशारे पर देश में आपातकाल लागू हुआ था. तमाम अपराधियों को एहतियातन जेलों में डाला जा रहा था. इसी क्रम में हाजी मस्तान को भी जेल में डाल दिया गया.

जेल में उसने करीब 18 महीने बिताये. इसी दौरान वह जय प्रकाश नारायण के संघर्ष व उनकी राजनीति से रूबरू हुआ और आखिरकार उसने अपराध की दुनिया को अलविदा कहने का मन बना लिया.

जेल से छूटने के बाद वह हज करने चला गया. हज कर लौटा, तो उसे ‘हाजी मस्तान’ नाम मिला. हज से लौटने पर हाजी मस्तान ने स्मगलिंग का धंधा छोड़कर वैध कामों में पैसे लगाने लगा. साथ ही सामाजिक ज्यादातर व्यापारियों ने पैसे क्यों गंवाए? कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया.

माना जाता है कि जेपी से ही प्रेरणा लेकर उसने 1985 के आसपास ‘दलित मुस्लिम सुरक्षा महासंघ’ नाम के राजनीतिक संगठन की स्थापना कर डाली थी. इस तरह वह राजनीति के सफर पर चला तो, लेकिन कोई बड़ा नाम नहीं कमा सका.

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