विश्व वित्तीय बाजार

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महगाई आउट विश्व वित्तीय बाजार ऑफ़ कंट्रोल क्यों ? RBI गवर्नर ने बताए 3 कारण
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तमाम कोशिशों के बाद भी देश में महंगाई काबू से बाहर हो गई है। आज शनिवार को एक कर्यक्रम में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई बढ़ने के कारणों पर बात की है। इसके साथ ही उन्होंने विश्व वित्तीय बाजार रुपया, डिजिटल करेंसी, विदेशी मुद्रा भंडार समेत अर्थव्यवस्था से संबंधित अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी है।
RBI गवर्नर विश्व वित्तीय बाजार शक्तिकांत दास ने बताया है कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था इस समय तनाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने इस हालात के लिए मुख्यतौर पर 3 कारणों को जिम्मेदार बताया है। शक्तिकांत दास ने कहा है कि कोरोना महामारी, यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध और वित्तीय बाजार के कारण उभरे संकट के चलते भारत समेत पूरे विश्व की इकोनॉमी स्ट्रेस में है। शक्तिकांत दास के अनुसार, वर्तमान में देश की GDP ग्रोथ के आंकड़े सही हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ तेजी से हो रहा है। महंगाई के आंकड़े भी अब धीरे-धीरे नियंत्रित हो रहे हैं।
इसके साथ ही RBI गवर्नर ने उम्मीद जताई है कि सितंबर के मुकाबले अक्टूबर के महंगाई आंकड़े राहत प्रदान करने वाले होंगे। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7 फीसद से कम होने की संभावना है। शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि यदि लगातार तीन तिमाहियों के लिए मुद्रास्फीति 6 फीसद से ऊपर है, तो इसे मौद्रिक नीति की नाकामी है।
आर्थिक मंदी में गिरता क्यों है शेयर बाजार? मंदी में कैसी होनी चाहिए निवेश की रणनीति
एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं? गिरावट में पैसा लगाना सुरक्षित रहेगा क्या? लम्बी अवधि के निवेशक जानते हैं कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती, जब मंदी हटेगी तो स्टॉक मार्केट भागेगी.
- News18Hindi
- Last Updated : July 29, 2022, 16:51 IST
हाइलाइट्स
एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं?
प्रॉफिट मार्जिन नहीं बढ़ता है तो शेयरों के भाव भी गिरने लगते हैं.
शेयर बाजार में किसी भी कारण गिरावट आती है तो शेयर खरीदने का अच्छा मौका होता है.
नई दिल्ली. अगर शेयर बाजार ऊपर भाग रहा हो तो भी निवेशक डरे रहते हैं कि खरीदें या नहीं, क्योंकि मार्केट में किसी भी समय गिरावट आ सकती है. और अगर बाजार लगातार गिर रहा हो तो भी निवेशक डरते हैं, पता नहीं कहां तक गिरेगा? जब आर्थिक मंदी के हालात हों तो बाजार की गिरावट का कोई स्तर नहीं होता. मंदी की भी कोई निश्चित अवधि नहीं होती.
ये सिचुएशन आपके सामने भी अक्सर आती होगी. आज हम इस जटिल विषय को समझने में आपकी मदद करेंगे. बड़ा सवाल यही है कि एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं? गिरावट में पैसा लगाना सुरक्षित रहेगा क्या?
गिर रहे शेयर बाजार की स्थिति को समझने के लिए आपको बाजार में त्योहारों पर लगने वाली सेल को समझना होगा. गिरते बाजार में लगभग सभी शेयर सेल पर होते हैं, मतलब अपनी असली कीमत से कम पर मिल रहे होते हैं. लेकिन जिस प्रकार त्योहारों की सेल में हर चीज सस्ती मिलने की वजह से भी आप सबकुछ नहीं खरीदते हैं, वैसे ही शेयर बाजार में सेल के समय हर स्टॉक खरीदना उचित नहीं है.
मंदी में क्यों गिरते हैं शेयर?
इसे समझना काफी आसान है. मंदी के दौरान लोग अपने खर्च को कंट्रोल कर लेते हैं. वे ज्यादा खर्च करने की अपेक्षा ज्यादा बचत करने लगते हैं. इससे कंपनियों को अच्छा प्रॉफिट नहीं मिल पाता और उनके रेवेन्यू में ग्रोथ नहीं होती. जब उनका रेवेन्यू या प्रॉफिट गिरने लगता है तो कंपनी अपने कई सारे काम रोक देती है, जैसे कि अपनी क्षमताओं का विस्तार या सरप्लस कैपेसटी को रोकना. जब कंपनियों के काम-धंधे रुक जाते हैं और प्रॉफिट मार्जिन नहीं बढ़ता है तो शेयरों के भाव भी गिरने लगते हैं.
इसके अलावा, विदेशी निवेशक, जिन्होंने शेयर बाजार में अच्छा-खासा पैसा लगाया होता है, वे भी गिरते बाजार में ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते और बाजार से पैसा निकाल लेते हैं. चूंकि विदेशी निवेशकों को अपने यहां ब्जाय दरें अच्छी मिलने लगती हैं तो वे पैसा ब्याज के लिए पार्क कर देते हैं या फिर निवेश के लिहाज से सेफ हेवन माने वाले वाले सोने और चांदी में लगाते हैं.
निवेश का मौका है आर्थिक मंदी!
लम्बी अवधि के निवेशकों के दिमाग में एक बात हमेशा रहती है कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती. जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर निकलेगी, वैसे-वैसे ही शेयर बाजार में भी पॉजिटिविटी आएगी. इसलिए जब भी शेयर बाजार में किसी भी कारण गिरावट आती है तो शेयर खरीदने का अच्छा मौका होता है.
अब आप भी सोच रहे होंगे कि गिरावट में खरीदना तो ठीक, लेकिन गिरावट में भी कब खरीदा जाए. इस बात का क्या गारंटी है कि गिरावट वहीं तक होगी या बाजार और नहीं गिरेगा? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये तो कोई भी नहीं जान सकता कि बाजार कहां तक गिरेगा और कहां से उठेगा. लेकिन यदि आपका नजरिये लम्बी अवधि के लिए निवेश करने का है तो आप गिरावट में थोड़ा-थोड़ा माल उठाना शुरू कर सकते हैं. माल से अभिप्राय शेयर्स से है.
यहां एक बात और ध्यान में रखने लायक है कि निवेशकों के लिए मंदी के दौरान निवेश करने की सबसे अच्छी रणनीति यह होती है कि कम कर्ज वाली कंपनियों में निवेश करें, जिनका कैश फ्लो भी अच्छा हो और बैलेंस शीट मजबूत हो. इसके विपरीत, अत्यधिक लीवरेज, चक्रीय (साइकिलिक), या स्पेक्युलेटिव कंपनियों के शेयरों से बचा जाना चाहिए.
निवेश के लिए 2 तरह की रणनीतियां
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity mutual funds): इस रणनीति में, सीधे शेयरों में निवेश करने की कोशिश करने के बजाय निवेशक म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं. जब शेयर बाजार एक मंदी के दौर से उबरता है, तो रिकवरी आमतौर पर व्यापक होती है. मतलब कई स्टॉक एक साथ ऊपर जाते हैं. डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड में निवेश करना इसलिए बेहतर होता है, क्योंकि निवेशक कुछ चुनिंदा शेयरों पर दांव लगाने के बजाय, इस तरह की व्यापक रिकवरी से लाभ उठा सकते हैं. इस रणनीति से मिलने वाला रिटर्न सबसे अच्छा होता है. यहां एक फैक्टर आपके फेवर में यह भी होता है कि म्यूचुअल फंड हाउस किसी खराब शेयर में पैसा नहीं लगाते.
सीधे स्टॉक्स में निवेश: यह रणनीति केवल उन निवेशकों के लिए अच्छी है, जिनके पास शेयर बाजार का पर्याप्त ज्ञान है. जिन्हें पता है कि शेयर बाजार कैसे संचालित होता है और कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण क्या होता है. यह उन निवेशकों के लिए भी उपयुक्त है, जो अधिक जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं या वित्तीय संकट के बिना नुकसान को अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं. ऐसे निवेशक इस बात से भी वाकिफ हैं कि एक बेयर बाजार में कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में जल्दी रिकवर करने वाले होते हैं. उदाहरण के लिए, उपभोक्ता, फार्मा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों की कंपनियों की मांग हमेशा बनी रहती है और ये जल्दी रिकवर करती हैं. इसी तरह, जानकार निवेशक रियल एस्टेट जैसे चक्रीय क्षेत्रों से बचते हैं, जहां टर्नअराउंड अवधि लंबी हो सकती है.
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Legal Crypto: क्या मुमकिन है लीगल क्रिप्टो की दुनिया? जानें क्या हैं खतरे और फायदे
Legal Crypto: क्रिप्टो पर दुनिया के सामने दो विकल्प हैं एक विकल्प साधन को विनियमित करने का है तो दूसरा रास्ता इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का है।
Legal Crypto (PHOTO:social media )
Legal Crypto: क्रिप्टो की तेजी से पिघलती दुनिया के बीच, भारत सरकार ने जी 20 देशों की शिखर बैठक के दौरान इस मुद्रा के अस्थिर साधन को विनियमित करने पर निर्णय लेने की मांग की है इसकी वजह यह है कि सरकार इसके विनियमित करने के विकल्पों का आकलन कर रही है। यह जानकारी शीर्ष अधिकारियों ने दी है।
क्रिप्टो पर दुनिया के सामने दो विकल्प हैं एक विकल्प साधन को विनियमित करने का है तो दूसरा रास्ता इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का है, जैसा कि आरबीआई द्वारा सुझाया भी गया है। लेकिन एक अंतिम प्रयास अभी बाकी है क्योंकि नियामक एजेंसियां और सरकार के विभिन्न विंग सबसे अच्छे समाधान का आकलन कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने इसे विनियमित करने के संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया है।
अधिकारी ने कहा, क्रिप्टो करेंसी के जोखिमों और कुछ लाभों के आधार पर विचार कर हमें विश्व स्तर पर एक उच्च नियामक मानक की आवश्यकता है, हमें सीमा पार भुगतान की लागत को कम करने के लिए कदम उठाने की भी आवश्यकता है और हम वित्तीय स्थिरता के संदर्भ में बहुत सक्रिय रूप से वित्तीय कार्रवाई कार्य बल और आईएमएफ जैसे बहुपक्षीय बैंकों के साथ काम कर रहे हैं ताकि वैश्विक स्तर पर इस संकट को वास्तविक रूप में संबोधित किया जा सके।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि देशों के इस संबंध में अलग-अलग विचार हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि उनके हित में क्या है। एक अधिकारी ने तर्क दिया कि अमेरिका जैसा देश प्रतिबंध के पक्ष में नहीं हो सकते हैं क्योंकि क्रिप्टो करेंसी वैश्विक अर्थव्यवस्था के डॉलरीकरण में सहायता करेगी।
क्रिप्टो जैसे उपकरण से जुड़े कई लाभ
वे यह भी स्वीकार करते हैं कि प्रतिबंध सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है, यह देखते हुए कि इसे रोकने के तरीके हैं और एक फुल प्रूफ तंत्र होना असंभव है। इसके अलावा, कई अन्य का तर्क है कि क्रिप्टो जैसे उपकरण से जुड़े कई लाभ हैं और कोई भी देश इस तरह के उपकरण से पूरी तरह अलग नहीं हो सकता है।
आरबीआई ने इस आधार पर प्रतिबंध लगाने का तर्क दिया है कि क्रिप्टो करेंसी जैसे साधन के पास इसे वापस करने के लिए कोई अंतर्निहित संपत्ति नहीं है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति देने से मुद्रा और वित्तीय बाजारों को विनियमित करना कठिन हो जाएगा। इसके अलावा डॉलरीकरण का खतरा भी रहेगा। इसके अलावा, बैंक ने कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित चिंताओं को भी रेखांकित किया है। यह कुछ ऐसा है जो इसका समर्थन करने वाले नियमों से मुकाबले को कठिन बना रहा है।
ईडी जैसी जांच एजेंसियों द्वारा हाल की कार्रवाई से आरबीआई के पक्ष को बल मिलता है, जिन्होंने देश से अवैध रूप से धन निकालने के उदाहरण पाए हैं। नियमन पर, पीएम नरेंद्र मोदी और विश्व वित्तीय बाजार साथ ही एफएम निर्मला सीतारमण ने तर्क दिया है कि किसी एक देश के लिए एकतरफा कदम उठाना मुश्किल हो सकता है और इसके लिए वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है। जिस पर सबको मिलकर विचार करना चाहिए।