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उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग

उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग

अधिदेश

लेखापरीक्षा से संबंधित प्रावधान नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें) अधिनियम 1971 की धारा 13 से 21, 23 और 24 में सन्निहित हैं । अधिनियम की धारा 13, नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को भारत के समेकित निधि से लेकर प्रत्येक राज्य और विधान परिषद वाले प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के सभी खर्चों की लेखापरीक्षा करने का अधिकार प्रदान करती है। व्यय से सम्बन्धित लेखापरीक्षा का क्षेत्र व्यापक है और इसमें निम्नांकित शामिल हैं:

• निधि के प्रावधान की लेखापरीक्षा ।

• कार्यक्षमता सह निष्पादन या मितव्ययिता लेखापरीक्षा ।

लेखापरीक्षा में लेखाओं की पूर्णता और सटीकता की जांच यह सत्यापित करने के लिए की जाती है कि भुगतानों के उचित वाउचर या प्रमाण हैं या नहीं ।निधि के प्रावधान की लेखापरीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि क्या लेखाओं में संवितरित दिखाया गया धन, कानूनी रूप से उसी सेवा या उद्देश्य के लिए उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग उपलब्ध था या नहीं जिसके लिए उन्हें उपयोग या प्रभारित किया गया था।

नियामक लेखापरीक्षा का उद्देश्य यह देखना है कि क्या व्यय उस प्राधिकरण के अनुरूप है, जो इसे नियंत्रित करता है। प्रोप्रायटरी ऑडिट का उद्देश्य व्यय की औपचारिकता से परे कार्यकारी कार्रवाई की औचित्य की जांच करने के लिए किया जाता है, जिसमें इसकी समझदारी, विश्वसनीयता और मितव्ययिता शामिल होती है और अपव्यय, नुकसान और फालतू खर्च के मामलों को ध्यान में लाया जाता है।

कार्यक्षमता-सह-निष्पादन या मितव्ययिता लेखापरीक्षा विकास तथा अन्य कार्यक्रमों और योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रगति और उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग दक्षता का एक व्यापक मूल्यांकन है, जिसमें एक आकलन किया जाता है कि क्या इनका निष्पादन मितव्ययी है और क्या यह अपेक्षित परिणाम दे रहे हैं ।

सिस्टम ऑडिट में प्राधिकरण, रिकॉर्डिंग, लेखांकन और आंतरिक नियंत्रकों को शासित करने वाले संगठन और प्रणालियों का विश्लेषण और गुणवत्ता और निष्पादन के मानकों का मूल्यांकन किया जाता है।

अधिनियम की धारा 13 के अनुसार नियंत्रक और महालेखापरीक्षक द्वारा संघ, राज्यों और विधान सभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के आकस्मिक निधि और लोक लेखा से संबंधित सभी लेन-देनों की लेखापरीक्षा तथा संघ या राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के किसी भी विभाग में रखे गए सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ और हानि लेखाओँ और बैलेंस शीट और अन्य सहायक खातों की लेखापरीक्षा की जाती है ।

यह धारा नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक को लेखापरीक्षित लेखाओँ, व्यय या लेनदेन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का दायित्व भी सौंपती है ।

  • विभिन्न निकायों और प्राधिकरणों को अनुदान और ऋणों की लेखापरीक्षा

सरकारों द्वारा अपनी समेकित निधि से किया गया व्यय अक्सर विभिन्न निकायों और प्राधिकरणों को अनुदान और ऋण के रूप में होता है। अधिनियम की धारा 13 के तहत, इस तरह के व्यय की लेखापरीक्षा का दायित्व नियंत्रक और महालेखापरीक्षक का है। हालांकि, इस मामले में ऑडिट सरकारी कार्यालयों में उपलब्ध रिकॉर्ड तक ही सीमित है और इसकी ओर निर्देशित है:

i. अनुदान या ऋण की स्वीकार्यता और मंजूरी की पर्याप्तता की जांच करना; तथा

ii. अनुदानों और ऋणों को नियंत्रित करने वाली शर्तों की पूर्ति और उन अपेक्षित उद्देश्यों के लिए उपयोगिता के विषय में ध्यान रखना। अधिनियम ने धारा 14 और 15 में भारत सरकार या राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से अनुदान या/और ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले प्राधिकरणों और निकायों के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए उन अनुभागों में निर्दिष्ट कुछ शर्तों और मानदंडों के अधीन प्रावधान किए हैं।

अधिनियम की धारा 16 में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक द्वारा भारत की समेकित निधि और प्रत्येक राज्य और विधान सभा वाले प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश को भुगतेय सभी प्राप्तियों की लेखापरीक्षा के लिए प्रावधान हैं । उन्हें स्वयं भी संतुष्ट होना होता है कि इस संबंध में नियम और प्रक्रियाएँ, राजस्व के निर्धारण, संग्रहण और उचित आवंटन पर एक प्रभावी जाँच के लिए डिज़ाइन किया गया है और इनका विधिवत निरीक्षण किया जा रहा है। इसके अंतर्गत संबन्धित प्रयोजन के लिए लेखाओं की परीक्षा फिट बैठती है या नहीं और उसके बारे में रिपोर्ट करना भी शामिल है।

अधिनियम की धारा 17 नियंत्रक और महालेखापरीक्षक में संघ या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के किसी भी कार्यालय या विभाग में रखे गए भंडार और स्टॉक के लेखाओं की लेखापरीक्षा और उस पर रिपोर्ट करने का अधिकार प्रदान करता है।

अधिनियम की धारा 19 सरकारी कंपनियों और निगमों के खातों की लेखापरीक्षा के संबंध में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है । इन कर्तव्यों और शक्तियों का धारा 19 के उप-वर्गों (1) और (2) के तहत निष्पादन और अभ्यास किया जाना है:

i. सरकारी कंपनियों के मामले में, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 और 619 में निहित प्रावधानों के अनुसार, तथा

ii. संसद द्वारा या कानून के तहत बनाए या स्थापित किए गए निगमों के मामले में संबद्ध विधानों के प्रावधानों के अनुसार,

हालाँकि, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून के तहत स्थापित निगम की स्थिति अलग है। संविधान के तहत, केवल संसद कानून द्वारा नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के अधिकारों को निर्धारित कर सकती है।

अधिनियम की धारा 19 की उपधारा (3) में यह प्रावधान है कि किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विधानमंडल द्वारा कानून द्वारा स्थापित निगम की लेखापरीक्षा राज्य के राज्यपाल या संबंधित केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक द्वारा नियंत्रक और महालेखापरीक्षक से परामर्श के बाद तथा इस तरह के ऑडिट के प्रस्ताव के संबंध में अभ्यावेदन करने के उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग लिए संबंधित निगम को एक उचित अवसर देने के बाद नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को जनहित में सौंपी जा सकती है।

अधिनियम की धारा 19 ए के तहत, धारा 19 के अधीन लेखापरीक्षित सरकारी कंपनी या निगम के लेखाओं के संबंध में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट संबद्ध सरकार या सरकारों को संसद/विधायिका के समक्ष रखे जाने के लिए प्रस्तुत की जानी है।

संविधान के अनुच्छेद 151 के अनुसार नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को संघ और किसी राज्य के लेखाओं से संबंधित रिपोर्ट को मामले के अनुसार संसद / विधानमंडल के समक्ष रखे जाने के लिए राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है ।

केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम 1963 की धारा 49 में इसी तरह का प्रावधान मौजूद हैं, जिसके अनुसार विधान सभा वाले केंद्र शासित प्रदेश के खातों के संबंध में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट विधानमंडल के समक्ष रखे जाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है ।

ये रिपोर्ट संघ, एक राज्य या एक केंद्र शासित प्रदेश, जैसा भी मामला हो, के लेखाओं की समग्रता से संबंधित है और इसमें न केवल इनके खर्च बल्कि इनकी प्राप्तियाँ भी शामिल होती हैं ।

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उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग

नई दिल्ली. अब आप शेयरों की तरह सोने की भी खरीद-बिक्री कर सकेंगे. इसकी ट्रेडिंग सोमवार से लेकर शुक्रवार तक होगी. बाजार नियामक सेबी ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. इसके तहत शेयर बाजार इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स सेगमेंट में कारोबार की समय-सीमा सुबह 9 बजे से लेकर रात 11.55 बजे के भीतर तय कर सकते हैं.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सर्कुलर में शेयर बाजार पर ईजीआर की खरीद-बिक्री से जुड़े विभिन्न पहलुओं का विवरण देते हुए लेनदेन पर लगाए जाने वाले शुल्क, थोक सौदों, कीमत दायरा, इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड एंड इन्वेस्टर सर्विस फंड के प्रावधान भी निर्धारित किए हैं.

सोना जमा करने पर मिलेगी इलेक्ट्रॉनिक रसीद

सर्कुलर के मुताबिक, ईजीआर की लेनदेन पर शेयर बाजारों की ओर से लगाए जाने वाले शुल्क को उचित रखने की जिम्मेदारी एक्सचेंज की होगी, ताकि निवेशकों के हित प्रभावित न हों. सेबी ने गोल्ड एक्सचेंज का जो खाका बनाया है, उसके मुताबिक फिजिकल गोल्ड जमा करने पर एक इलेक्ट्रॉनिक रसीद दी जाएगी. ये रसीद गोल्ड एक्सचेंज पर ट्रेड होगी. इस इलेक्ट्रॉनिक रसीद को जमा करके फिजिकल सोने की डिलिवरी भी ली जा सकेगी.

1 फरवरी से स्वीमिंग पूल में लगा सकेंगे गोते, सिनेमा हॉल की सीट भी बढ़ीं, नई गाइड लाइन जारी

नई गाइड लाइन (new COVID-19 guidelines0 के मुताबिक, राज्यों के भीतर या एक राज्य से दूसरे राज्य में आवागमन पर किसी तरह की पाबंदी नहीं होगी.

खिलाड़ियों के लिए स्वीमिंग पूल को पहले ही अनुमति दे दी गयी थी. अब सभी के लिए इसे खोलने की अनुमति दी गयी है.

Covid-19 guidelines: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने कोविड-19 संबंधी नए दिशा-निर्देश (new COVID-19 guidelines) के तहत सिनेमा हॉल और थियेटरों को ज्यादा क्षमता के साथ संचालन जारी रखने की अनुमति दे दी, वहीं स्वीमिंग पूलों को भी सबके लिए खोलने की मंजूरी उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग दे दी. यह नया दिशा-निर्देश एक फरवरी से लागू होगा.

नई गाइड लाइन (new COVID-19 guidelines0 के मुताबिक, राज्यों के भीतर या एक राज्य से दूसरे राज्य में आवागमन पर किसी तरह की पाबंदी नहीं होगी. इसके लिए किसी तरह की अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं होगी. कंटेनमेंट जोन के बाहर कुछ को छोड़कर सभी गतिविधियों की अनुमति दी गई है और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का भी पालन करना होगा.उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग

सामाजिक, धार्मिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक जमावड़े को हॉल में अधिकतम 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग की पहले ही अनुमति दी जा चुकी है. बंद जगहों पर 200 लोगों तक की अनुमति होगी.

सिनेमा हॉल की सीटों में इजाफा (Cinema halls and theatres)
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की एसओपी के हिसाब से इस तरह के जमावड़े की अनुमति दी जाएगी. सिनेमा हॉल और थियेटरों को अधिकतम 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दी गयी थी. अब वे ज्यादा क्षमता के साथ काम कर सकेंगे. इसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय, गृह मंत्रालय के साथ परामर्श कर उचित दिशानिर्देश के तहत ट्रेडिंग संशोधित एसओपी जारी करेगा.

PM Modi

सभी के लिए खुले स्वीमिंग पूल (Swimming pools Open for all)
खिलाड़ियों के लिए स्वीमिंग पूल को पहले ही अनुमति दे दी गयी थी. अब सभी के लिए इसे खोलने की अनुमति दी गयी है. युवा और खेल मामलों का मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs), केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ परामर्श कर इसके लिए संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया जारी करेगा.

कारोबारी प्रदर्शनी की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है. अब सभी तरह की प्रदर्शनी की अनुमति होगी. इसके लिए वाणिज्य विभाग, केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ परामर्श कर एसओपी जारी करेगा.

जिला प्रशासन जरूरत पड़ने पर कंटेनमेंट जोन को चिन्हित करेगा. कंटेनमेंट जोन के भीतर संक्रमण रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना होगा. इन क्षेत्रों में कड़ाई से नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी जिला, पुलिस और निगम की होगी.

दिशा-निर्देश में कहा गया कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कोविड-19 के संबंध में उपयुक्त व्यवहार अपनाए जाने को बढ़ावा देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. मास्क पहनना, उचित दूरी का पालन करना और हाथ धोने के संबंध में जागरूकता बढ़ायी जाएगी.

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भारत सरकार

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बैठक के कार्यवृत्त (टी.आई.ई.सी., सी.टी.डी.पी बैठकों, आदि पर अधिकार प्राप्त समिति), स्कीम (टी.आई.ई.एस. /ए.एस.आई.डी.ई.) दिशानिर्देश, अधिसूचनाएँ, वाणिज्य विभाग में राज्यों का प्रभार सौंपे गये नोडल अधिकारियों की सूची, निर्यात आयुक्तों की सूची और महत्वपूर्ण अपडेट वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं , जिसे व्यापार संवर्धन सहायता में देखा जा सकता है।

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