शुरुआती लोगों के लिए अवसर

रणनीति कैसे लागू करें

रणनीति कैसे लागू करें

हिमाचल प्रदेश: बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस की रणनीति कितनी कारगर?

कांग्रेस बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दे के साथ जंग में उतरी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी राम मंदिर, अनुच्छेद 370, सर्जिकल रणनीति कैसे लागू करें स्ट्राइक जैसे राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने की कोशिशों में हैं.

By: अलका राशि | Updated at : 11 Nov 2022 12:57 PM (IST)

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव

हिमाचल प्रदेश में कल यानी 12 नवंबर को चुनाव है. यहां 68 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में चुनाव होगा. इसके साथ ही चुनाव प्रचार का शोर भी थम गया है ऐसे में अब दोनों ही बड़ी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ने की कोशिश में घर-घर प्रचार में जुट गई है. इस सूबे की जनता ने 5-5 साल बीजेपी- कांग्रेस दोनों को ही मौका दिया है. प्रदेश की जनता ने साल 1985 से यहां हर 5 साल पर सत्ता में बदलाव किया है. ऐसे में जहां कांग्रेस की उम्मीदें इसी ट्रेंड पर हैं, तो बीजेपी के रणनीति कैसे लागू करें सामने अपना पिछला प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है.

बीजेपी और कांग्रेस ने क्या उठाए मुद्दे

एक तरफ जहां कांग्रेस बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दे के साथ जंग में उतरी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी मोदी लहर को भुनाने की कोशिशों में हैं. हिमाचल चुनाव को भारतीय जनता पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा की साख से जुड़ा माना जा रहा है क्‍योंकि हिमाचल उनका ही गृहप्रदेश है.

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कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर के भरोसे

इस बार चुनाव में एक तरफ जहां जनता का मूड भांपना आसान नहीं लग रहा वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को अपनी जीत का हथियार बनाकर चल रही है.कांग्रेस ने पूरे प्रचार प्रसार के दौरान महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और खराब गवर्नेंस को हथियार बनाकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की है.

लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को छह दशक तक राजनीति में सक्रिय रहे और हिमाचल प्रदेश में छह बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह की कमी खलेगी. हालांकि पार्टी सूबे में वीरभद्र सिंह के काम और उनकी विरासत को लेकर जनता के बीच जाना चाहती है. यही कारण है कि दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह और मंत्री रह चुके बीडी बाली के बेटे रघुबीर बाली को टिकट दिया गया है.

वीरभद्र के परिवार पर जनता का भरोसा

सूबे के चहेते नेताओं में शामिल वीरभद्र सिंह के जाने के बाद भी जनता के बीच उनकी छवि अभी बरकरार है. हालांकि उनकी आम लोग उनकी पत्नी और बेटे के राजनीतिक प्रभाव को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. हालांकि हिमाचल प्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वाले राजनीतिक विश्लेषक ने बीबीसी को बताया कि प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह के परिवार की अहमियत और प्रभाव काफ़ी है.

उन्होंने कहा कि राज घराने से होने के बावजूद वीरभद्र सिंह ने जनता के बीच एक सच्चे लोकतांत्रिक नेता की जगह बनाई है. हिमाचल प्रदेश के संस्थापक कहे जाने वाले डॉक्टर वाईएस परमार के बाद अगर प्रदेश की राजनीति और इतिहास में कोई नाम मज़बूती से दर्ज होगा वो वीरभद्र सिंह का है.

हिमाचल प्रदेश की राजनीति को क़रीब से देखने वाले राजनीतिक विश्लेषक और राष्ट्रीय स्तंभकार केएस तोमर कहते हैं कि प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह के परिवार की अहमियत और प्रभाव काफ़ी है.

वो कहते हैं, ''वीरभद्र सिंह राज घराने से थे, लेकिन इसके बावजूद वो एक सच्चे लोकतांत्रिक नेता थे. हिमाचल प्रदेश के संस्थापक के बाद राजनीति और इतिहास में कोई ऐसा नाम जो मज़बूती से दर्ज होगा वो वीरभद्र सिंह का है. उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत कम नेता मिलेंगे जो छह बार मुख्यमंत्री, 9 बार विधायक, पांच बार सांसद हन चुके हैं. वो राजा साहब के नाम से जाने जाते थे. हर कोई उन्हें राजा साहब ही मानता था. इसके अलावा कांग्रेस का उनके बेटे पर भरोसा दिखाना भी स्पष्ट करता है कि वह वीरभद्र की विरासत को आगे बढ़ाना चाहती है."

पेंशन बड़ा मुद्दा, भुना सकेगी कांग्रेस?

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने प्रचार के दौरान में एक लाख नौकरियां देने के साथ ही पुरानी पेंशन योजना को तुरंत लागू करने का वादा कर एक बड़ा दाव खेला है. उन्होंने हिमाचल की जनता से वादा करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन योजना कोई चुनावी जुमला नहीं है और इसे छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पहले ही लागू कर चुकी है. कांग्रेस के घोषणापत्र में भी पेंशन योजना शामिल है.

पेंशन क्यों बना सियासी मुद्दा?

दरअसल राज्य के एनपीएल में आने वाले सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना ओपीएस की बहाली की मांग कर रहे हैं. प्रदेश के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. इस कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ने दावा किया है कि वह सत्ता में आने के बाद ओपीएस करेंगे. राज्य के लोकल लोगों को मानना है कि राज्य में महंगाई की रफ्तार बढ़ रही है और एनपीएस के तहत मिलने वाला पेंशन काफी कम होता है, इसलिए लोग अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं.

बीजेपी है पीएम मोदी के सहारे

एक तरफ जहां कांग्रेस बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दे के साथ जंग में उतरी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी मोदी लहर को भुनाने की कोशिशों में हैं. दरअसल सूबे की जनता के बीच पीएम नरेंद्र मोदी एक आकर्षण बरकरार है और इसी का फायदा उठाने की बीजेपी पुरजोर कोशिश कर रही हैं. यही कारण है कि इस चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री राज्य का तीन बार दौरा कर चुके है.

उन्होंने अपने दौरे की शुरुआत अगस्त से ही कर दी थी. इन दौरे के दौरान उन्होंने पहाड़ी राज्य की जनता को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी हर सीट के लिए पार्टी ने खास रणनीति तैयार की है.

इस चुनाव की अहमियत को देखते हुए बीजेपी ने अपने 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी. इसमें पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, खेल, युवा मामलों के मंत्री और सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम शामिल था.

बीजेपी और कांग्रेस के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती क्‍या हैं?

इस चुनाव में बेरोजगारी, ओपीएस और सेव किसानों का अहम मुद्दा है. वहीं कांग्रेस के प्रचार को देखें तो ने इस बार पार्टी ने काफी अच्‍छा कैंपेन किया है. लेकिन वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस के लिए लीडरशिप चुनौती है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने पीएम मोदी से लेकर योगी आदित्‍यनाथ तक स्‍टार प्रचारकों को उतारा है. आमतौर ऐसा मानना है कि पहाड़ी राज्‍यों में परिणाम एकतरफा आते हैं लेकिन इस बार जनता का मूड बदला बदला नजर आ रहा है. बीजेपी के लिए बागी और ओपीएस जैसे मुद्दे चुनौती है.

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Published at : 11 Nov 2022 12:33 PM (IST) Tags: Himachal Assembly Election 2022 Himachal Elections 2022 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

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कांग्रेस बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दे के साथ जंग में उतरी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी राम मंदिर, अनुच्छेद 370, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे राष्ट्रीय मुद्दों को भुनाने की कोशिशों में हैं.

By: अलका राशि | Updated at : 11 Nov 2022 12:57 PM (IST)

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव

हिमाचल प्रदेश में कल यानी 12 नवंबर को चुनाव है. यहां 68 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में चुनाव होगा. इसके साथ ही चुनाव प्रचार का शोर भी थम गया है ऐसे में अब दोनों ही बड़ी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ने की कोशिश में घर-घर प्रचार में जुट गई है. इस सूबे की जनता ने 5-5 साल बीजेपी- कांग्रेस दोनों को ही मौका दिया है. प्रदेश की जनता ने साल 1985 से यहां हर 5 साल पर सत्ता में बदलाव किया है. ऐसे में जहां कांग्रेस की उम्मीदें इसी ट्रेंड पर हैं, तो बीजेपी के सामने अपना पिछला प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है.

बीजेपी और कांग्रेस ने क्या उठाए मुद्दे

एक तरफ जहां कांग्रेस बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दे के साथ जंग में उतरी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी मोदी लहर को भुनाने की कोशिशों में हैं. हिमाचल चुनाव को भारतीय जनता पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा की साख से जुड़ा माना जा रहा है क्‍योंकि हिमाचल उनका ही गृहप्रदेश है.

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लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को छह दशक तक राजनीति में सक्रिय रहे और हिमाचल प्रदेश में छह बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह की कमी खलेगी. हालांकि पार्टी सूबे में वीरभद्र सिंह के काम और उनकी विरासत को लेकर जनता के बीच जाना चाहती है. यही कारण है कि दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह और मंत्री रह चुके बीडी बाली के बेटे रघुबीर बाली को टिकट दिया गया है.

वीरभद्र के परिवार पर जनता का भरोसा

सूबे रणनीति कैसे लागू करें के चहेते नेताओं में शामिल वीरभद्र सिंह के जाने के बाद भी जनता के बीच उनकी छवि अभी बरकरार है. हालांकि उनकी आम लोग उनकी पत्नी और बेटे के राजनीतिक प्रभाव को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. हालांकि हिमाचल प्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वाले राजनीतिक विश्लेषक ने बीबीसी को बताया कि प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह के परिवार की अहमियत और प्रभाव काफ़ी है.

उन्होंने कहा कि राज घराने से होने के बावजूद वीरभद्र सिंह ने जनता के बीच एक सच्चे लोकतांत्रिक नेता की जगह बनाई है. हिमाचल प्रदेश के संस्थापक कहे जाने वाले डॉक्टर वाईएस परमार के बाद अगर प्रदेश की राजनीति और इतिहास में कोई नाम मज़बूती से दर्ज होगा वो वीरभद्र सिंह का है.

हिमाचल प्रदेश की राजनीति को रणनीति कैसे लागू करें क़रीब से देखने वाले राजनीतिक विश्लेषक और राष्ट्रीय स्तंभकार केएस तोमर कहते हैं कि प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह के परिवार की अहमियत और प्रभाव काफ़ी है.

वो कहते हैं, ''वीरभद्र सिंह राज घराने से थे, लेकिन इसके बावजूद वो एक सच्चे लोकतांत्रिक नेता थे. हिमाचल प्रदेश के संस्थापक के बाद राजनीति और इतिहास में कोई ऐसा नाम जो मज़बूती से दर्ज होगा वो वीरभद्र सिंह का है. उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत कम नेता मिलेंगे जो छह बार मुख्यमंत्री, 9 बार विधायक, पांच बार सांसद हन चुके हैं. वो राजा साहब के नाम से जाने जाते थे. हर कोई उन्हें राजा साहब ही मानता था. इसके अलावा कांग्रेस का उनके बेटे पर भरोसा दिखाना भी स्पष्ट करता है कि वह वीरभद्र की विरासत को आगे बढ़ाना चाहती है."

पेंशन बड़ा मुद्दा, भुना सकेगी कांग्रेस?

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने प्रचार के दौरान में एक लाख नौकरियां देने के साथ ही पुरानी पेंशन योजना को तुरंत लागू करने का वादा कर एक बड़ा दाव खेला है. उन्होंने हिमाचल की जनता से वादा करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन योजना कोई चुनावी जुमला नहीं है और इसे छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पहले ही लागू कर चुकी है. कांग्रेस के घोषणापत्र में भी पेंशन योजना शामिल है.

पेंशन क्यों बना सियासी मुद्दा?

दरअसल राज्य के एनपीएल में आने वाले सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना ओपीएस की बहाली की मांग कर रहे हैं. प्रदेश के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. इस कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ने दावा किया है कि वह सत्ता में आने के बाद ओपीएस करेंगे. राज्य के लोकल लोगों को मानना है कि राज्य में महंगाई की रफ्तार बढ़ रही है और एनपीएस के तहत मिलने वाला पेंशन काफी कम होता है, इसलिए लोग अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं.

बीजेपी है पीएम मोदी के सहारे

एक तरफ जहां कांग्रेस बेरोजगारी महंगाई जैसे मुद्दे के साथ जंग में उतरी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी मोदी लहर को भुनाने की कोशिशों में हैं. दरअसल सूबे की जनता के बीच पीएम नरेंद्र मोदी एक आकर्षण बरकरार है और इसी का फायदा उठाने की बीजेपी पुरजोर कोशिश कर रही हैं. यही कारण है कि इस चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री राज्य का तीन बार दौरा कर चुके है.

उन्होंने अपने दौरे की शुरुआत अगस्त से ही कर दी थी. इन दौरे के दौरान उन्होंने पहाड़ी राज्य की जनता को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी हर सीट के लिए पार्टी ने खास रणनीति तैयार की है.

इस चुनाव की अहमियत को देखते हुए बीजेपी ने अपने 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी. इसमें पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, खेल, युवा मामलों के मंत्री और सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम शामिल था.

बीजेपी और कांग्रेस के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती क्‍या हैं?

इस चुनाव में बेरोजगारी, ओपीएस और सेव किसानों का अहम मुद्दा है. वहीं कांग्रेस के प्रचार को देखें तो ने इस बार पार्टी ने काफी अच्‍छा कैंपेन किया है. लेकिन वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस के लिए लीडरशिप चुनौती है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने पीएम मोदी से लेकर योगी आदित्‍यनाथ तक स्‍टार प्रचारकों को उतारा है. आमतौर ऐसा मानना है कि पहाड़ी राज्‍यों में परिणाम एकतरफा आते हैं लेकिन इस बार जनता का मूड बदला बदला नजर आ रहा है. बीजेपी के लिए बागी और ओपीएस जैसे मुद्दे चुनौती है.

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Share Marketr today: हल्के लाल निशान में बंद हुआ बाजार, सरकारी बैंक चमके, ऑटो की हुई पिटाई

सेंसेक्स 87 अंक गिरकर 61663 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 36 अंक गिरकर 18308 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक 21 अंक गिरकर 42437 पर बंद हुआ

अब निफ्टी को तेजी हासिल करने के लिए मजबूती के साथ 18450 का स्तर पार करना होगा। इस समय बाजार में सेक्टर और स्टॉक विशेष पर ही फोकस करने की रणनीति अपनानी चाहिए

कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन बाजार में उतार-चढ़ाव रहा। सेंसेक्स 87 अंक गिरकर 61663 पर बंद हुआ है। वहीं निफ्टी और निफ्टी बैंक में आखिरी घंटे में निचले स्तर से रिकवरी हुई। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में दबाव रहा। PSU बैंकिंग इंडेक्स में खरीदारी रही। इसके अलावा रियल्टी, IT शेयरों में भी हल्की बढ़त रही। वहीं सबसे ज्यादा बिकवाली ऑटो, PSE,फार्मा शेयरों में रही। इसके अलावा इंफ्रा, FMCG,एनर्जी शेयरों में भी दबाव दिखा।

सेंसेक्स 87 अंक गिरकर 61663 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 36 अंक गिरकर 18308 पर बंद हुआ। निफ्टी रणनीति कैसे लागू करें बैंक 21 अंक गिरकर 42437 पर बंद हुआ। मिडकैप 155 अंक गिरकर 30917 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 में से 20 शेयरों में दबाव रहा। वहीं, निफ्टी के 50 में से 37 शेयरों में गिरावट रही। निफ्टी बैंक के 12 में से 6 शेयरों में तेजी देखने को मिली। डॉलर के मुकाबले रुपया भी आज 4 पैसे कमजोर होकर 81.69 के स्तर पर बंद हुआ।

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सोमवार को कैसी रह सकती है बाजार की चाल

शेयरखान के गौरव रत्नपारखी का कहना है कि इस हफ्ते निफ्टी में सुस्ती देखने को मिली। लगातार चार हफ्तों की तेजी के बाद आज इस हफ्ते की समाप्ति लाल निशान में हुई। निफ्टी के शॉर्ट टर्म मोमेंटम इंडीकेटर इस समय निगेटिव डायवर्जेंस दिखा रहे हैं। ये बाजार में आगे भी कमजोरी आने के संकेत हैं। अब निफ्टी हमें शॉर्ट टर्म में 18100-18000 की तरफ जाता दिख सकता है। ऊपर की तरफ निफ्टी के लिए 18450 पर शॉर्ट टर्म रजिस्टेंस दिख रहा है। शॉर्ट टर्म में बाजार में बड़ी गिरावट भी संभव है।

Religare Broking के अजीत मिश्रा का कहना है कि आज बाजार में वोलैटिलिटी देखने को मिली और ये हल्की गिरावट के साथ बंद हुआ। बाजार में कंसोलीडेशन का फेज जारी है। निफ्टी ने आज सपाट शुरुआत की लेकिन कारोबारी दिन के आगे बढ़ने के साथ ही कमजोरी बढ़ती नजर आई। हालांकि कारोबारी सत्र के आखिरी घंटे में आई रिकवरी से काफी भरपाई हुई। कारोबार के अंत में निफ्टी 0.2 फीसदी गिरकर 18307 के स्तर पर बंद हुआ। पीएयू बैंक को छोड़कर सभी सेक्टर आज गिरावट के साथ बंद हुए हैं।

जारी रहेगा कंसोलीडेशन

उन्होंने आगे कहा कि बाजार कंसोलीडेशन का फेज जारी रहने के संकेत दे रहा है। अब निफ्टी को तेजी हासिल करने के लिए मजबूती के साथ 18450 का स्तर पार करना होगा। इस समय बाजार में सेक्टर और स्टॉक विशेष पर ही फोकस करने की रणनीति अपनानी चाहिए। इसके अलावा हमें लगभग सभी सेक्टरों में ब्रेकआउट फेल होते दिखे हैं। ऐसे में हमें जोखिम से निपटने के तरीकों पर जरूर अमल करना चाहिए

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MoneyControl News

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Tags: # share markets

First Published: Nov 18, 2022 5:03 PM

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यात्री बस में आगजनी में शामिल दो माओवादी गिरफ्तार, पुलिस ने इस रणनीति से इन आरोपियों को दबोचा

बीजापुर. Bijapur news. माओवादी विरोधी अभियान के दौरान थाना उसूर के जिला बल, सीआरपीएफ के संयुक्त एरिया डाॅमिनेशन के दौरान दो संदिग्ध को पकड़ा गया। दोनो माओवादियों के यात्री बस में आगजनी मामले में शामिल होने की बात पुलिस ने बताई है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक रणनीति कैसे लागू करें 15 नवंबर को अभियान के दौरान टेकमेटला पहाड़ी के पास दो संदिग्धों को पकड़ा गया। पकड़े गये संदिग्धों से पूछताछ पर अपना नाम नुपो हुंगी पति गंगा राम उम्र 27 वर्ष निवासी लिंगापुर थाना उसूर नुपो गंगा पिता मुक्का उम्र 31 वर्ष निवासी लिंगापुर थाना उसूर बताया।

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