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सरल निवेश है सफल निवेश

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7-5-3-1 नियम में छिपा है इक्विटी में SIP के जरिए निवेश की सफलता का राज

Investment In Mutual Fund: फंड्स इंडिया का 7-5-3-1 नियम बेहद सरल और प्रभावी है. इसके रूल को फॉलो करने पर आप एक बेहतर इक्विटी एसआईपी निवेशक बन सकेंगे और लम्बी अवधि में बेहतर रिटर्न का फायदा मिलेगा.

By: ABP Live Focus | Updated at : 16 Jun 2022 07:02 PM (IST)

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए इक्विटी (Equity) में निवेश सबसे सरल तरीका है, फिर भी हम में से कई लोग अनजाने में इसे जटिल बना देते हैं. इस आसान बनाने के लिए हम आपके लिए फंड्स इंडिया का 7-5-3-1 नियम लेकर आए हैं - जो बेहद सरल और प्रभावी नियम है. ये नियम आपको एक अच्छा इक्विटी एसआईपी निवेशक बनने और लम्बी अवधि में बेहतर रिटर्न का फायदा देगा.

7-5-3-1 नियम क्या है?

1. 7+ साल की निवेश की समय सीमा रखें
शेयर बाजार ( Share Market) आमतौर पर 7 साल से ज्यादा अवधि की समय-सीमा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं. पिछले 22 से ज्यादा वर्षों में, जब 1 वर्ष की समय सीमा के लिए निवेश किया जाता है इस अवधि में 58 फीसदी अवधि ऐसी है जिसमें निफ्टी 50 टीआरआई (TRI) ने 10% से अधिक सलाना रिटर्न दिया है.

हालांकि, अगर 7 साल की समय सीमा के साथ निवेश किया जाता है तो 22 सालों में 80% अवधि ऐसी है जिसमें 10 फीसदी से ज्यादा रिटर्न इक्विटी मार्केट से मिला है. (यानि 10 में से 8 बार, 10% से अधिक रिटर्न).

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इसके अलावा 7 साल की समय सीमा में बाजार में खराब स्थिति के बावजूद निवेशकों को कोई नेगेटिव रिटर्न नहीं मिला है. बेहद खराब स्थिति में भी निवेशकों ने कम से कम 5% वार्षिक रिटर्न जरूर अर्जित किया है. इसलिए, अपने इक्विटी एसआईपी निवेश का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने के लिए 7 वर्षों तक के सरल निवेश है सफल निवेश समय सीमा के लिए जरूर निवेशित रहें.

2. 5 फिंगर फ्रेमवर्क के जरिए अपने इक्विटी पोर्टफोलियो में विविधता लाएं

जब हम केवल पिछले रिटर्न के आधार पर निवेश करते सरल निवेश है सफल निवेश हैं, तो हम कुछ शैलियों और थीम्स के आधार पर पोर्टफोलियो को निर्भर बना देते हैं. और जब ऐसी थीम्स का दौर समाप्त हो जाता है तो आपका पूरा पोर्टफोलियो लंबे समय तक अंडरपरफॉर्म (Underperform) करने लगता है.

इसलिए, लंबी अवधि के लिए एक अच्छी पोर्टफोलियो बनाने के लिए अलग अलग निवेश के तरीकों, सेक्टर्स सरल निवेश है सफल निवेश और मार्केट कैप के जरिए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं जो बाजार के सभी चक्र में कम अस्थिरता के साथ आपको बेहतर रिटर्न दे. हमारी अनूठी इक्विटी पोर्टफोलियो कंस्ट्रक्शन स्ट्रैटजी '5 फिंगर फ्रेमवर्क' इसी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है.

'5 फिंगर फ्रेमवर्क' का उद्देश्य लंबी अवधि में कम डाउनसाइड्स के साथ लगातार बेहतर प्रदर्शन देना है. पोर्टफोलियो को समान रूप से इक्विटी फंड्स में डायवर्सिफाई किया जाता है जो अलग-अलग समय पर गुणवत्ता, मूल्य, उचित मूल्य पर विकास, मिड एंड स्मॉल कैप और वैश्विक कारणों के आधार पर निवेश के फैसले लेता है.

3. विफलता के 3 सामान्य बिंदुओं के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें

इक्विटी बाजारों ने ऐतिहासिक रूप से लंबी समय अवधि में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है, वास्तविक चुनौती विफलता के तीन अस्थायी लेकिन अवश्य आने वाले चरणों से बचने की है जो प्रारंभिक वर्षों के दौरान (पहले 5 वर्षों में सबसे ज्यादा) घटित होती है.

1. निराशा का फेज- जहां रिटर्न (7-10%) तक मिलता है.

2. इरिटेशन फेज - जहां रिटर्न हमारी उम्मीदों से काफी कम (0-7%) तक मिलता है.

3. पैनिक फेज - जहां रिटर्न नेगेटिव (0% से नीचे) तक मिलता है.

ये चरण इक्विटी सरल निवेश है सफल निवेश बाजार में उठापटक के कारण पैदा होता है. पिछले 42 से ज्यादा वर्षों के भारतीय स्टॉक मार्केट के इतिहास से पता चलता है कि - लगभग हर साल 10-20% की अस्थायी गिरावट बाजार में होती है और हर 7-10 साल में एक बार 30-60% की गिरावट बाजार में आती है.

आपकी एसआईपी निवेश (SIP Investment) यात्रा के शुरुआती वर्ष में बहुत कठिन हो सकती है क्योंकि रुक-रुक कर बाजार गिरता है तो इक्विटी रिटर्न में तेज गिरावट आ सकती है जिसके परिणामस्वरूप निराशा, इरीटेशन और घबराहट आती है. ऐसे चरणों से बचा नहीं जा सकता है.

हालांकि, ये गिरावट बेहद अस्थायी होते हैं. ऐतिहासिक रूप से, इक्विटी बाजार 1-3 वर्षों में पटरी पर लौटता है और बेहतर रिटर्न भी देता है.

4. हर 1 साल के बाद अपनी SIP की राशि बढ़ाएं!

हर साल आपकी इक्विटी SIP निवेश की रकम में मामूली वृद्धि भी लंबे समय में आपके पोर्टफोलियो के वैल्यू में बहुत बड़ा अंतर ला सकती है.

हर साल SIP राशि में वृद्धि से आपको ये मदद मिलती है-

● अपने वित्तीय लक्ष्यों को तेजी से हासिल करने में.
● वित्तीय लक्ष्यों का विस्तार करने में (उदाहरण के लिए जैसे आप 2 बीएचके के बजाय 3 बीएचके का घर खरीद सकते हैं.)

20 साल के एसआईपी का पोर्टफोलियो वैल्यू में हर साल 10% की वार्षिक बढ़ोतरी करने पर सामान्य SIP की जरिए किए निवेश के रकम के मुकाबले दोगुना रिटर्न देता है.

उदाहरण के लिए, 5,000 रुपये के SIP का पोर्टफोलियो मूल्य 12% वार्षिक रिटर्न के साथ 20 साल बाद बढ़कर 49 लाख रुपये हो जाता है. हालांकि जब SIP की राशि में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जाती है तो 20 साल बाद पोर्टफोलियो का वैल्यू बढ़कर 98 लाख रुपये हो जाता है यानि सामान्य SIP से होने वाले रिटर्न के मुकाबले दोगुना.

7-5-3-1 नियम का पालन कर, आप अपनी धन सृजन यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं :)

Published at : 16 Jun 2022 04:28 PM (IST) Tags: Mutual fund SIP investment Investment in Mutual fund Funds India हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

नारायण मूर्ति का इन्वेस्टमेंट डिवीजन: स्टार्टअप में निवेश के लिए पहले यह देखता हूं कि क्या आइडिया को सरल वाक्य में समझाया जा सकता है

फोटो- नारायण मूर्ति - Dainik Bhaskar

40 साल पहले आईटी कंपनी इन्फोसिस की स्थापना करने वाले एनआर नारायण मूर्ति अब आंत्रप्रेन्योर तैयार करने में जुटे हैं। अपनी सादगी, दूरदृष्टि और नैतिक मूल्यों के लिए जाने जाने वाले नारायण मूर्ति से दैनिक भास्कर ने देश के मौजूदा स्टार्टअप इकोसिस्टम से जुड़े मसलों पर बातचीत की। उनसे यह भी जाना कि किसी आइडिया में निवेश करने से पहले वे उसे किन मानकों पर परखते हैं। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…

निवेश के लिए 6 पैमाने
हम पहले आइडिया के 6 टेस्ट करते हैं।
1.
क्या आइडिया को साधारण वाक्य में बता सकते हैं? यदि हां तो उसे ग्राहक, टीम और निवेशक आसानी से समझ पाएंगे।
2. आइडिया बाजार में पहले से मौजूद बिजनेस से कितना अलग और बेहतर है?
3. क्या मार्केट टेस्टिंग एक्सरसाइज हो चुकी है? यदि हां, तो कितनी सफल रही?
4. क्या आंत्रप्रेन्योर की ओर से आइडिया की वैल्यू का आकलन किया जा चुका है?
5. क्या उस आइडिया पर काम करने के लिए एक मेहनती और सक्षम टीम मौजूद है?
6. क्या लीडर-टीम में ईमानदारी, इनोवेशन, अनुशासन और लंबे सफर के लिए धैर्य है?

आंत्रप्रेन्योरशिप पर.
अच्छे वेतन वाली नौकरियों से ही भारत में गरीबी हटेगी। नौकरियां आंत्रप्रेन्योर सृजित करेंगे। सरकार की जिम्मेदारी नौकरी देना नहीं है, बल्कि ऐसा वातावरण बनाना है, जहां नौकरियां पैदा करने वालों को बढ़ावा मिले। मेरा मानना है कि सरकारी मशीनरी को किसी नए उद्यम में तब तक दखल नहीं देना चाहिए, जब तक वह सालाना 50 करोड़ रु. मुनाफे को हासिल न कर ले।

माैजूदा अवसरों पर…
सभी क्षेत्रों में बड़े अवसर हैं। एजुकेशन, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल, इंश्योरेंस, हाउसिंग, ट्रैवल, हॉस्पिटैलिटी यहां तक कि न्यूट्रीशस फूड, आप जो नाम लो और वहां मौका मौजूद है। हमने अभी सिर्फ सतह को खरोंचा है। स्टार्टअप्स के लिए जो क्षेत्र मुझे सबसे अधिक आकर्षित करता है, वह है हमारे मानव संसाधन की उत्पादकता को बढ़ाना। कुछ उद्यमी इस पर काम शुरू कर चुके हैं।

आर्थिक विकास पर…
मैं उदार पूंजीवाद में भरोसा करता हूं। मैंने आज तक एक भी ऐसा देश नहीं देखा, जिसने पूंजीवाद के किसी एक स्वरूप को अपनाए बिना गरीब दूर की हो। अमेरिका ने फेयर कैपिटलिज्म को अपनाया, चीन ने सरकार की अगुवाई वाले कैपिटलिज्म को अपनाया। सिंगापुर भी एक बड़ा उदाहरण है।

उदार पूंजीवाद का अर्थ है दिमाग में पूंजीवाद और दिल में उदारता। इसका अर्थ है कि लीडर्स अपना मुनाफा लेने से पहले यह सुनिश्चित करें कि सबसे निचले स्तर के कर्मचारी को उतनी वेतनवृद्धि दी जा रही है कि वह कम से कम अपनी मूलभूत जरूरतें पूरी कर सके। इस बात की चिंता की जाए कि कर्मचारियों को प्रदर्शन के आधार पर इन्सेंटिव मिल रहा है। मैं आश्वस्त हूं कि भारत अपनी गरीबी सिर्फ उदार पूंजीवाद से ही दूर कर सकता है।

'निवेश जितना सिंपल, उतनी बड़ी कामयाबी', बफेट की इसी बात ने बनाया उन्हें टॉप इन्वेस्टर

बफेट और मंगर ने कई बार कहा है कि वे ऐसी कंपनियों में निवेश नहीं करते, जिनका बिजनस उन्हें समझ में नहीं आता। ऐसा करने से कई अवसर सामने से निकल जाने के बारे में दोनों को कोई अफसोस नहीं है। इसकी वजह यह है कि वह अब भी दुनिया में सबसे सफल निवेशक हैं।

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रूपर्ट मर्डोक नहीं चले बफे की राह, इसलिए फंसे
मीडिया के दिग्गज रूपर्ट मर्डोक ने 58 करोड़ डॉलर में मायस्पेस को खरीदा था और उसके चार साल बाद 3.5 करोड़ डॉलर में बेचा। इस 94 प्रतिशत नुकसान से बचने के लिए मर्डोक को केवल बफेट और मंगर से सबक लेना था और ऐसी कंपनियों को नहीं छूना था, जिनका बिजनस समझ में न आ रहा हो।

जटिल का अच्छा होना जरूरी नहीं
ठीक यही काम आम निवेशकों को भी करना चाहिए। जो बिजनस समझ में न आए, उन कंपनियों को नहीं छूना चाहिए। आज के टेक्नॉलजिकल वर्ल्ड ने हममें से अधिकतर को दिमागी रूप से इस तरह प्रभावित कर लिया है कि जो भी जटिल हो, वह हमें अच्छा लगता है। हालांकि पर्सनल फाइनैंस में यह आइडिया पूरी तरह गलत है।

सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट में सरलता जरूरी
पर्सनल फाइनैंस के मामले में सरलता न केवल उपयोगी होती है, बल्कि यह जरूरी भी है। अगर निवेशक किसी फाइनैंशल प्रॉडक्ट या सर्विस को पूरी तरह समझेगा नहीं तो यह कैसे जानेगा कि वह उसके लायक है या नहीं, भले ही बेचने वाला उसके अच्छा होने का दावा करता रहे। सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स के मार्केट पर नजर डालने से यह साफ हो जाता है कि जागरूकता बढ़ाने की सख्त जरूरत है। मार्केटिंग कैंपेन का जोर इस सोच को बढ़ावा देने पर रहता है कि अगर आप अपनी बचत का हिस्सा बड़े निवेश के पूल सरल निवेश है सफल निवेश में लगाएं तो निवेश संबंधी आपकी जरूरत अच्छी तरह पूरी हो सकती है।

समझदार निवेशक अपनी जरूरत के हिसाब से कदम उठाते हैं। सरलता की जरूरत इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाते समय भी पड़ती है। मान लें कि किसी के इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में 20 अलग तरह के निवेश हैं, जिनमें अलग-अलग रकम लगाई गई है। ऐसी स्थिति में वे निवेश अलग-अलग भले ही सरल दिखें, कुल मिलाकर स्थिति जटिल ही कही जाएगी, जिसे समझना आसान नहीं है।

सरल निवेश पर नजर रखना भी आसान
हर 100 में से 99 निवेशकों को ज्यादा कुछ करने के बजाय आपात स्थिति के लिए एक तय रकम रखनी होती है, एक ठीकठाक रकम की टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी होती है और तीन-चार से ज्यादा म्यूचुअल फंड्स में निवेश नहीं करना होता है। इन एमएफ इन्वेस्टमेंट्स में से एक टैक्स सेवर प्लान हो सकता है। इस तरह का कॉम्बिनेशन इस कदर सिंपल है कि इसे कोई भी समझ सकता है और इस पर आसानी से नजर भी रख सकता है।

(धीरेंद्र कुमार वैल्यू रिसर्च के सीईओ)

मेक इन इंडिया

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भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे सरल निवेश है सफल निवेश सरल निवेश है सफल निवेश देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:

चुनौतियों का सामना

सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।

सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।

29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।

कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।

निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य

  • मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
  • 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
  • विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
  • समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
  • घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
  • विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना

आर्थिक विकास के आगे की दिशा

  • भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
  • 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
  • अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
  • जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
  • विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
  • घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
  • शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
  • विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार

भारत में परेशानी मुक्त व्यापार

'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।

अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।

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