सफल व्यापारी बनने का तरीका

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि समीकरणों से लेकर तमाम तरीके की गुणा गणित उनकी पार्टी नहीं लगाती है। उनका कहना है गुजरात में उन लोगों को टिकट दिया गया है, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े हुए व्यक्ति और समुदाय से जुड़े हुए लोग हैं। यही वजह है कि पार्टी ने नए प्रत्याशियों पर न सिर्फ भरोसा जताया, बल्कि पुराने प्रत्याशियों के अनुभव और उनके मार्गदर्शन में जीत के लिए चुनावी रणनीति बनाकर मैदान में उतारा गया है।
भाजपा ने एक चौथाई टिकट दिए सिर्फ इस समुदाय को! गुजरात में नैया पार लगाने के लिए यह है तैयारी
नई दिल्ली। गुजरात में जातिगत समीकरणों के आधार पर सत्ता का रास्ता कितना आसान और कठिन होता है वह भाजपा के घोषित प्रत्याशियों की सूची से पता चलता है। भाजपा ने अब तक घोषित 160 प्रत्याशियों की सूची में एक चौथाई प्रत्याशी, तो सिर्फ एक जाति विशेष समुदाय के ही दिए हैं। इस समुदाय का गुजरात की राजनीति में जबरदस्त हस्तक्षेप है।
हालांकि यह बात अलग है कि इनकी संख्या गुजरात में उतनी नहीं है, लेकिन प्रभाव इनकी संख्या बल से कहीं ज्यादा ही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा ने जिस तरीके से पिछले साल पूरी कैबिनेट को बदलकर नई कैबिनेट सजाई थी, उससे जातिगत समीकरणों के साथ हुई छेड़छाड़ के बाद तमाम तरह की आशंकाएं जताई जा रही थीं। लेकिन भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा के साथ चुनावी बिसात पर जातिगत मोहरे तो सजा ही दिए हैं।
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दवे कहते हैं कि पार्टी के बड़े नेताओं को अहसास था कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यही वजह रही कि तमाम जातिगत समीकरणों को दरकिनार करते हुए सफल व्यापारी बनने का तरीका पूरी की पूरी कैबिनेट को बदल दिया गया। सियासी जानकारों का कहना है कि इतने बड़े कदम के बाद भाजपा नेतृत्व ने गुजरात में जब अपनी दूसरी कैबिनेट दी, तो जातिगत समीकरणों को बेहतर तरीके से साधा। लेकिन तब तक चुनाव का वक्त भी नजदीक आ गया था। ऐसे में नई कैबिनेट में जातिगत समीकरणों के आधार पर बनाए गए मंत्रियों और अन्य नेताओं की जनता के बीच पकड़ का टेस्ट एंड ट्रायल उतना मजबूती से हो पाएगा या नहीं, इसे लेकर सियासी गलियारों में तमाम तरह की शंकाएं जताई जा रही थीं।
त्रिकोणात्मक लड़ाई का संकेत
गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार गिरीश दोशी कहते हैं कि भाजपा ने जातिगत समीकरणों को सोते हुए जो फील्डिंग सजाई है और निश्चित तौर पर उनका अपना किया हुआ होमवर्क है। हालांकि दोषी कहते हैं कि कांग्रेस की अब तक जो लिस्ट आई है और आम आदमी पार्टी ने जिस तरीके से प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वह पूरे गुजरात में त्रिकोणात्मक लड़ाई का संकेत दे रहे हैं। उनका कहना है कि चुनावी मैदान में सबसे ज्यादा प्रत्याशियों को उतारने के लिहाज से भाजपा के लिए ही चुनौती थी।
भाजपा ने एक चौथाई टिकट दिए सिर्फ इस समुदाय को! गुजरात में नैया पार लगाने के लिए यह है तैयारी
नई दिल्ली। गुजरात में जातिगत समीकरणों के आधार पर सत्ता का रास्ता कितना आसान और कठिन होता है वह भाजपा के घोषित प्रत्याशियों की सूची से पता चलता है। भाजपा ने सफल व्यापारी बनने का तरीका अब तक घोषित 160 प्रत्याशियों की सूची में एक चौथाई प्रत्याशी, तो सिर्फ एक सफल व्यापारी बनने का तरीका जाति विशेष समुदाय के ही दिए हैं। इस समुदाय का गुजरात की राजनीति में जबरदस्त हस्तक्षेप है।
हालांकि यह बात अलग है कि इनकी संख्या गुजरात में उतनी नहीं है, लेकिन प्रभाव इनकी संख्या बल से कहीं ज्यादा ही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा ने जिस तरीके से पिछले साल पूरी कैबिनेट को बदलकर नई कैबिनेट सजाई थी, उससे जातिगत समीकरणों के साथ हुई छेड़छाड़ के बाद तमाम तरह की आशंकाएं जताई जा रही थीं। लेकिन भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा के साथ चुनावी बिसात पर जातिगत मोहरे तो सजा ही दिए हैं।
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दवे कहते हैं कि पार्टी के बड़े नेताओं को अहसास था कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यही वजह रही कि तमाम जातिगत समीकरणों को दरकिनार करते हुए पूरी की पूरी कैबिनेट को बदल दिया गया। सियासी जानकारों का कहना है कि इतने बड़े कदम के बाद भाजपा नेतृत्व ने गुजरात में जब अपनी दूसरी कैबिनेट दी, तो जातिगत समीकरणों को बेहतर तरीके से साधा। लेकिन तब तक चुनाव का वक्त भी नजदीक आ गया था। ऐसे में नई कैबिनेट में जातिगत समीकरणों के आधार पर बनाए गए मंत्रियों और अन्य नेताओं की जनता के बीच पकड़ का टेस्ट एंड ट्रायल उतना मजबूती से हो पाएगा या नहीं, इसे लेकर सियासी गलियारों में तमाम तरह की शंकाएं जताई जा रही थीं।
त्रिकोणात्मक लड़ाई का संकेत
गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार गिरीश दोशी कहते हैं कि भाजपा ने जातिगत समीकरणों को सोते हुए जो फील्डिंग सजाई है और निश्चित तौर पर उनका अपना किया हुआ होमवर्क है। हालांकि दोषी कहते हैं कि कांग्रेस की अब तक जो लिस्ट आई है और आम आदमी पार्टी ने जिस तरीके से प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वह पूरे गुजरात में त्रिकोणात्मक लड़ाई का संकेत दे रहे हैं। उनका कहना है कि चुनावी मैदान में सबसे ज्यादा प्रत्याशियों को उतारने के लिहाज सफल व्यापारी बनने का तरीका से भाजपा के लिए ही चुनौती थी।
सफल व्यापारी बनने का तरीका
वैज्ञानिकों के लिए कई परस्पर कणों से बने क्वांटम प्रणाली के गुणों की खोज अभी भी एक बड़ी चुनौती है। जबकि इससे जुड़े गणितीय समीकरणों की लंबे समय से जानकारी है, व्यवहार में उनको हल करना बहुत जटिल हैं। उस बाधा से पार पाने के लिए हो सकता है भौतिकी, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में नए निष्कर्ष और प्रयोग बढ़ेंगे।
हेल्महोल्ट्ज-जेंट्रम ड्रेसडेन-रॉसडॉर्फ (एचजेडडीआर) में सेंटर फॉर एडवांस्ड सिस्टम्स अंडरस्टैंडिंग के शोधकर्ताओं ने अब तथाकथित गर्म घने हाइड्रोजन का वर्णन करके एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। उच्च दबाव जैसी चरम स्थितियों में हाइड्रोजन का पहले से कहीं अधिक सटीक पता लगाया है।
रैंडम संख्याओं का उपयोग करने वाली सफल व्यापारी बनने का तरीका विधि के आधार पर वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण, पहली बार शामिल इलेक्ट्रॉनों की मौलिक क्वांटम गतिशीलता को हल कर सकता है जब कई हाइड्रोजन परमाणु विभिन्न स्थितियों के तहत परस्पर प्रभावित करते हैं, उदाहरण के लिए, ग्रह के अंदरूनी या संलयन रिएक्टरों में।
Lucky Zodiac 2023: सफल व्यापारी बनने का तरीका ये हैं नए साल की लकी राशियां, नौकरी से लेकर तरक्की तक चूमेगी कदम
डीएनए हिंदीः साल 2023 में तीन राशियों के अच्छे दिन आने वाले हैं. इन राशियों के जातकांे के लिए नया साल सुख-सौभाग्य और तरक्की लेकर आएगा. ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और ग्रह गोचर से इन राशियों के लिए शुभफल मिलेंगे.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल 2023 में प्रवेश करते ही कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और कुछ पर ढैया शुरू होगी. हालांकि ग्रहों के प्रभाव और शुभ योग से कुछ राशियों को शनि के प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी. तो चलिए चलिए नें कि किन राशियों के लिए नया साल खुशियों की सौगात लेकर आ रहा है.
चाणक्य नीति
तपस्या करनी चाहिए, गाना चाहिए, साधना करनी चाहिए और युद्ध में अकेले नहीं जाना चाहिए। ये टिप्स यह भी कहते हैं कि अगर हम पढ़ाई और यात्रा में सफल होना चाहते हैं तो कम से कम कितने लोग हमारे साथ होने चाहिए? आज हम आपको आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई इसी नीति के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि यदि आप तपस्या में सफल होना चाहते हैं तो किसी एकांत स्थान का चुनाव करें, इस समय आपके साथ कोई नहीं होना चाहिए। तभी आपकी तपस्या पूर्ण होगी और आपको मनोवांछित सिद्धि प्राप्त होगी। तपस में ज्यादा लोग हों तो मन भटक सकता है।
दो लोगों के साथ अध्ययन करें
पढ़ाई के दौरान कम से कम लोगों को अपने साथ होना चाहिए, क्योंकि अगर आपको पढ़ाई के दौरान कोई शंका या सवाल है तो आप उन लोगों से पूछकर अपनी शंकाओं को दूर कर सकते हैं। इससे ज्यादा लोग होने पर पढ़ाई से मन भटक सकता है।
आचार्य चाणक्य ने मनोरंजन के सफल व्यापारी बनने का तरीका बारे में कहा है कि कम से कम तीन लोग आपके साथ होने चाहिए ताकि आप इसका भरपूर आनंद ले सकें। इससे ज्यादा या कम लोगों के होने से मजा खराब हो सकता है।
चार लोगों के साथ यात्रा करें
आचार्य चाणक्य के अनुसार यात्रा के दौरान आपके साथ कम से कम 4 लोग होने चाहिए। वो इसलिए कि अगर सफर लंबा है तो कई तरह की परेशानियां खड़ी कर सकता है। सफर के दौरान सेहत बिगड़ सकती है और भी कई जोखिम हैं। इसलिए सफर के दौरान एक दूसरे की मदद के लिए कम से कम 4 लोग जरूर होने चाहिए।
अगर आप खेती में मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपके साथ कम से कम 5 लोग होने चाहिए जो आपकी मदद कर सकें। यदि आप पैसे बचाने के लिए अकेले खेती करते हैं, तो आपका स्वास्थ्य खराब होगा और कृषि में लाभ भी कम होगा। इसीलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि खेती करते समय कम से कम 5 लोग अपने साथ होने चाहिए।