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कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल

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रेल पहिया कारखाना द्वारा कनिष्ठ अभियन्ता पदों के लिए भर्ती - हिंदी रोज़गार

रेल पहिया कारखाना में Junior Engineer पद की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित की जाती हैं। मान्यता प्राप्त संस्थान से स्नातक डिग्री कर चुके अभ्यर्थी के लिए रेल पहिया कारखाना एक अच्छा अवसर दे रही है। इच्छुक अभ्यर्थी निचे दिए गए अनुदेशों को पढ़कर अंतिम तिथि से पूर्व आवेदन कर सकते है। आवेदन करने की अंतिम दिनांक 15 Sep 2022 है। इन पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन साक्षात्कार और अनुभव के आधार पर किया जाएगा।

रेल पहिया कारखाना द्वारा कनिष्ठ अभियन्ता पदों के लिए भर्ती

रेल पहिया कारखाना कनिष्ठ अभियन्ता भर्ती 2022: Advertisement for the post of कनिष्ठ अभियन्ता in रेल पहिया कारखाना. Candidates are advised to read the details, and eligibility criteria mentioned below for this vacancy. Candidates must check their eligibility i.e. educational qualification, age limit, अनुभव and etc. The eligible candidates can submit their application directly before 16 September 2022. Candidates can check the latest रेल पहिया कारखाना भर्ती 2022 कनिष्ठ अभियन्ता Vacancy 2022 details and apply online at the www.rwf.indianrailways.gov.in/ recruitment 2022 page.

रेल पहिया कारखाना भर्ती Notification & भर्ती application form is available @ www.rwf.indianrailways.gov.in/. रेल पहिया कारखाना selection will be done on the basis of test/interview and shortlisted candidates will be appointed at . More details of www.rwf.indianrailways.gov.in/ recruitment, new vacancy, upcoming notices, syllabus, answer key, merit list, selection list, admit card, result, upcoming notifications and etc. will be uploaded on official website.

Vacancy Circular No:

रेल पहिया कारखाना (RWF)
द्वारा भर्ती - कनिष्ठ अभियन्ता

कनिष्ठ अभियन्ता

रिक्त पदों की संख्या: 2 Posts

रेल पहिया कारखाना (RWF)
रेल पहिया कारखाना (RWF) भर्ती 2022 Details
Company रेल पहिया कारखाना
नौकरी भूमिका कनिष्ठ अभियन्ता
शिक्षा आवश्यकता B.Tech, B.E
एकुल रिक्ति 2 Posts
नौकरी के स्थान Bangalore
अनुभव Fresher
वेतन Not Disclosed
पर प्रविष्ट किया 10 Sep, 2022
आवेदन करने की अंतिम तिथि 16-09-2022

शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualifications): B.Tech/B.E

Skills / Eligibility

सैलरी कितनी मिलेगी:
INR
Not Disclosed

आयु सीमा (Age Limit): 47 years.

Selection Procedure

Candidates will be selected based on written test/personal interview/medical test/walkin interview. Once a candidate is selected they will be placed as कनिष्ठ अभियन्ता in RWF.

आवेदन करने का तरीका (How to apply)

चयन प्रकिया: अभ्यर्थी का चयन लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।

Candidates who wish to apply for RWF भर्ती 2022 must complete the application process before 16/09/2022. Here we have attached the complete procedure to apply for the RWF भर्ती 2022 along with the application link.

Step 1: Go to the RWF official website rwf.indianrailways.gov.in

Step 2: In the official site, look out for RWF भर्ती 2022 notification

Step 3: Select the respective post and make sure to read all the details about the कनिष्ठ अभियन्ता, qualifications, job location, and others

Step 4: Check the mode of application and apply for the RWF भर्ती 2022

महत्वपूर्ण तिथियाँ:

Published on: 12 September 2022

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रेल पहिया कारखाना के बारे में

1980 के दशक तक भारतीय रेल पहियों और धुरों की आवश्यकता के 55% के बारे में आयात किया गया कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल था.स्वदेशी क्षमता टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी [टिस्को] और दुर्गापुर इस्पात संयंत्र [डीएसपी] में ही उपलब्ध था.टिस्को संयंत्र रोलिंग स्टॉक और उत्पादन के नए डिजाइन के लिए और पहियों धुरों की बदलती जरूरतों को पूरा किया गया बंद का तकनीकी रूप से सक्षम नहीं था.डीएसपी केवल आंशिक रूप से भारतीय रेलवे की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम था. आयात की लागत की कीमतें विश्व बाजार में बढ़ती के साथ उच्च गया था.आयात के वित्त पोषण,आपूर्ति और विदेशी मुद्रा की सीमित उपलब्धता में देरी पर प्रतिकूल वैगन उत्पादन और रोलिंग स्टॉक रखरखाव प्रभावित होते हैं.इसी संदर्भ में था कि 1970 के दशक में रेलवे मंत्रालय ने आयात विकल्प के रूप में स्टॉक पहियों और धुरों रोलिंग के निर्माण के लिए एक नई विशिष्ट उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए आवश्यकता महसूस हुई.अंतिम उद्देश्य था कि डीएसपी और रेल व्हील फैक्ट्री [आरडब्ल्यूएफ,पूर्व व्हील और एक्सल प्लांट] पूरी तरह से मानक पहियों और इतनी है कि उनके आयात रोका जा सकता है धुरों के लिए भारतीय रेल की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम होना चाहिए.

रेल पहिया कारखाना पता
रेल पहिया कारखाना
येलाहंका
बैंगलोर
कर्नाटक- 560064
फ़ोन: + 91-80-28460492
वेबसाइट: http://www.rwf.indianrailways.gov.in/

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कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल

मंगला-भाग्यम्, शक्ति एवं ऐश्वर्या

उत्तर : बाड़मेर-सांचौर बेसिन में खोजे गए तेल क्षेत्र हैं ,
RAS/RTS (Pre) , 2008

देश को कच्चे तेल की आपूर्ति में रुकावट से पृथक रखने हेतु, भारत ने ‘इंडिया स्ट्रेटजिक पेट्रोलियम रिजर्व लि- की स्थापना की है। इस हेतु वह तीन स्थानों पर भूमिगत स्टोरेज का निर्माण करेगा। इस स्थान को चिह्नित करिए, जिसे इस हेतु चयन नहीं किया गया है

भारत में सबसे पुराना तेल का भंडार कहां है?

लुनेज (जिला आनन्द) पेट्रोल उत्पादक क्षेत्र किस राज्य में स्थित है?

एच.बी.जे. पाइपलाइन द्वारा प्राकतिक गैस का परिवहन कहां से होता है

कोच्चि तेल शोधन शाला है

भारत में पेट्रोलियम का अग्रणी उत्पादक राज्य है

अंकलेश्वर (जिला भरूच गुजरात) प्रसिद्ध है

‘हाइड्रोजन विजन-2025’ संबंधित है

हाल में रिलायंस इंडस्ट्रीज लि- द्वारा भारत के किस भाग में प्राकृतिक गैस के प्रचुर भंडार का पता लगाया गया है?

हल्दिया तेल शोधन शाला है

उत्तर : पश्चिम बंगाल में

जामनगर तेल शोधन शाला है

उत्तर : गुजरात में

नुमालीगढ़ तेल शोधक कारखाना है। इसकी स्थापना 1993 में हुई थी

तातीपाका तेल शोधक कारखाना है। इसकी स्थापना 1963 में हुई थी

उत्तर : आन्ध्र प्रदेश में

कोयली तेल शोधक कारखना है। इसकी स्थापना 1963 में हुई थी

उत्तर : गुजरात में

बीना (म.प्र.) में स्थित तेल शोधक कारखाना बी.पी.सी.एल. का उपक्रम है।

उत्तर : उसकी स्थापना मई, 2011 में की गई थी

तातीपाका (आंध्र प्रदेश) में तेल शोधक कारखाना ओ.एन.जी.सी. का उपक्रम है।

उत्तर : इसकी स्थापना सितंबर, 2001 में हुई थी

डिग्बोई (असम) में स्थित तेल शोधक कारखाना आई.ओ.सी.एल. का उपक्रम है।

उत्तर : इसकी स्थापना 1901 में हुई थी

सोना का सर्वाधिक उत्पादन होता है

उत्तर : कर्नाटक राज्य में

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महंगाई अगर बदतर नहीं तो कोविड जितनी ही बुरी

ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया के लिए, कम से कम निकट भविष्य के लिए, उच्च मुद्रास्फीति नया सामान्य होने जा रही है। अप्रैल 2022 में, आई.एम.एफ. के विश्व आॢथक आऊटलुक ने भविष्यवाणी की थी कि 2022 के दौरान उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत और उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 8.7 प्रतिशत होगी, जो जनवरी में इसके पहले के अनुमानों की तुलना में क्रमश: 1.8 और 2.8 प्रतिशत अधिक है। रूस-यूक्रेन युद्ध, जो अब अपने चौथे महीने में प्रवेश करने वाला है, के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व आपूर्ति व्यवधान काफी समय से कमोडिटी की कीमतों को बढ़ा रहा है तथा स्थिति उत्तरोत्तर बिगडऩे की उम्मीद है।

इस बढ़ती मुद्रास्फीति के चालक- युद्ध, प्रतिबंध, चीन में कोविड के पुनरुत्थान के कारण तालाबंदी और इन सभी के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर आपूर्ति-शृंखला व्यवधान केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से बाहर है। इसलिए अकेले मौद्रिक नीतियां मुद्रास्फीति के खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकतीं, हालांकि ऐसी नीतियों के लिए विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाएं उनकी स्थितियों और उनके मूल सिद्धांतों की ताकत के आधार पर अलग-अलग होंगी। इस उभरते परिदृश्य कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल में, विकास पूरी दुनिया के लिए फिलहाल पृष्ठभूमि में चला जाएगा।

भारत में, सी.पी.आई. द्वारा मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 में बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो गई, जो मार्च में 7 प्रतिशत थी, जो पिछले 8 वर्षों में सबसे अधिक है। शहरी मुद्रास्फीति जहां 7.1 प्रतिशत थी, वहीं ग्रामीण मुद्रास्फीति बढ़कर 8.4 प्रतिशत हो गई। सी.पी.आई. बास्केट में, खाद्य और पेय पदार्थों का भारांक 45.9 प्रतिशत है और अन्य 6.8 प्रतिशत ईंधन है, अगर हम इन्हें हटा भी दें, तो भी मुख्य मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत पर बनी हुई है, जो ऊपरी बैंड में आर.बी.आई. के 6 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य से काफी ऊपर है। मार्च 2022 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आई.आई.पी.) में केवल 1.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, कारखाना उत्पादन भी सुस्त रहा, जो अप्रैल 2021 में दर्ज किए गए 134.4 प्रतिशत के शिखर से नीचे था, जिसका मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र का कम प्रदर्शन था।

मुद्रास्फीति का भी एक हिस्सा आयात किया जाता है, क्योंकि हमारे 80 प्रतिशत से अधिक ईंधन और 60 प्रतिशत खाद्य तेल उन देशों से आयात किए जाते हैं जो खुद गंभीर मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं और बढ़ा हुआ आयात बिल हमारे विदेशी मुद्रा भंडार को कम कर रहा है जो कि नीचे आ गया है। पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हरियाणा और तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों में मुद्रास्फीति के आंकड़े पहले से ही 9 प्रतिशत से अधिक हैं। एक बड़ी उम्मीद है कि जून में ब्याज दरों के साथ-साथ सी.आर.आर. दोनों में एक और तेज बढ़ौतरी होगी। क्रिसिल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति लगभग 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह भी उम्मीद है कि आर.बी.आई. वित्त वर्ष-2023 के दौरान रेपो दरों को 0.75 प्रतिशत बढ़ाकर 1 प्रतिशत कर देगा। अर्थशास्त्रियों और कॉरपोरेट नेताओं को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023 के मध्य तक ब्याज दर अंतत: 5.5 प्रतिशत के आसपास हो जाएगी। लेकिन ब्याज दर में हर वृद्धि सरकार की राजकोषीय गतिशीलता के लिए जगह कम करती है और विकास अंतिम शिकार बन जाता है।

डब्ल्यू.पी आई. द्वारा मापी गई थोक मुद्रास्फीति पूरी सी.पी.आई. मुद्रास्फीति की तुलना में बहुत अधिक रही है। यह मार्च 2022 में 4 महीने के उच्च स्तर 14.55 प्रतिशत कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल पर पहुंच गई, जो फरवरी में 13.11 प्रतिशत थी। खाद्य पदार्थों की लागत में मामूली कमी के बावजूद सभी खंडों में कीमतों में तेजी आई। विनिर्मित उत्पादों के लिए 10.71 प्रतिशत, मूल धातुओं के लिए 25.97 प्रतिशत, ईंधन और बिजली के लिए 34.52 प्रतिशत और प्राथमिक वस्तुओं के लिए 15.54 प्रतिशत। मासिक आधार पर, थोक कीमतों में मार्च में 2.69 प्रतिशत की वृद्धि हुई, 2004 में शृंखला शुरू होने के बाद से सबसे अधिक। डब्ल्यू.पी आई. और सी.पी.आई. के बीच इस तरह के विचलन का कारण आंशिक रूप से उनके संबंधित बास्केट में अलग-अलग भारोत्तोलन के कारण है-डब्ल्यू.पी आई. बास्केट में, विनिर्मित वस्तुओं को 64.2 प्रतिशत भारांक मिलता है जो कि सी.पी.आई. की तुलना में बहुत अधिक है, जबकि प्राथमिक वस्तुओं को 22.6 प्रतिशत भारांक मिलता है, इसके बाद 13.2 प्रतिशत ईंधन व ऊर्जा को।

थोक मूल्य में वृद्धि कुछ तिमाहियों के अंतराल के बाद खुदरा कीमतों पर दिखाई देती है क्योंकि कंपनियां उपभोक्ताओं पर बोझ डालती हैं। यह वास्तव में अजीब है कि आर.बी.आर्इ. ने कार्रवाई करने में इतना समय क्यों लगाया और जब उसने आखिरकार ऐसा किया, तो उसे इतने अचानक तरीके से कार्य क्यों करना पड़ा, जिससे बाजार को गंभीर झटका लगा, जिससे विदेशी निवेशकों द्वारा घबराहट में बिक्री हुई, जिससे निरंतर तबाही हुई- शेयर बाजार और रुपए के मूल्य में भारी गिरावट। यदि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है, तो सभी केंद्रीय बैंकों के निर्णयों के लिए किसी न किसी प्रकार के वास्तविक समय के समन्वय की आवश्यकता होती है, एक ऐसा तंत्र जिसके लिए बिना किसी देरी के काम करने और सक्रिय करने की आवश्यकता होती है। विश्व व्यापार संगठन को भी मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई में एक साथ शामिल होना चाहिए। महंगाई अगर बदतर नहीं तो कोविड जितनी ही बुरी है, और केवल एक साथ आने से ही दुनिया इससे प्रभावी ढंग से लड़ सकती है।-गोविंद भट्टाचार्य

असम सरकार का चाय उद्योग को तोहफा, 200 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा

असम सरकार का चाय उद्योग को तोहफा, 200 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा

चाय पर 7 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से सब्सिडी

कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन की बजह से काफी समय से बंद पड़े चाय के बागानों से चाय उद्योग मंदा पड़ गया है। इसे दोबारा से गति देने के लिए असम सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। इसके तहत असम का चाय उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 200 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई है। इस पैकेज में अंतर्गत कृषि आय कर में तीन साल की छूट दी जाएगी तथा 7 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाएगी।

जानकारी के अनुसार असम सरकार ने राज्य के चाय उद्योग के लिए 200 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की, जिसमें इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कृषि आय कर में तीन साल की छूट भी शामिल है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य में चाय उद्योग पिछले कुछ वर्षों से मुश्किल दौर से गुजर रहा है और लॉकडाउन के कारण चाय बागान भी बंद रहे। उन्होंने कहा कि राज्य में चाय उद्योग को संकट से बाहर निकालने की जरूरत है और हम चार प्रोत्साहन दे रहे हैं जो यह सुनिश्चित करेंगे कि वे आर्थिक रूप से व्यवहारिक बने रहें।

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1


क्या-क्या है इस पैकेज में शामिल / चाय उद्योग का प्रोत्साहन पैकेज

  • 200 करोड़ के इस प्रोत्साहन पैकेज में राज्य सरकार द्वारा 20 लाख रुपए की अधिकतम सीमा के साथ कार्यशील पूंजी पर तीन प्रतिशत ब्याज सहायता देगी।
  • कार्यशील पूंजी पर तीन साल तक कर नहीं लिया जाएगा।
  • चाय पर मिलेगी सात रुपए प्रति किलो की सब्सिडी। टी बोर्ड से तीन रुपए प्रति किलोग्राम की सब्सिडी अलग से।
  • आर्थोडॉक्स चाय के उत्पादन के लिए आवश्यक संयंत्र और मशीनरी स्थापित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा
  • 25 प्रतिशत की पूंजी सब्सिडी भी दी जाएगी।


आर्थोडॉक्स चाय का उत्पादन बढ़ाने पर कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल दिया जाएगा जोर

सरमा ने कहा कि आर्थोडॉक्स चाय का ज्यादातर निर्यात किया जाता है और सरकार ने फैसला किया है कि इसका उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस पर सात रुपए प्रति किलो की सब्सिडी देने का फैसला किया है और टी बोर्ड की तीन रुपए प्रति किलोग्राम की सब्सिडी को मिलाकर 10 रुपए प्रति किलोग्राम की कुल सब्सिडी निश्चित रूप से आर्थोडॉक्स चाय के उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने में मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि आर्थोडॉक्स चाय के उत्पादन के लिए आवश्यक संयंत्र और मशीनरी स्थापित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत की पूंजी सब्सिडी भी दी जाएगी। इस प्रकार सरकार चाय उद्योग की सहायता के लिए 200 करोड़ रुपए खर्च करेगी।


दुर्गापूजा पर श्रमिकों बोनस किया जाएगा भुगतान

सरमा ने कहा कि हम इस उम्मीद के साथ यह घोषणा कर रह हैं कि चाय बागान प्रशासन बिना किसी अनाश्यक विवाद के अपने श्रमिकों को दुर्गापूजा पर बोनस का भुगतान सुनिश्चित करेगा। राज्य सरकार के स्वामित्व वाले असम टी कार्पोरेशन ने पहले ही अपने कर्मचारियों के लिए 20 प्रतिशत बोनस की घोषणा कर दी है। उम्मीद की जा रही है कि दूसरे चाय बागान भी ऐसी घोषणा करेंगे।


भारत में कहां-कहां होता है चाय का उत्पादन (भारतीय चाय उद्योग) / चाय पत्ती का बिजनेस/ चाय का बिजनेस

असम भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है। मॉल्टी असमिया चाय अधिकतर ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाई जाती है। घाटी के मध्य भाग में स्थित जोरहाट को अक्सर ’विश्व की चाय की राजधानी’ कहा जाता है। यहां चाय का सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग में हर तरफ चाय की खेती होती है। यहां पर उत्पादित चाय की खासियत यह है कि यह हल्के रंग की होती है और इससे फूलों की महक आती है. भारत के कुल चाय का लगभग 25 प्रतिशत उत्पादन दार्जिलिंग में होता है। इधर तमिलनाडु में स्थित कोलुक्कुमालै चाय एस्टेट शायद दुनिया का सबसे ऊंचा चाय बागान है। ऊंची चोटी पर बनाए जाने के कारण यह चाय अपने अनूठे सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। वहीं 19वीं सदी पालम में चाय बागान की स्थापना की गई थी। पालमपुर सहकारी चाय कारखाना मेहमानों का स्वागत करने के साथ ही कारखाने में घूमने-फिरने का मौका भी देता है।


चाय के निर्यात में भारत की स्थिति

चाय का उत्पादक विश्व में सबसे ज्यादा चीन में किया जाता है तथा सबसे ज्यादा निर्यातक देश श्रीलंका है। यहां तक की कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल श्रीलंका की राष्ट्रीय आय भी चाय के निर्यात से चलती है। भारत में चाय का उत्पादन केन्या और श्रीलंका से अधिक होने के बावजूद यहां से चाय का निर्यात इन दोनों देशों से कम होता है। इससे स्पष्ट है कि यहां की घरेलू मांग ज्यादा है या फिर यहां की चाय की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है। चाय के निर्यात में केन्या और श्रीलंका आगे हैं। चाय निर्यात से केन्या 120 करोड़ डॉलर और श्रीलंका 160 करोड़ डॉलर कमाता है, वहीं भारत इसके निर्यात से 80 करोड़ डॉलर रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित ही अर्जित कर पाता है।

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