विदेशी मुद्रा व्यापार का परिचय

फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी

फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी
राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत किए गए फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी किसी भी निवेश पर रु. 50,000 तक की कटौती होती है।

दोगुनी की जाएगी टैक्स छूट की सीमा!

निवेश करना सीखें

आयकर प्रमुख खर्चों में से एक है, जिसकी योजना हर व्यक्ति को बनाने की जरूरत है। जब निवेश करने की बात आती है, तो आयकर के प्रभाव पर विचार करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि निवेशों पर अर्जित आयकर का भुगतान सरकार को करना पड़ता है।

भारत में निवेश पर ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभ पर कर लगता है। हालांकि, विशेष रूप से निवेश और सेवानिवृत्ति की योजना को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार कुछ निवेशों पर कर में कटौती करती है। कुछ निवेशों पर अर्जित आय को कर से छूट प्राप्त है। विशिष्ट आय के लिए दिया गया यह विशेष उपचार उनसे अर्जित वास्तविक प्रतिफल को बदल देता है।

टैक्स रिटर्न निवेश पर कैसे असर डालता है?

छूट वाली आय को एक तरफ छोड़ दें, आइए विचार करें कि आयकर निवेश की आय को कैसे प्रभावित करता है। आयकर निवेश से मिलने वाले रिटर्न को कम करता है। चूंकि निवेश पर कर के बराबर राशि सरकार को चुकानी होती है, इसलिए निवेश पर वास्तविक रिटर्न उस सीमा तक कम हो जाता है। इसका मतलब है कि आयकर प्रावधान वास्तव में रिटर्न की दर को कम करते हैं। चलिए, हम एक उदाहरण पर विचार करते हैं।

फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी

वर्ष 2010 फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी के लिए टैक्स प्लानिंग

के बाद सबसे अच्छा कर फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी बचत वर्तमान आकलन वर्ष के लिए निवेश के विकल्प फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी के कुछ [2010-2011 AY]

आमतौर पर यह देखा गया फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी है कि एक वित्तीय वर्ष के पिछले कुछ महीनों के दौरान लोगों को अंतिम क्षण आवेगी निर्णय करने के लिए कर बचत उपकरणों में निवेश. इस प्रक्रिया में वे अंत उत्पादों है कि वास्तव में उनके लिए सही नहीं हैं खरीद सकते हैं. टैक्स प्लानिंग के कुछ है कि अग्रिम में कुछ महीने किया जा इतना है कि एक पर्याप्त समझ और उसका / उसकी वित्तीय स्थिति के अनुरूप करने के लिए उपलब्ध विभिन्न फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी विकल्पों का मूल्यांकन करने के लिए समय है की जरूरत है. आप आकलन वर्ष 2010-11 के लिए अपने कर की योजना अब शुरू कर सकते हैं.

इस वित्तीय वर्ष के लिए अपने करों की योजना बनाने के लिए कुछ सरल टिप्स हैं:

I. आयकर छूट का उपयोग

धारा 80 सी के
इस खंड के तहत एक रुपये तक का दावा कर सकते हैं. कटौती में 1 लाख. इस अनुभाग में विकल्पों में शामिल हैं

शेयरों से म्‍यूचुअल फंडों के रिटर्न की तुलना क्‍यों है फिजूल?

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अगर आप एक्‍सपर्ट निवेशक नहीं हैं या फिर बहुत समय और प्रयास नहीं दे सकते हैं तो शेयरों में सीधे निवेश करने में समझदारी नहीं है.

निवेश शेयरों के जरिये हो या म्‍यूचुअल फंडों के माध्‍यम से, अंतिम लक्ष्‍य एक होता है - इक्विटी में निवेश के जरिये बेहतर रिटर्न हासिल करना. हालांकि, जिस तरह से आप इस रिटर्न को पाते हैं, वे दोनों रास्‍ते पूरी तरह से अलग हैं.

एक बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता है. वह यह है कि अगर आप एक्‍सपर्ट निवेशक नहीं हैं या फिर एक्‍सपर्ट बनने के लिए बहुत समय और प्रयास नहीं दे सकते हैं तो शेयरों में सीधे निवेश करने में समझदारी नहीं है. इसलिए, निवेश की शुरुआत करने वाले किसी भी व्‍यक्ति के लिए पसंद बिल्‍कुल साफ है. उन्‍हें म्‍यूचुअल फंडों के जरिये निवेश करना चाहिए. मैं ऐसा बिल्‍कुल नहीं कह रहा हूं कि शेयरों में सीधे फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी निवेश करके सफलता नहीं मिल सकती है. ऐसे कई निवेशक हैं जो अपने आप निवेश करके अच्‍छे नतीजे पाते हैं. वैल्‍यू रिसर्च में भी प्रीमियम स्‍टॉक एडवाइजर सर्विस है जो लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी ऐसा करने में मदद करती है.

Liquid Funds vs Fixed Deposits: फंड तैयार करने के लिए क्या फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी बेहतर, एफडी या लिक्विड फंड?

Liquid Funds vs Fixed Deposits: फंड तैयार करने के लिए क्या बेहतर, एफडी या लिक्विड फंड?

Liquid Funds vs Fixed Deposits: बहुत से लोग अपने इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) का पैसा लिक्विड फंड या फिक्स्ड डिपॉजिट में रखते हैं, लेकिन अगर आपको इन दोनों में से किसी एक को चुनना हो तो आप किसे चुनेंगे और क्यों? आइये जानते है।

Liquid Funds vs Fixed Deposits: लिक्विड फंड (Liquid Fund) और फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) दोनों एक दूसरे से अलग हैं। फीचर, बेनिफिट, लिमिटेशन और मार्केट रिस्क के मामले में दोनों की प्रॉपर्टी भी अलग अलग है। निवेश करने या निवेश के लिए किसी एक को चुनने से पहले हमेशा लिक्विड फंड और FD के बीच के अंतर को समझने की सलाह दी जाती है।

वेतनभोगियों को होगा फायदा

सूत्रों ने बताया कि निवेश पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाए जाने ने से वेतन पाने वाले लोगों को काफी फायदा होगा। ऐसे लोग फिलहाल अत्यधिक महंगाई की मार झेल रहे हैं। प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में सिफारिश की गई है कि निवेश और दूसरे खर्चों की कुल सीमा बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए सालाना कर दिया जाना चाहिए।

जिन फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेश करने से टैक्स छूट मिलती है उनमें जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, कर्मचारी भविष्य निधि, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) और होम लोन पर दिया गया ब्याज, म्युचुअल फंडों द्वारा बेची गई इक्विटी आधारित बचत योजनाएं और 5 साल की परिपक्वता अवधि के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) शामिल हैं।

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