विदेशी मुद्रा व्यापार का परिचय

IPO क्या होता है

IPO क्या होता है
  • सबसे पहले आपको अपने नेट बैंकिंग अकाउंट पर लॉगिन कर लेना है।
  • आपके सामने पूरा मेनू आ जाता है, जैसे My account/ payment transfer/Bill payment थता E-services इत्यादि।

आईपीओ क्या होता है और इसमें कौन पैसे लगा सकता है?

मान लीजिए कोई बिज़नेस है. वो अच्छा चल रहा है. अब कंपनी उसे बढ़ाना चाहती है. इसके लिए ज़्यादा पैसों की ज़रूरत पड़ेगी. तो ये पैसा आएगा कहां IPO क्या होता है से. या तो कंपनी कर्ज़ ले, लेकिन उस पर उसे ब्याज़ देना होगा. एक दूसरा तरीक़ा ये है कि वो अपने शेयर सार्वजनिक कर पैसा जुटाए. यहीं पर आता है आईपीओ. यानी जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफ़र करती है तो इसे आईपीओ कहते हैं. IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफ़रिंग. आईपीओ कंपनी के शेयर की पहली सार्वजनिक बिक्री है. आईपीओ खरीदने वाले लोगों को बदले में कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है. आईपीओ लाने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं.

प्रेज़ेंटर: गुरप्रीत सैनी

वीडियो एडिटिंग: देबलिन रॉय

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आईपीओ की बुनियादी जानकारी

जब कोई कंपनी पहली बार जनता के पास निवेश के लिए प्रस्ताव लेकर जाती है, तो उसे आईपीओ या इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (प्रथम सार्वजनिक प्रस्ताव) कहा जाता है. जन साधारण के लिए कंपनी में निवेश करने का यह पहला मौका होता है. किसी भी नए निवेशक के शुरूआती प्रशनों में एक यह भी होता है कि दरअसल यह आईपीओ है क्या और इसमें निवेश कितना उचित है. डॉट कॉम बबल के दौरान कई निवेशकों ने आईपीओ में शेयर खरीद पहले दिन ही उन्हें ऊँचें दामों पर बेच भारी मुनाफ़ा कमाया। लेकिन इस बुलबुले के फटते पर इन कंपनियों में से अधिकतर ने अपने दीर्घकालिक निवेशकों को निराश किया, और आईपीओ का आकर्षण जन साधारण के लिए समाप्त हो गया. निचे दिए चार पर्मुख भागों में हम आपको आईपीओ की बुनियादी जानकारी से अवगत कराएंगे.

आईपीओ क्या है

आईपीओ क्या है और उसका जारी करने वाली कंपनी पर क्या असर पड़ता है?

कोई कंपनी आईपीओ क्यों लाती है?

कंपनी के पब्लिक होने के पीछे क्या कारण रहते हैं?

आईपीओ में निवेश करें या नहीं?

आईपीओ कैसे लाया जाता है, अंडरराइटर का इसमें क्या योगदान रहता है और रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस क्या होता है? फ्लिपिंग और लॉक-अप पीरियड क्या होते हैं?

स्पिन-ऑफ व ट्रैकिंग स्टॉक

स्पिन-ऑफ और ट्रैकिंग स्टॉक परंपरागत आईपीओ से जुड़े हैं. इस भाग में हम इनकी चर्चा करेंगे.

आईपीओ क्या है

कोई कंपनी जब पहली बार अपना स्टॉक सार्वजनिक रूप से खरीदने के लिए के लिए उपलब्ध कराती है तो उसे आईपीओ कहते हैं. आईपीओ से पहले कंपनी को “प्राइवेट” (निजी) माना जाता है और निवेशक आमतौर पर संस्थापकों, उनके परिवारों और मित्रों और व्यावसायिक निवेशकों जैसे वेंचर कैपिटलिस्ट्स और एंजेल इन्वेस्टर्स तक सीमित होते है. वैसे तो वैयक्तिक निवेशक प्राइवेट कंपनी के संस्थापकों से निवेश करने के लिए संपर्क कर सकते हैं, पर वे बेचने से इनकार भी कर सकते हैं. दूसरी ओर, आईपीओ के साथ ही कंपनी “पब्लिक” (सार्वजनिक) हो जाती है और उसके शेयर का कम-से-कम एक हिस्सा तो स्टॉक एक्सचेंजों पर उपलब्ध रहता है।

पब्लिक होने पर कंपनी को निजी उद्यमों को मिलने वाले लाभ छोड़ने पड़ते हैं. उदाहरणार्थ, प्राइवेट कंपनी को अपनी वित्तीय और लेखांकन से जुडी अधिकतर जानकारी का खुलासा नहीं करना पड़ता. वहीँ पब्लिक कंपनी को सेबी के दिशानिर्देशों के अनुरूप इस जानकारी को सर्वसाधारण के लिए उपलब्ध कराना होना है। इससे कंपनी के कानूनी और लेखांकन से जुड़े खर्च बढ़ जाते हैं. साथ ही प्रबंधन का महत्वपूर्ण समय शेयरधारकों तक कंपनी से जुडी सारी जानकारी देने में लगता है. इसके अलावा, प्रिंसिपल-एजेंट की समस्या खड़ी हो जाती है और नए शेयरधारकों को मिले मतदान अधिकार के चलते संस्थापकों का नियंत्रण भी छूटने लगता है. कानूनी व विनियामक माप-दंड भी पब्लिक कंपनी के लिए ही अधिक हैं.

कोई कंपनी आईपीओ क्यों लाती है?

इस सबके बावजूद कंपनियां पब्लिक क्यों होना चाहती हैं? इसका मूल कारण है पब्लिक होने से निवेश करने के लिए जुटाई पूंजी की लागत में आने वाली भारी कमी. यों भी ऋण लेकर या नए निजी निवेशकों के माध्यम से जितना धन जुटाया जा सकता है उससे कई अधिक स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से मिल जाता है, और इस पर ब्याज भी नहीं देना पड़ता. इसके अलावा, बढ़ी हुई जांच और विनियमों के चलते कंपनी की क्रेडिट रेटिंग बेहतर हो जाती है और उनके लिए ऋण पर लगाने वाले ब्याज दर कम हो जाती है.

जब किसी कंपनी के शेयर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होते हैं, तो निवेशकों के लिए द्रवत्व - अर्थात शेयर को नकदी में बदलने की सक्षमता - बढ़ जाती है. इससे कंपनी में निवेश का मूल्यांकन भी आसान हो जाता है क्योंकि यह पता चल जाता है कि शेयर की किस कीमत पर कितने खरीदार उपलब्ध हैं. इन सब से एम्प्लोई स्टॉक ऑप्शन (ईएसओपी) आकर्षक हो जाते हैं और कंपनी शीर्ष IPO क्या होता है प्रतिभा को अपने साथ जोड़े रख पाती हैं.

प्रारंभिक निवेशकों और संस्थापकों के लिए आईपीओ अपनी निवेश से कुछ कमाने का पहला मौका होता है. उन्होंने एक नई कंपनी में निवेश कर जो जोखिम लिया था उसका प्रतिफल अब कुछ शेयर बेच कर उन्हें मिलता है.

आईपीओ में निवेश करें या नहीं?

प्रारंभिक निवेशकों के लिए आईपीओ अति महत्वपूर्ण होता है. इस कारण कोई भी कंपनी तभी इस ओर मुख करती है जब उन्हें इससे सर्वाधिक धन संचय की आशा हो. यही कारण हैं कि आईपीओ ऐसे समय ही लाया जाता है जब कंपनी का भविष्य उज्वल हो और निवेशक इस विकास में प्रतिभागी बनने को उत्साहित हों. आईपीओ के समय निवेशकों को शेयर “आईपीओ प्राइस” पर मिल जाते हैं - आमतौर पर यह शेयर की स्टॉक मार्किट में शुरुआरी कीमत से कम होती है. जब किसी आईपीओ में शेयर की मांग उपलब्ध कराए गए शेयरों से अधिक होती है तो उसे “ओवरसब्सक्राइबड” कहा जाता है. ऐसे आईपीओ में वैयक्तिक निवेशकों के लिए शेयर जुटाना बहुत कठिन हो जाता है. ऐसा क्यों होता है जानने के लिए हमें “अंडरराइटिंग” को समझना होगा.

एक कंपनी के ऋण अथवा इक्विटी सेल द्वारा पूँजी जुटाने के लिए जो तैयारी करनी पड़ती है उसे “अंडरराइटिंग” कहते हैं. आईपीओ लाने का निर्णय लेने के पश्चात कंपनी किसी इन्वेस्टमेंट बैंक को अपना “अंडरराइटर” बनाती हैं. इससे पहले उन्हें एक प्रोफेशनल प्रबंधन टीम को कंपनी का मार्गदर्शन करने के लिए नियुक्त करना होता है. इस प्रक्रिया के लिए लेखापरीक्षित वित्तीय विवरण कि आवश्यकता पड़ती है. कंपनी को

अधिग्रहण विरोधी मापदंड भी बना लेने चाहिए, और इंडिपेंडेंट बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स पर केन्द्रित कॉर्पोरेट गवर्नेंस विधि भी इंगित कर लेनी चाहिए. यह भी महत्वपूर्ण है कि बाज़ार का रुझान अनुकूल हो और आईपीओ मंदी के दौर में न आए. साथ ही कंपनी सारे विनियमनों पर खरी उतरनी चाहिए जिससे कोई कानूनी मुश्किल न आ पाए.

फिर इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ बैठकर संस्थापक यह तय करते हैं कि पूँजी कितनी इक्कठी की जाएगी, ऋण अथवा इक्विटी में से क्या बाज़ार में उपलब्ध कराया जाएगा और डील कि संरचना कैसी होगी. “फर्म कमिटमेंट” में अंडरराइटर गारंटी देता है कि एक निश्चित न्यूनतम राशि जुटाई जाएगी और उस तक पहुँचाने के लिए बचे हुए शेयर अंडरराइटर खरीदेगा. दूसरी ओर, “बेस्ट एफर्ट अग्रीमेंट” में अंडरराइटर सिक्यूरिटी बेचता भर है, कोई गारंटी नहीं देता कि कितनी राशि जुट पाएगी. आम तौर पर, एक इन्वेस्टमेंट बैंक पूरे समझौते का जोखिम अकेले उठाने के बजाए अंडरचिटर्स का एक कंसोर्टियम बनाता है और कुल शेयर इनमें बाँट दिए जाती हैं. इसके अलावा हर स्टॉक एक्सचेंज के अपने कुछ मापदंड भी होते हैं जिन्हें लिस्टिंग से पहले पूरा करना आवश्यक होता है.

डील पर सारे निर्णयों पर एकमत होने के पश्चात मुख्य अंडररायटर इस प्रस्ताव से सम्बंधित सभी विवरण और वित्तीय विवरणों, जैसे प्रबंधन पृष्ठभूमि, एकत्रित राशि का उपयोग, अंदरूनी हिस्सेदारी और कंपनी का प्रस्तावित टिकर प्रतीक भर ड्राफ्ट आवेदन तैयार करता है. यह आवेदन रेगुलेटर को प्रस्तुत करने पर वह एक “कूलिंग ऑफ” अवधि प्रस्तावित तय करते हैं जिसमें सारी सामग्री की जांच करता है. तत्पश्चात प्रभावी तिथि जिस पर जन साधारण के सामने प्रस्ताव रखा जाएगा तय की जाती है.

“कूलिंग ऑफ” अवधि में अंडरराइटर “रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस” बनाता है. यह एक प्रारंभिक प्रॉस्पेक्टस होता है जिसमें प्रस्ताव मूल्य और प्रभावी तिथि को छोड़कर कंपनी व प्रस्ताव के बारे में सारी जानकारी होती है. इस दस्तावेज़ का प्रयोग अंडररायटर और कंपनी द्वारा प्रस्तावित आईपीओ को निवेशकों के सम्मुख मार्केट करने के लिए होता है. उनका उद्देश्य इस प्रस्ताव का प्रचार और रुचि का निर्माण करना होता है। वे अक्सर संस्थागत निवेशकों के लिए में “रोड शो” पर जाते हैं और शेयरों की शुरुआती मांग का आंकते हैं।

आईपीओ फुल फॉर्म इन हिंदी | IPO Full From in Hindi

नमस्कार दोस्तों ! ऑनलाइन जॉब अलर्ट के फुल फॉर्म सेक्शन में आज हम आपको शेयर मार्किट से जुड़े एक शब्द IPO (आईपीओ) के बारे में शानदार जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं | अगर आप शेयर मार्किट में पहले से ही काम करते हैं तो इसके बारे में जरुर जानते होंगे | लेकिन अगर आपने शेयर बाज़ार में नई शुरुवात की है या करने वाले हैं तो आपको IPO की जानकारी होना बहुत आवश्यक है | इसीलिए आज की पोस्ट आपके बहुत काम आ सकती है | आज हम आपको बतायंगे IPO क्या होता है कि आईपीओ फुल फॉर्म | IPO Full Form, IPO Means, IPO की स्थापना, IPO निवेश कैसे करें, IPO की कीमत, IPO के फायदे, आदि |

IPO Full Form

IPO फुल फॉर्म | I P O Full From in Hindi | Full Form of IPO

दोस्तों जैसा की आप देख रहे हैं कि IPO शब्द तीन अंग्रेजी के अक्षरों से मिलकर बना एक शब्द है | और इन तीनों अक्षरों के मतलब अलग अलग – होते हैं | जो इस प्रकार है :

अब हम इन्हें मिलाकर देखें तो IPO का मतलब या फुल फॉर्म होती है “Initial Public Offering” (इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग)| और हिंदी भाषा में IPO का अर्थ होता है “ प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव” |

IPO क्या होता है | IPO Meaning in Hindi | IPO Kya Hota Hai

जब एक कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करता है तो उसे IPO कहते हैं | लिमिटेड कंपनियों द्वारा यह IPO इसलिए जारी किया गया है, जिससे वह शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीद शेयर बाजार में हो सकेगी|

IPO की सहायता से कंपनियां सार्वजनिक रूप से शेयर जारी करके इक्विटी पूंजी बढ़ा सकती है या शेयर धारक कंपनी की पूंजी बढ़ाएं बिना शेयर जनता को बेच सकते हैं|

IPO में निवेश कैसे करें | IPO Me Investment Kaise Kare

अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको डीमेट या Trading खाता खोलना होता है IPO के अंतर्गत निवेश करने के लिए आपके पास बैंक खाता, डिमैट अकाउंट, और पैन नंबर होना बहुत जरूरी है|

Company IPO क्यों लाती है | IPO Kyo Banaya Jata Hai

कंपनी चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है और जब किसी कंपनी को पैसे की जरूरत होती है तो वह IPO लेकर अतिरिक्त पैसे इकट्ठा करती है IPO लाने की वजह से कंपनियां कर्ज से बच जाती है|

IPO की कीमत | Price of IPO

IPO की कीमत दो मुख्य तरीकों से तय की जाती है और सभी कंपनियां इन्हीं दोनों तरीकों का पालन करती है|

  1. प्राइस बैंड : – जिन कंपनियों को IPO लाने की अनुमति है वह सभी कंपनियां अपने शेयरों की कीमत तय कर सकती है|
  2. अंतिम मूल्य : – जब बैंड प्राइस तय हो जाता
    है उसके बाद निवेशक किसी भी कीमत पर बोली लगाकर शेयर खरीद सकते हैं|

IPO के फायदे | IPO Ke Fayde

  1. कंपनी को अतिरिक्त पैसे मिल जाते हैं|
  2. कंपनी की मार्केट में पहचान बढ़ती है|
  3. निवेशक कंपनी के शेर को खरीद और भेज सकते हैं|

निष्कर्ष :

दोस्तों आज की पोस्ट में हमने आपको शेयर बाज़ार में उपयोग होने वाले एक और शब्द IPO की महत्वपूर्ण जानकारी शेयर की है | आज की पोस्ट में हमने आपको बताया है कि IPO क्या है | IPO Full Form, IPO Means, IPO की स्थापना, IPO निवेश कैसे करें, IPO की कीमत, IPO के फायदे, आदि |

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IPO क्या है ?इससे पैसे कैसे कमाए?

आपको इतना जरुर पता होगा की लोग शेयर मार्केट को सीख कर करोड़ में खेल गया लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है की अभी भी बहुत लोग शेयर मार्केट से रिलेटेड टर्म्स को नही समझ पाए है उसमे से जो एक टर्म है जो की IPO है तो आईये ये जानते है की IPO Kya hai और आईपीओ से पैसे कैसे कमाते है |

ipo kya hai

सबसे पहले तो ये जानते है की IPO का full form क्या होता है? जबाब है – Initial Public Offering

अब मुद्दा ये है की full फॉर्म तो जान गये लेकिन इसका मतलब क्या होता है और इसकी जरूरत क्यों होती है ?

IPO Kya Hai?

दोस्तों, (IPO Meaning) जब भी किसी कंपनी को पब्लिक से पैसे जुटाने की जरूरत होती है तो अपने कंपनी की शेयर मतलब की हिस्से को पब्लिक के बीच में sell करती है और फिर उस शेयर को sell करने के बाद जो पैसे आते है वो सीधे कंपनी वाले लेते है ऐसे में जब पहली बार कोई भी कंपनी आपना शेयर पब्लिक करती है तो इसे ही Initial Public Offering means IPO कहते है |

आईपीओ की जरूरत क्यों होती है ?

जब भी कोई कंपनी की कोई काम के लिए पैसे की जरूरत होती है तो ऐसे में उसके पास बहुत सारे आप्शन होते है जैसे की किसी बैंक से लोन ले कर काम करे या किसी को अपने बिज़नस का पार्टनर बना ले लेकिन बहुत बार ऐसा होता है की इतने ज्यादा पैसे की जरूरत हो जाती है जिससे या तो कंपनी को बेचना होगा क्योकि लोन इतना मिलेगा नही और कोई पार्टनर जल्दी नहीं बनेगा क्योकि पार्टनर के पास इतने पैसे नही होंगे

ऐसे में कंपनी के लिए सबसे अच्छा आप्शन होता है की पब्लिक से पैसे को collect किया जाये ताकि किसी से लोन भी लेने की जरूरत नही होगा और अगर पब्लिक से पैसे लेंगे तो बहुत सारे पब्लिक तुरंत पैसे collect कर देगी

दोस्तों कोई भी कंपनी कर्ज से बेहतर आईपीओ लाना बेहतर समझती है और एक बात सिर्फ पहली बार ही आईपीओ के समय जो भी पैसा मिलता है वो कंपनी के पास जाता है उसके बाद उसी शेयर को लोग बाद में शेयर मार्केट में एक दुसरे को sell करते है |

IPO Me Invest Kaise Kare?

अब आईपीओ में इन्वेस्ट करना बहुत आसान हो गया है क्योकि आप सिर्फ डिजिटल स्टॉक ब्रोकर के मदद से भी आईपीओ में इन्वेस्ट कर सकते है |

मै Groww या Zerodha ये दोनों के बारे में suggest करूँगा की अगर आप आईपीओ खरीदना IPO क्या होता है चाहते है तो खरीद सकते है लेकिन याद रखे आईपीओ खरीदना रिस्की भी होता है इसलिए खरीदने से पहले आप कंपनी के बारे में पूरी जानकारी जरुर जुटा ले

आईपीओ से फायदा कैसे होता है ?

जैसा की मैंने पहले ही बता दिया है की पहले आईपीओ में ही कंपनी अपने शेयर को अपने अनुसार sell करती है और उसके बाद उसक कंपनी का शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होता है ऐसे में जिस रेट से आईपीओ आया बाद में शेयर मार्केट में उसका price स्टार्ट उस रेट से ज्यादा में होगा तो प्रॉफिट होगा लेकिन पता चला की शेयर मार्केट में उस कंपनी के शेयर को कोई खरीदा ही नही तो उसके शेयर का price आईपीओ वाले price से निचे गिर जायेगा तो फिर आपका पैसा गया इसलिए सोच समझ कर ही पैसे को इन्वेस्ट करे

IPO क्या होता है

ऑनलाइन IPO भरने का तरीका | आईपीओ कैसे भरें। Online IPO kaise bhare.

ऑनलाइन IPO भरने का तरीका | आईपीओ कैसे भरें। Online IPO kaise bhare.

हेलो दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको IPO process की जानकारी देने जा रहे हैं। इसमें आप जानेंगे आईपीओ क्या होता है और IPO को Online kaise bhare

आज IPO शब्द हर जगह सुनाई दे जाता है, अक्सर हमें इसकी जानकारी न्यूज़ चैनल, समाचार पत्र, विज्ञापन या अपने किसी खास मित्र के जरिये मिल जाती है। यदि आपने भी IPO के बारे में कहीं सुना है, या आप आईपीओ और शेयर मार्किट में रूचि रखते हैं और इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए है।

इसमें हम आपको बताएंगे की Online IPO कैसे भरा जा सकता है और आप आईपीओ से कितना कमा सकते हैं, तो चलिए सबसे पहले जानते हैं, IPO क्या होता है, फिर ऑनलाइन आईपीओ प्रोसेस को समझेंगे।

IPO क्या होता है। IPO process in Hindi

IPO का full form है, (Initial public offering) किसी भी कंपनी या बिज़नेस को start करने या उसे बढ़ाने के लिए पूंजी यानि Fund की आवश्यकता पड़ती है।

शुरुवात में कंपनी को खड़ा करने या उसे बढ़ाने के लिए कंपनी का मालिक इसमें अपनी पूंजी लगाता है, या वह दूसरे श्रोतों जैसे की अपने दोस्तों, रिश्तेदारों इत्यादि से भी कंपनी में invest करवाता है। दूसरों द्वारा कंपनी में invest करने पर कंपनी की कुछ हिस्सेदारी investors यानि पूंजी लगाने वालों की भी हो जाती है।

लेकिन एक समय बाद जब कंपनी को अपना विस्तार करना होता है, कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करना होता है, या अपना कर्ज चुकाना होता है, तो ऐसे में कंपनी को काफी बढ़ें fund की आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए वह पहली बार public में जाती है, यानि आम लोगो के लिए शेयर मार्किट में अपने shares उतारती है, इसी को आईपीओ (Initial public offering) कहा जाता है।

कंपनी द्वार मार्किट में अपना IPO उतारने के बाद पब्लिक इस आईपीओ में invest करती है, यानि पब्लिक कंपनी द्वारा निर्धारित कीमत पर इन शेयर्स को खरीद लेती है, जिससे पब्लिक को कंपनी में कुछ हिस्सेदारी मिल जाती है, और कंपनी को fund प्राप्त हो जाता है।

आईपीओ में कैसे Invest करें। Online IPO kaise bhare

आईपीओ में invest करना बहुत ही आसान है, इसमें आप आसानी से इन्वेस्ट कर सकते हैं, बस आपको इसके लिए तीन accounts की आवश्यकता पड़ती है।

सबसे पहले आपके पास आयकर विभाग द्वारा जारी किया गया आपका पैन कार्ड होना चाहिए, साथ ही एक Demat अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट थता अपना एक बैंक अकाउंट भी होना अनिवार्य है।

डीमैट अकाउंट को आप एक प्रकार का saving अकाउंट समझ सकते हैं, जिसमे आप अपने खरीदे गए Shares को Hold कर के यानि संभाल के रखते हैं। शेयर्स जिन्हे आप ऑनलाइन खरीदते हैं, वे डिजिटल रूप में होते हैं, तो इन्हे अपने पास सुरक्षित रखने के लिए आपको डीमैट अकाउंट की आवश्यकता पड़ती है, यानि डीमैट अकाउंट का काम आपके शेयर्स को होल्ड करके रखना है।

ट्रेडिंग अकाउंट वह अकाउंट होता है, जिसके द्वारा आप IPO के लिए ऑनलाइन अप्लाई करते हैं, यानि ट्रेडिंग अकाउंट के द्वारा ही किसी कंपनी के शेयर्स को खरीदा या बेचा जाता है। साथ ही आपके पास अपना एक बैंक अकाउंट भी होना आवश्यक है, क्योंकि शेयर्स खरीदने पर बैंक अकाउंट के द्वारा ही शेयर्स की पेमेंट करि जाती है।

आप डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना चाहते हैं, तो आप इन्हे बैंक या किसी भी ब्रोकरेज के द्वारा खुलवा सकते हैं। यदि आप किसी बैंक में सेविंग अकाउंट खुलवाते हैं, तो आज-कल बैंक आपको यह तीनो अकाउंट एक साथ open करने की सुविधा दे देता है, या इन्हे खुलवाने के लिए आप ऑनलाइन भी apply कर सकते हैं।

IPO भरने के दो तरीके होते हैं, पहला तरीका Online है और दूसरा Offline तरीका होता है, तो चलिए दोनों ही तरीकों को एक-एक कर समझते हैं।

ऑनलाइन आईपीओ भरने की प्रक्रिया। Online ipo kaise bhare

Online IPO भरना बहुत ही सरल है, इसके लिए आपको निम्नलिखित स्टेप्स का पालन करना होता है। हम यहाँ पर आपको SBI बैंक से ऑनलाइन आईपीओ भरने का तरीका बता रहे हैं। बताए गए इन स्टेप्स से आप एक idea ले सकते हैं, और दूसरे किसी भी IPO पोर्टल से आईपीओ के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।

  • सबसे पहले आपको अपने नेट बैंकिंग अकाउंट पर लॉगिन कर लेना है।
  • आपके सामने पूरा मेनू आ जाता है, जैसे My account/ payment transfer/Bill payment थता E-services इत्यादि।

ऑफलाइन आईपीओ भरने की प्रक्रिया। Offline ipo kaise bhare

हालाँकि आईपीओ के लिए अब ऑनलाइन तरीकों का अधिक इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फिर भी यदि आप इसे Apply करने का ऑफलाइन तरीका जानना चाहते हैं, तो यह इस प्रकार है।

आईपीओ को ऑफलाइन अप्लाई करने के लिए भी आपके पास एक Demat account का होना अनिवार्य है। आपको अपने नजदीकी ब्रोकर के पास जाना है, और उनसे आईपीओ एप्लीकेशन फॉर्म ले लेना है। फॉर्म में पूछी गई पूरी जानकारी जैसे आपकी details और IPO जिसके लिए आप apply कर रहे हैं, उसकी पूरी details को भर देना है।

अब अपने ब्रोकर को वह एप्लीकेशन थता अपना चेक दे देना है जितने amount के शेयर्स के लिए आपने आवेदन किया है, और इसके बदले ब्रोकर आपको रशीद देगा।

यदि आपके चेक की राशि 50000 से ऊपर की होती है, तो एप्लीकेशन फॉर्म के साथ आपको अपने पैन कार्ड की एक कॉपी भी लगानी पड़ती है। इसके बाद ब्रोकर आपकी एप्लीकेशन को जमा करेगा और वह आगे निष्पादित (execute) होगी।

दोस्तों आपने जाना IPO क्या होता है, थता आप IPO को Online कैसे भर सकते हैं। हमें उम्मीद है, दी गई जानकारी आपके काम आई होगी। यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके कोई सवाल हैं, या हमारे लिए कोई सुझाव है, तो आप कमेंट कर के हमें बता सकते हैं।

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