विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम

करेंट अफेयर्स – 4 दिसम्बर, 2021 [मुख्य समाचार]
प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण 4 दिसम्बर, 2021 के मुख्य समाचार निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स
- दिल्ली की निजामुद्दीन बस्ती परियोजना ने 2 यूनेस्को विरासत पुरस्कार जीते
- भारत द्वारा 1971 में बांग्लादेश को मान्यता देने के उपलक्ष्य में 6 दिसंबर को मनाया जाएगा ‘मैत्री दिवस’
- समुद्र तटों को कचरे से मुक्त करने के लिए एक महीने तक चलने वाला राष्ट्रव्यापी ‘पुनीत सागर अभियान’ चला रहा है NCC
- अनुसूचित जाति के छात्रों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए सरकार SRESHTA (लक्षित क्षेत्रों में उच्च विद्यालयों में छात्रों के लिए आवासीय शिक्षा) योजना शुरू करेगी
- INSACOG (Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium) ने 40 साल से ऊपर के लोगों के लिए कोविड बूस्टर हॉट का आह्वान किया
आर्थिक करेंट अफेयर्स
- भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 26 नवंबर को सप्ताह में 2.713 अरब डॉलर घटकर 637.687 अरब डॉलर रह गया
- उद्योगपति रतन टाटा को असम सरकार द्वारा ‘असम बैभव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया
- प्रधानमंत्री ने फिनटेक पर एक विचारशील नेतृत्व फोरम, इनफिनिटी फोरम का उद्घाटन किया
- भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) को IGLA-1M मिसाइलों के नवीनीकरण के लिए भारतीय सेना से 471.41 करोड़ रुपये का अनुबंध मिला
- प्रदीप शाह NARCL (नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी) के अध्यक्ष नियुक्त, संजय जैन IDRCL के सीईओ नियुक्त किये गये
अंतर्राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम करेंट अफेयर्स
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ 2022 में इसकी पहली उप प्रबंध विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम निदेशक होंगी
- स्पेसएक्स ने केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन, फ्लोरिडा (अमेरिका) से लॉन्च किए 48 स्टारलिंक इंटरनेट और 2 ब्लैकस्काई उपग्रह
- चीन ने लाओस के साथ अपनी पहली सीमा पार BRI (बेल्ट एंड विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम रोड इनिशिएटिव) ट्रेन शुरू की
उपर्युक्त दैनिक प्रश्नोत्तरी में 5 प्रश्न प्रकाशित किए जाते हैं। यह प्रश्नोत्तरी, GKToday के Android App पर प्रकाशित 20 प्रश्नो की दैनिक प्रश्नोत्तरी - 2021-22 का भाग है। यह दैनिक 20 प्रश्नो की प्रश्नोत्तरी हमारे Android App पर पूरे वर्ष - 2021-22 के लिए मात्र 750 रुपये के शुल्क पर प्राप्त की जा सकती है।
सरकार का प्रयास जनजातीय लोगों के पास विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम सीधे पहुंचे अनुदान: ईरानी
नयी दिल्ली, 23 सितंबर :भाषा: सरकार हस्तशिल्प क्षेत्र में जनजातीय समुदायों तक सीधी पहुंच बनाने में आने वाली खामियों को दूर करने की योजना पर काम कर रही है विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम और उसका प्रयास है कि इन समुदायों को दी जाने वाली मौद्रिक सहायता सीधे उन तक पहुंचे। केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने आज यह बात कही।
ईरानी ने इस संदर्भ में हाल ही में जनजातीय मामलों के मंत्री से मुलाकात की। इस दौरान हस्तशिल्प कार्यों में लगे जनजातीय समुदायों के लिये बाजार अवसरों की पहचान के लिये योजना पर चर्चा की गई। इस दौरान इस काम में लगे जनजातीय समुदाय के लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आवास जैसी सामाजिक चुनौतियों पर विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम भी विचार किया गया।
एसोचैम द्वारा आयोजित वैश्विक भारत निवेश फोरम को संबोधित करते हुये ईरानी ने कहा कि कपड़ा मंत्रालय इन क्षेत्रों तक आवागमन की चुनौतियों का समाधान करने के लिये सड़क परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी से बातचीत कर रहा है। उन्होंने इस मामले में उद्योगों का भी समर्थन मांगा है।
ईरानी ने सेना के जवानों की बेहतर सुरक्षा की जरूरत पर भी बोला। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय के साथ विचार विमर्श कर उनका मंत्रालय सेना के लिये विशेष प्रकार के कपड़ों की पहचान की है। उन्होंने भारतीय उद्योगों में इसकी तकनीकी जानकारी में निवेश करने को कहा।
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क्या होता है रेमिटेंस? जानिए कैसे आम आदमी और देश की अर्थव्यवस्था पर डालता है असर
साल 2021 में भारत को रेमिटेंस के रूप में दुनिया में सबसे ज्यादा 87 अरब डॉलर प्राप्त हुए हैं. इसमें सबसे ज्यादा अमेरिका से आया है. अकेले अमेरिका का योगदान 20 फीसदी से ज्यादा है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर
Updated on: Nov 18, 2021 | 2:27 PM
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, बारत ने साल 2021 में 87 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त किया है. इसमें सबसे ज्यादा अमेरिका से आया है. कुल रेमिटेंस का केवल 20 फीसदी अकेले अमेरिका से आया है. यह रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक की तरफ से जारी की गई है. यह दुनिया में किसी भी देश को मिलने वाला सबसे ज्यादा रेमिटेंस है.
वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के बाद चीन, मैक्सिको, फिलीपींस विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम और मिस्र का स्थान है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में रेमिटेंस 2022 में तीन फीसदी बढ़कर 89.6 अरब डॉलर होने का अनुमान है, क्योंकि अरब देशों से लौटने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा वापसी का इंतजार कर रहा है. भारत में विदेशों से 2020 में 83 अरब डॉलर से अधिक धन भेजे गए थे.
4.6 फीसदी की तेजी का अनुमान
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘रेमिटेंस के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता भारत में धन प्रवाह 4.6 फीसदी की वृद्धि के साथ 87 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.’’ बैंक ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रेषण 7.3 फीसदी बढ़कर 2021 में 589 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यह पहले के अनुमानों की तुलना में अधिक है.
अर्थव्यवस्था में रेमिटेंस का बड़ा योगदान
रेमिटेंस का भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है. यह सरकारी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है. भारत सरकार की योजनाएं जैसे स्किल डेवलपमेंट, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे प्रोग्राम की सफलता में विदेशों से आने वाले रेमिटेंस का बड़ा योगदान होता है. यह भारत की जीडीपी को बढ़ाने में विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम मदद करता है, साथ ही सरकार के सामने मुंह बाए खड़ी गरीबी की समस्या को भी कम करता है.
गरीबी दूर करने में होती है सरकार की मदद
भारत में इस फंड के ज्यादा हिस्से का इस्तेमाल किसी फैमिली से गरीबी को दूर करने, हेल्थ स्टेटस में सुधार लाने, शिक्षा में सुधार के कामों में होता है. कोरोना काल में जब सरकार ने गरीबों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए थे, उस समय विदेशों से रेमिटेंस के रूप में आने वाले धन ने लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने में मदद
इसके अलावा देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखने में भी रेमिटेंस का अहम योगदान होता है. अगर रेमिटेंस ज्यादा आता है तो इससे रुपए को भी मजबूती मिलती है. अगर रुपया मजबूत विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम होगा तो आयात का बिल कम होगा. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में 258 मिलियन यानी 25.8 करोड़ लोग अपने देश के छोड़कर दूसरे देशों में रहते हैं. ऐसे में रेमिटेंस में कम ज्यादा होता रहेगा, लेकिन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में इसकी महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
क्या होता है रेमिटेंस? जानिए कैसे आम आदमी और देश की अर्थव्यवस्था पर डालता है असर
साल 2021 में भारत को रेमिटेंस के रूप में दुनिया में सबसे ज्यादा 87 अरब डॉलर प्राप्त हुए हैं. इसमें सबसे ज्यादा अमेरिका से आया है. अकेले अमेरिका का योगदान 20 फीसदी से ज्यादा है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर
Updated on: Nov 18, 2021 | 2:27 PM
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, बारत ने साल 2021 में 87 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त किया है. इसमें सबसे ज्यादा अमेरिका से आया है. कुल रेमिटेंस का केवल 20 फीसदी अकेले अमेरिका से आया है. यह रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक की तरफ से जारी की गई है. यह दुनिया में किसी भी देश को मिलने वाला सबसे ज्यादा रेमिटेंस है.
वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के बाद चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्र का स्थान है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में रेमिटेंस 2022 में तीन फीसदी बढ़कर 89.6 अरब डॉलर होने का अनुमान है, क्योंकि अरब देशों से लौटने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा वापसी का इंतजार कर रहा है. भारत में विदेशों से 2020 में 83 अरब डॉलर से अधिक धन भेजे गए थे.
4.6 फीसदी की तेजी का अनुमान
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘रेमिटेंस के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता भारत में धन प्रवाह 4.6 फीसदी की वृद्धि के साथ 87 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.’’ बैंक ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रेषण 7.3 फीसदी बढ़कर 2021 में 589 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यह पहले के अनुमानों की तुलना में अधिक है.
अर्थव्यवस्था में रेमिटेंस का बड़ा योगदान
रेमिटेंस का भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है. यह सरकारी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है. भारत सरकार की योजनाएं जैसे स्किल डेवलपमेंट, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे प्रोग्राम की सफलता में विदेशों से आने वाले रेमिटेंस का बड़ा योगदान होता है. यह भारत की जीडीपी को बढ़ाने में मदद करता है, साथ ही सरकार के सामने मुंह बाए खड़ी गरीबी की समस्या को भी कम करता है.
गरीबी दूर करने में होती है सरकार की मदद
भारत में इस फंड के ज्यादा हिस्से का इस्तेमाल किसी फैमिली से गरीबी को दूर करने, हेल्थ स्टेटस में सुधार लाने, शिक्षा में सुधार के कामों में होता है. कोरोना काल में जब सरकार ने गरीबों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए थे, उस समय विदेशों से रेमिटेंस के रूप में आने वाले धन ने लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने में मदद
इसके अलावा देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखने में भी रेमिटेंस का अहम योगदान होता है. अगर रेमिटेंस ज्यादा आता है तो इससे रुपए विदेशी मुद्रा शिक्षा फोरम को भी मजबूती मिलती है. अगर रुपया मजबूत होगा तो आयात का बिल कम होगा. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में 258 मिलियन यानी 25.8 करोड़ लोग अपने देश के छोड़कर दूसरे देशों में रहते हैं. ऐसे में रेमिटेंस में कम ज्यादा होता रहेगा, लेकिन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में इसकी महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.