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ब्रिकी का दबाव

ब्रिकी का दबाव

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चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीनी मिलों को राहत देने के लिए सरकार ने चीनी के बिक्री कोटे को फिर से तिमाही करने की योजना बनाई है। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अप्रैल से मिलों को चीनी का बिक्री कोटा महीने के बजाय तिमाही आधार पर आवंटित किया जाएगा। इस तरह मिलों को हर महीने निर्धारित कोटे की चीनी बेचने की बाध्यता नहीं होगी बल्कि वे तीन माह में कभी भी तिमाही कोटे की चीनी बेचने की अनुमति होगी।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीनी का बिक्री कोटा महीने के बजाय तिमाही करने की योजना है। महीने के बजाय तीन महीने के आधार पर कोटा जारी किए जाने से मिलों पर चीनी की बिक्री का दबाव कम हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अप्रैल में जारी होने वाला कोटा तीन महीने के आधार पर रिलीज किए जाने की योजना है।

इसके तहत अगले तीन महीने की खपत के आधार पर चीनी का कुल कोटा रिलीज कर दिया जाएगा। उत्पादन में बढ़ोतरी से खुदरा बाजार में चीनी के दाम नियंत्रण में हैं तथा अभी कीमतों में तेजी की संभावना भी नहीं है।

वैसे को चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने का मसला प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने विचार करने के लिए रंगराजन की अगुवाई वाली कमेटी को सौंप दिया है। लेकिन खाद्य मंत्रालय ने अपने स्तर पर मिलों को राहत देने के लिए तिमाही कोटा जारी करने की योजना बनाई है। रंगराजन कमेटी इस मसले से जुड़े सभी पक्षों से बात करके प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपेगी। इसी के आधार पर सरकार चीनी उद्योग पर लगे नियंत्रणों में ढिलाई देने के बारे में कोई विचार कर सकती है।

पिछले तीन वर्षों से देश में चीनी का उत्पादन खपत से ज्यादा हो रहा है। ऐसे में चीनी मिलों के मुनाफे पर दबाव बन रहा है और वे नियंत्रण मुक्त करने की मांग कर रही हैं। पिछले अक्टूबर से शुरू मौजूदा सीजन में भी चीनी का उत्पादन बढ़कर 260 लाख टन (इस्मा के अनुसार) होने का अनुमान है। इस वजह से बाजार में चीनी के दाम स्थिर हैं।

अधिकारी ने बताया कि फुटकर बाजार में चीनी के दाम 32 से 35 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। हाल ही में प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों के आयुक्तों की बैठक में चालू पेराई सीजन 2011-12 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन बढ़कर 251-252 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 220 से 225 लाख टन की होती है। (Business Bhaskar. R S Rana)

FADA ने बताया जून में खूब हुई रिटेल ऑटो बिक्री, चिप शॉर्टेज की मुश्किल हो रही कम

FADA ने कहा कि बढ़ती महंगाई ऑटो सेक्टर के लिए चिंता का बड़ा विषय बनी हुई है। हालांकि होलसेल बिक्री में बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि सेमी कंडक्टर की उपलब्धता में सुधार हुआ है

FADA का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से संभावित खरीदारों के डिस्पोजेबल इनकम पर निगेटिव असर देखने को मिल सकता है। जिसके चलते आगे हमें एंट्री लेवल के पैसेंजर वाहनों और टू-व्हीलर की बिक्री पर दबाव देखने को मिल सकता है

FADA (federation of automotive dealers) ने आज जून महीने के ऑटो सेक्टर के रिटेल बिक्री आंकड़े जारी किए हैं। बताते चलें कि FADA ऑटो मोबाइल डीलरों का एक संगठन है और यह अपने ब्रिकी आंकडे़ ऑटो डीलरों से इकट्ठा करता है। आज आए FADA के आंकड़ों से पता चलता है कि जून महीने में ऑटो सेक्टर के सभी सेगमेंट में जोरदार बिक्री हुई है।

इन आंकड़ों के मुताबिक सालाना आधार पर देखें तो जून महीने में कुल रिटेल बिक्री में 27 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। वहीं अगर कोविड पूर्व के 2019 के जून के आंकड़ों से तुलना करें तो 2022 के जून में कुल रिटेल बिक्री आंकड़ों में 9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

इसी तरह टू-व्हीलर के रिटेल बिक्री आंकड़ों में सालाना आधार पर 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं अगर जून 2019 के आंकड़ों से तुलना करें तो इसमें 16 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

बोरिदा में गांजा व शराब की अवैध ब्रिकी जोरों पर

0 महिला समूह ने कलेक्टर से की शिकायत रायगढ़ (निप्र)। ओडिशा सीमा से लगे बोरिदा गांव में इन दिनों गांजा व शराब की अवैध रूप से ब्रिकी करने वालों के खिलाफ महिला समूह ने कलेक्टर से शिकायत कर उनके विरुद्घ कार्रवाई की मांग की है। बरमकेला क्षेत्र के बोरिदा गांव में गांजा व शराब का अवैध करोबार करने वाले लोग सक्रिय है। मामले की जानकारी पुलि

बोरिदा में गांजा व शराब की अवैध ब्रिकी जोरों पर

0 महिला समूह ने कलेक्टर से की शिकायत

रायगढ़ (निप्र)। ओडिशा सीमा से लगे बोरिदा गांव में इन दिनों गांजा व शराब की अवैध रूप से ब्रिकी करने वालों के खिलाफ महिला समूह ने कलेक्टर से शिकायत कर उनके विरुद्घ कार्रवाई की मांग की है।

बरमकेला क्षेत्र के बोरिदा गांव में गांजा व शराब का अवैध करोबार करने वाले लोग सक्रिय है। मामले की जानकारी पुलिस को होने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रही है। गांव में बढ़ रही शराबखोरी को लेकर महिलाओं ने एक जागृति महिला समूह बनाया है। जो गांव में गांजा व शराब की ब्रिकी पर रोक लगाने अभियान चलाती है। उसके बाद भी शराब माफियों द्वारा दबाव बनाया जाता है। मामले में महिलाओं ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया है जिसमें कहा है कि शराब व गांजा ओडिशा से लाकर ब्रिकी करने की बात कही है। उन लोगों पर कार्रवाई नहीं होने से गांव के बड़े के अलावा छोटे-छोटे बच्चे भी गांजा व शराब का सेवन कर रहे हैं। जिससे गांव का माहौल बिगड़ रहा है। महिला समूह ने गांव में शराब माफिया पर कार्रवाई करने की मांग की है।

आबकारी अधिकारी को दें सूचना

महिला समूह द्वारा कलेक्टर को शिकायत के बाद उन्होंने आबकारी अधिकारी को कार्रवाई का निर्देश दिया। जिसपर आबकारी विभाग एडीओ एमएम कुरैशी ने महिला समूह को आबकारी विभाग के अधिकारियों को मोबाइल नंबर दिया है। जैसे ही गांव में कारोबारियों द्वारा शराब या गांजा का खेप लाए या ब्रिकी करे उस नंबर पर सूचना देने की बात कही है। जिसके बाद टीम जाकर कार्रवाई करेंगी।

ब्रिकी का दबाव

बिक्री में 4 फीसदी की क्रमिक बढ़ोतरी से टाटा मोटर्स को दिसंबर 2009 को खत्म हुई तिमाही में कमाई में 12.5 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज करने में मदद मिली और यह 8,979 करोड़ रुपये हो गया। तीसरी तिमाही की प्राप्तियों में कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से इजाफा हुआ।

बिक्री में बढ़ोतरी की वजह से परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) जिसमें सितंबर की तिमाही तक उछाल आ रही थी उसमें क्रमिक आधार पर 56 आधार अंक की गिरावट हुई और यह ज्यादा इनपुट लागत की वजह से 12.8 फीसदी हो गया। कच्चे माल की बढ़ती लागत की परेशानियों को दूर करने में तिमाही के दौरान कीमतों में बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं थी और यह बिक्री के प्रतिशत के तौर पर इसमें 300 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई और यह 68.5 फीसदी हो गया। मार्जिन को बरकरार रखने के लिए टाटा मोटर्स ने अपने कॉमर्शियल व्हीकल पोर्टफोलियो की कीमतों में एक फीसदी की बढ़ोतरी की। वहीं यात्री वाहनों की कीमतों में 1,500-3,500 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई।

कंपनी ने पिछले एक साल पहले की अवधि के घाटे के मुकाबले तिमाही के दौरान 400 करोड़ रुपये का शुद्घ लाभ दर्ज किया और इसके समायोजित शुद्घ लाभ में 6 फीसदी की क्रमिक गिरावट हुई। एक साल पहले की तुलना में अवमूल्यन और ब्याज लागत बहुत ज्यादा थे लेकिन यह सितंबर को खत्म हुई तिमाही की तुलना में लगभग सपाट रहे।

विश्लेषकों का कहना है कि अप्रैल 2010 से नई उत्सर्जन नीति लागू होने से पहले कॉमर्शियल वाहनों में खरीदारी से कारोबार में वृद्घि हो सकती है। हालांकि इसमें कुछ देरी आ सकती है क्योंकि कुछ राज्यों में नए वाहनों के लिए जरूरी ईंधन की कमी हो सकती है। यात्री वाहन के मोर्चे पर टाटा मोटर्स नैनो पर निर्भर रहेगी।

हाल में लॉन्च हुई इंडिगो मांजा और सुमो ग्रैंडे एमके-2 की ब्रिकी में तेजी की संभावना है। प्रबंधन को यकीन है कि जिन छोटी अवधि की चुनौतियों असर परिचालन पर दिख सकता है उनमें ब्याज दरों में तेजी, राहत पैकेज का वापस लिया जाना और जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी शामिल है।

लाभ और मार्जिन में गिरावट के बावजूद आने वाली तिमाही में कारोबार में ज्यादा वृद्घि की उम्मीद की जा रही है। संभावना है कि जगुआर लैंड रोवर के बेहतर प्रदर्शन का असर इसके शेयर में 4 फीसदी की बढ़त के साथ दिखा और यह सोमवार को 719 रुपये हो गया। फिलहाल इसका कारोबार वित्त वर्ष 2011 की कमाई के अनुमान से 22 गुना पर हो रहा है।

शराब की बिक्री शुरू करने को लेकर क्या कहते हैं नेता, ये है 5 नेताओं की राय

शराब की दुकानें ब्रिकी का दबाव खोले जाने के सवाल पर ही आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और राजनीतिक एक्सपर्ट आशुतोष कहते हैं कि लॉकडाउन के साथ जो किया जा रहा है वो गलत है. इतनी जल्दी खोलना ठीक नहीं है. आप को लोगों ने चुना है कि आप यह तय करिए कि लोगों की जान सुरक्षित रहे.

शराब की दुकानें खुलते ही कई जगहों पर मची अफरातफरी (पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2020,
  • (अपडेटेड 04 मई 2020, 8:58 PM IST)
  • राज्य चाहे तो शराब बिक्री पर रोक लगा देः राजीव प्रताप
  • धीर-धीरे चीजों को खोलना ही पड़ेगाः जेडीयू नेता अजय
  • शराब बिक्री पर छूट देने का फैसला सही नहीं: सीपीआई

आजतक के दंगल कार्यक्रम में 'पिएगा इंडिया तभी जिएगा इंडिया' में सवाल उठाया गया कि क्या राजस्व के चक्कर में शराब की दुकानें जल्दी खोल दी गईं तो इस पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रुड़ी ने कहा कि शराब की ब्रिकी को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी. कई राज्य सरकारों का दबाव था इसलिए शराब बिक्री पर फैसला लिया गया.

उन्होंने कहा कि ज्यादातर राज्यों का कहना था कि इस पर रोक से हमें काफी नुकसान हो रहा है. तमिलनाडु में 29 हजार करोड़, हरियाणा में 19 हजार करोड़, कर्नाटक में 15 हजार करोड़, उत्तर प्रदेश में 7 हजार करोड़ और पंजाब में 6200 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था. राज्यों ने यह भी कहा कि अगर आप इस पर रोक लगाए रखते हैं तो हमारे नुकसान की भरपाई करें. इसलिए खोलने का फैसला लिया गया.

हालांकि राजीव प्रताप रुड़ी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के लिए यह कमाई का जरिया है और जो भी राज्य शराब नहीं बेचना चाहती वो अपने यहां बैन लगा दें. वैसे भी गुजरात और बिहार समेत कई राज्यों में शराबबंदी लागू है.

बीजेपी प्रवक्ता राजीव प्रताप रुड़ी ने साफ लफ्जों में कहा कि अगर किसी राज्य को लगता है कि यह फैसला गलत है तो राज्य सरकार अपने यहां पर इसकी बिक्री पर रोक लगा दें.

क्या शराब की दुकानें खोलने से सामाजिक दूरी का उल्लंघन नहीं होगा, इस पर उन्होंने कहा कि भारत को खोलना ही पड़ेगा, आखिर कब तक बंद रखेंगे. क्या आप चाहते हैं कि देश में शराब पर बैन हो जाए. शराब की ब्रिकी बंद कर दी जाए. आखिर किसी चीज को कब तक बंद रखेंगे. आगे रेलवे चलेगी, जहाज चलेंगे और वहां भी सामाजिक दूरी का पालन नहीं किया गया तो वहां उसे भी बंद करने को कहेंगे.

कोरोना के साथ जीना होगाः अजय आलोक

जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता अजय आलोक ने शराब की दुकानें खोले जाने के फैसले पर कहा कि हमारा इससे तो कोई लेना-देना ही नहीं है क्योंकि हमारे यहां (बिहार) तो पहले से ही शराबबंदी है, लेकिन यह मानना होगा कि कुछ छूट के साथ लॉकडाउन 3 शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि यह मानवीय सच्चाई है कि हमें मानना होगा कि लोग मानेंगे नहीं. जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया था उस दिन दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ जुटी. अगले दिन भी लोग नहीं माने. जबकि कहा गया कि जरूरी चीजों के दामों में वृद्धि नहीं होने देंगे.

अजय आलोक ने कहा कि एक बात तो मानना ही होगा कि कोरोना के साथ आपको जीना होगा. लेकिन हमें इसकी तैयारी रखनी पड़ेगी. हम इससे नहीं दूर जा सकते. धीरे-धीरे हर चीज खोलनी होगी. सामाजिक दूरी का पालन भी करना होगा. मास्क भी लगाना होगा. वैक्सीन की खोज पर काम जारी रखना होगा.

इतनी जल्दी खोलना ठीक नहीं: आशुतोष

शराब की दुकानें खोले जाने के सवाल पर ही आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और राजनीतिक एक्सपर्ट आशुतोष कहते हैं कि लॉकडाउन के साथ जो किया जा रहा है वो गलत है. इतनी जल्दी खोलना ठीक नहीं है. आप को लोगों ने चुना है ब्रिकी का दबाव कि आप यह तय करिए कि लोगों की जान सुरक्षित रहे.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन मत खोलिए. अगर दिल्ली में शराब की दुकान खुलती है तो इस पर नियंत्रण की जिम्मेदारी किसकी है. अरविंद केजरीवाल, नरेंद्र मोदी या फिर अमित शाह की. मैं लॉकडाउन खोले जाने के पक्ष में नहीं हूं. जब तक आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पूरी तरह से नहीं करते हैं इसे नहीं खोला जाना चाहिए.

केंद्र के फैसले को लागू कर रहे- AAP

आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र ने काफी सोच-समझकर इस संबंध में फैसला लिया है. केंद्र ने ऑर्डर जारी कर कहा कि आप ये कर सकते हैं और ये नहीं कर सकते हैं. केंद्र ने सभी चीजों के बारे में अपनी स्थिति साफ की. केंद्र ने सोच-समझकर फैसला लिया है. आज दिल्ली में शराब की ही नहीं कपड़ा, किताब आदि ब्रिकी का दबाव कई चीजों की दुकानें खुलीं, लेकिन वहां भीड़ नहीं उमड़ी. ये किसी चीज का हल नहीं है कि कल को कहीं राशन की दुकान पर भीड़ बढ़ जाए तो राशन की दुकानें बंद करा दी जाए.

उन्होंने कहा कि अगर राज्य में राशन नहीं बिकेगा, किताबें नहीं बिकेंगी, चीजें नहीं बिकेंगी तो राजस्व कहां से आएगा. केंद्र जो भी निर्देश दे रही है उसे हम 100 फीसदी लागू कर रहे हैं.

यह आवश्यक चीजों में नहीं आताः दिनेश वार्ष्णेय

सीपीआई नेता दिनेश वार्ष्णेय ने कहा कि शराब की बिक्री पर छूट देना सही नहीं था, क्या यह अतिआवश्यक चीजों में आता है. इसे खोलने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि अगर खोलनी ही थी तो प्रशासन को पता था कि इतने दिन बाद शराब की दुकानें खोली जा रही हैं तो तैयार रहना चाहिए था. अव्यवस्था नहीं फैलने देना चाहिए था.

सीपीआई नेता दिनेश वार्ष्णेय ने कहा कि केंद्र ने राज्यों को जीएसटी कलेक्शन का हिस्सा नहीं दिया. राज्यों की कमाई बंद हो गई. लेकिन यह कहना कि कोरोना के साथ जीना होगा यह ठीक नहीं है. सरकार को चुना किसलिए गया है और यह किसकी जिम्मेदारी होगी.

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